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आजादी के 77 साल बाद भी शिवपुरी के इस गाँव के 70 परिवार घरों में रहते हैं कैद, पढ़िए बजह / Shivpuri News

शिवपुरी: आजादी के 77 साल पूरे होने को है लेकिन मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले का एक गांव ऐसा भी है, जहां आज भी बारिश के दिनों में गांव चारों तरफ से नदी से घिर जाता है। इस गांव के ग्रामीण बारिश में अपने गांव में कैद हो कर रह जाते हैं। ऐसे में इस गांव में इमरजेंसी जैसी सेवाओं को पूरा करने के लिए ट्यूब का सहारा लिया जाता है।


शिवपुरी जिले के नरवर तहसील के काली पहाड़ी पंचायत के सूंड गांव के ग्रामीण अब तक ऐसे ही जीवन यापन कर रहे हैं। इसके बावजूद मध्य प्रदेश सरकार की नजर इस गांव की ओर नहीं पड़ी है। इस गांव की स्थिति जस की तस बनी हुई हैं।

ट्यूब के सहारे जच्चा-बच्चा को पार करानी पड़ी नदी

सूंड गांव के हालातों को वयां करता एक ताजा मामला सामने आया जहां प्रसूता को डिलीवरी के बाद अपने घर जाने के लिए ट्यूब का सहारा लेना पड़ा। दरअसल सूंड गांव के रहने वाले सुमंत रावत को अपनी पत्नी गीता रावत प्रसव पीड़ा होने के बाद ट्यूब पर बैठाकर नदी को पड़ा था।

सुमंत ने बताया कि 5 सितंबर की रात उसकी पत्नी गीता को प्रसव पीड़ा उठी थी। इसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराना था। रात में ट्यूब के बड़े भगोना को फसाकर उसमे पत्नी को बैठाकर नदी पार कराई थी। तब कहीं जाकर पत्नी को भितरवार के अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

डिलीवरी होने के बाद 7 सितंबर को भी इसी प्रकार पत्नी और नवजात बच्चे को ट्यूब के सहारे नदी पार करानी पड़ी थी। ऐसा उसे ही नहीं बल्कि गांव के हर ग्रामीण को करना पड़ता हैं। जरुरत पढ़ने पर ग्रामीणों को जान का जोखिम उठाना पड़ता हैं।

बारिश में ग्रामीण घरों में कैद, स्कूल भी रहते हैं बंद

जानकारी के मुताबिक नरवर तहसील के काली पहाड़ी पंचायत का सूंड गांव को सिंध नदी द्वारा चारों ओर से घेर लिया जाता हैं। इस गांव सूंड गांव में करीब 70 परिवार निवास करते हैं। जिन्हें बारिश में अपने गांव और घरों में कैद रहना पड़ता हैं।

यहां के लोग माससून सीजन के पहले करीब तीन माह का राशन घरों में जमा कर लेते हैं। इसके साथ ही ग्रामीणों को दवा से लेकर हर जरूरत की चीज को खरीदकर अपने पास रखना पड़ता हैं। इतना ही नहीं इस गांव में एक प्राथमिक विद्यालय भी हैं। जो बारिश में बंद रहता हैं। जिससे इस गांव के बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ता है।

ग्रामीणों का कहना हैं कि सालों से इस गांव के ग्रामीण पुल निर्माण की मांग करते हुए आ रहे हैं। कई अर्जियां प्रशासन से लेकर नेताओं से लगाई लेकिन हालात जस की तस बने हुए हैं।

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