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मेडिकल कालेज के चिकित्सक खराब कर रहे दान में मिला खून / Shivpuri News

तीन से चार दिन बाद ब्लड बैंक में वापिस भिजवा रहे खून के पैकेट

शिवपुरी में एक ओर जहां ब्लड बैंक में खून की कमी के कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर मेडिकल कालेज में चिकित्सकीय स्टाफ की लापरवाही के कारण दान में मिले खून को खराब कर रहे हैं। हालात यह हैं कि मेडिकल कालेज में बिना आवश्यकता मरीजों के स्वजनों से खून मंगवा लिया जाता है, लेकिन उक्त खून मरीजों को चढ़ाया ही नहीं जाता है। इस खून को दो से तीन दिन बाद ब्लड बैंक को वापिस भिजवा दिया जाता है। ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि मेडिकल कालेज के चिकित्सक मरीजों की जान बचाने के रखे गए खून को खराब कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार शनिवार की दोपहर मेडिकल कालेज में उपचार करा रहे दो मरीजों के स्वजन दो से तीन दिन पहले मरीजों के लिए जिला अस्पताल के ब्लड बैंक से खून लेकर गए खून को वापिस करने के लिए आए। ब्लड खराब हो चुका था, ऐसे में ब्लड बैंक के कर्मचारियों ने उक्त खून को वापिस करने से मना कर दिया। ब्लड बैंक में तैनात कर्मचारियों का कहना था कि यह खून तो पूरी तरह से खराब हाे चुका है। अब यह खून किसी भी मरीज के उपयोग नहीं आ सकता है। इस बात की जानकारी जब नईदुनिया को लगी तो नईदुनिया की टीम ने खून वापिस करने आए जगराम सिंह धाकड़ निवासी बांसखेड़ी से बात की तो उसका कहना था कि मेरी पत्नी कृष्णा धाकड़ का 7 सितम्बर को सीजेरियन प्रसव होना था। मेडिकल कालेज के डाक्टरों ने कहा कि खून की आवश्यकता है। इस पर हमने ब्लड बैंक से ब्लड एक्सचेंज किया और मेडिकल कालेज ले गए। जगराम के अनुसार वहां उसकी पत्नी का सीजर भी हो गया लेकिन पत्नी को ब्लड नहीं लगाया गया। इसके बाद डाक्टरों का कहना था कि ब्लड को पलंग पर रख लो। जब स्टाफ से कहा गया कि खून रखा हुआ है तो स्टाफ ने भी कह दिया कि रखा रहने दो हम लगा देंगे। आज चार दिन हो गए तो मैंने गौर से देखा और पूछा तो स्टाफ से पूछा तो स्टाफ का कहना था कि अब तो यह बेकार हो गई है। इसी तररह अगर्रा पोहरी निवासी सन्तम जाटव का कहना था कि मेरा बेटा देव जाटव मेडिकल कालेज में भर्ती है। डाक्टरों ने 5 सितम्बर को उससे बच्चे के लिए ब्लड मांगा। इस पर वह जिला अस्पताल से ब्लड ले गया जिसमें से डाक्टरों ने सिर्फ 20 एमएल ब्लड़ लगाया। यह उन्होंने रख दिया, शनिवार को फिर से ब्लड मांगा तो मैंने उनसे कहा कि आपके पास हमारा पहले का ब्लड रखा हुआ है। बकौल सन्तम स्टाफ ने इस पर उससे कहा कि वह ब्लड तो खराब हो गया है। मैंने उनसे ब्लड वापिस मांगा तो उन्होंने ब्लड वापिस कर दिया। सन्तम के अनुसार मेडिकल कालेज से पूरी बोटल खून की मांग की गई लेकिन जब मैं डा प्रियंका के यहां गया तो उन्होंने उसे 100 एमएल कर दिया था। खास बात यह है सन्तम को बेटे की जान बचाने के लिए शनिवार को फिर से 100 एमएल ब्लड एक्सचेंज करके ले जाना पड़ा। ब्लड बैंक से जुड़े विश्वसनीय सूत्रों से जब इस संबंध में जानकारी चाही गई तो उनका कहना था कि यह पहला मामला नहीं है जब इस तरह से ब्लड वापिस किया गया है। इससे पूर्व भी इसी तरह से खराब लड को कई बार वापिस भिजवाया गया है।

आधार घंटे बाद खराब हो जाता है ब्लड
अगर बात चिकित्सकीय गाइड लाइन की करें तो कोल्डचैन मेनटेन करने का जो नियम है। उक्त नियम के अनुसार एक बाद कोल्डचैन में से निकलने के बाद ब्लड सिर्फ आधा घंटे के अंदर ही मरीज को लगवा देना चाहिए। आधा घंटे बाद उसे वापिस कोल्डचैन में नहीं रखा जा सकता है। ऐसे में यह ब्लड तो चार से पांच दिन बाद वापिस करने के लिए भेजा गया है। कहीं न कहीं यह मामले ये दर्शाते हैं कि मेडिकल कालेज में इस बात की कोई फिक्र नहीं की जाती है कि एक यूनिट ब्लड एक जान बचा सकता है, जिसे उनकी लापरवाही से खराब किया जा रहा है।

इनका कहना है
-इसे लापरवाही नहीं कहा जा सकता है क्योंकि हम प्राी कास्नरी ब्लड मंगवाते हैं। कई बार जरूरत नहीं पड़ती है तो हम उसे वापिस करवा देते हैं। कई बार आपरेशन के सात आठ घंटे बाद तक देखना होता है कि कहीं ब्लड लीक तो नहीं हो रहा है। जब हम संतुष्ट हो जाते हैं कि ब्लड की जरूरत नहीं है और पेसेंट स्टेवल है तो हम ब्लड वापिस कर करवा देते हैं।
डा केबी वर्मा
डीन, मेडिकल कालेज

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