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अगर ऐसे ही इस्तीफे स्वीकार होते रहे तो शिवपुरी जिले की जनपद जिला पंचायत, नगर परिषद में आ सकती है इस्तीफों की बाढ़, पहले भी इस्तीफे हो चुके अस्वीकार / Shivpuri News

शिवपुरी: जिले में इस्तीफ़ा देने का चलन अभी बरकरार बना हुआ है. बता दें कि नगर पालिका पार्षदों ने गायत्री शर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए अपना इस्तीफा दिया था. लेकिन कलेक्टर शिवपुरी ने उन इस्तीफों को अस्वीकार कर दिया. इसके बाद आज बदरवास जनपद उपाध्यक्ष सहित जनपद सदस्यों ने कलेक्टर को अपना इस्तीफ़ा सौंपा है.

जानकारी के अनुसार राम सिंह यादव ने बताया कि आज जनपद में मीटिंग रखी गई थी जिसमें 2022-23 के 15वें वित्त योजना की राशि पर चर्चा हुई जबकि 2022-23 की कार्य योजना डीपीआर का अनुमोदन पहले ही हो चुका है. 2025-26 की कार्य योजना 15वें वित्त के कार्यों पर चर्चा का बिंदु रखा गया. लेकिन 2025-26 की कार्य योजना भी सभी सदस्यों ने प्रस्ताव पिछली मीटिंग 2 जुलाई 2025 को पूर्व में ही कर दिया था. लेकिन फिर से इस बात की मीटिंग रखी गई थी. जबकि पंचायती राज एक्ट में धारा 45 के अनुसार एक बार प्रस्ताव पास हो जाए तो उसे दोबारा से रखने के लिए 25 सदस्यों में से 19 सदस्य लिखित में दे तो 6 माह बाद फिर मीटिंग में उन प्रस्तावों को रख सकते हैं लेकिन ऐसा ना करते हुए बार-बार एक ही बात को मीटिंग में रखा जाता है और सदस्यों को बुलाया जाता है. आज 25 सदस्यों में से 14 का बहुमत होने के बाद भी मीटिंग को स्थगित कर दिया गया.

इसी मनमानी के चलते आज 14 जनपद सदस्यों  ने अपना इस्तीफा कलेक्टर को सौंपा है. अब इस तरह इस्तीफे देते रहेंगे तो दो ही बात बचती हैं या तो शिवपुरी कलेक्टर को इस्तीफे स्वीकार करने होंगे, या फिर सख्त एक्शन की जरुरत पड़ेगी.

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