बिलासपुर
ऑनलाइन सट्टा एप में पुलिस ने दर्ज किया है धोखाधड़ी का केस।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने ऑनलाइन सट्टा एप से जुड़े एक आरोपी राजेश अग्रवाल को बेल दे दी है। पुलिस ने सभी ऑनलाइन सट्टा एप को महादेव सट्टा एप से जोड़कर कार्रवाई की थी। जिसके खिलाफ 31 आरोपियों ने अलग-अलग जमानत अर्जी लगाई है। हाईकोर्ट में इन सभी मामलों की सुनवाई एक साथ चल रही है।
दरअसल, छत्तीसगढ़ में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने महादेव सट्टा एप की जांच शुरू की और इससे जुड़े आरोपियों की गिरफ्तारी की। इसी दौरान स्थानीय पुलिस ने भी ऑनलाइन सट्टा एप चलाने वालों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई की थी।
इसमें दावा किया गया है कि ऐसे ऑनलाइन एप चलाने वाले सभी आरोपियों का एक ही लिंक है। पुलिस ने उन्हें महादेव सट्टा एप से जोड़ दिया, फिर उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए यह भी दावा किया कि ऑनलाइन एप के आरोपियों ने फर्जी बैंक अकाउंट खुलवाया है और लाखों रुपए की धोखाधड़ी की है।
ED की मनी लॉन्ड्रिंग केस में नहीं है आरोपी
रायपुर के व्यवसायी राजेश अग्रवाल सहित 31 कारोबारी ऐसे हैं, जो ऑनलाइन सट्टा एप के केस में जेल में बंद हैं। इस पर उन्होंने हाईकोर्ट में जमानत के लिए अपने-अपने वकील के माध्यम से याचिका दायर की है। इसमें बताया गया है कि याचिकाकर्ता व्यवसायी राजेश अग्रवाल ED के केस में संदेही थे।
उन्हें ED ने आरोपी नहीं बनाया है, लेकिन पुलिस ने उन्हें महादेव एप से जबरदस्ती जोड़ दिया है। इस पर हाईकोर्ट इन सभी मामलों की अलग से सुनवाई कर रहा है।
सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने दी बेल
शुक्रवार को इन मामलों की सुनवाई हाईकोर्ट के जस्टिस एनके चंद्रवंशी की सिंगल बेंच में हुई। इस दौरान कोर्ट को बताया गया कि पुलिस ने उन पर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है, जबकि उनके खिलाफ मनी लांड्रिंग का कोई केस ही नहीं है।
वकीलों के तर्कों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने राजेश अग्रवाल के साथ ही रायपुर के एक सीए को भी जमानत दे दी है। इस मामले में राजेश अग्रवाल की तरफ से एडवोकेट देवर्षि ठाकुर ने पैरवी की।
महादेव एप केस में किसी भी आरोपी को नहीं मिली है जमानत
बता दें कि ED ने महादेव सट्टा एप में जो कार्रवाई की है, उनके किसी भी आरोपी को अब तक जमानत नहीं मिली है, क्योंकि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है। कुछ दिन पहले ही हवाला कारोबारी अनिल दम्मानी और उसके भाई सुनील दम्मानी ने जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है और जमानत देने से इनकार कर दिया है।
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