रायपुर
छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने कैंडिडेट घोषित कर दिए। पार्टी ने अपने वर्तमान 9 में से 7 सांसदों का टिकट काटा है। इनमें चार सांसदों को तो विधानसभा चुनाव में ही लड़ाया था। छत्तीसगढ़ में पार्टी ने विधानसभा चुनाव भी मोदी की गारंटी पर लड़ा, तो लोकसभा में स्वाभाविक रूप से हर प्रत्याशी को यह सोचकर उतारा गया है कि मोदी जिताकर लाएंगे।
उत्तर भारत में छत्तीसगढ़ भी ऐसा राज्य है, जहां मोदी का जादू काम कर रहा है और इसका असर विधानसभा चुनाव में दिख चुका है। पिछले चुनाव में जहां पार्टी सिर्फ 15 सीटों पर जीती थीं, वहीं इस बार 54 सीटें जीतकर आई।
इन सांसदों का टिकट कटा
चार सांसदों का टिकट कटा
भाजपा ने रायपुर से सुनील सोनी, कांकेर से मोहन मंडावी, महासमुंद से चुन्नीलाल साहू और जांजगीर-चांपा से गुहाराम अजगले का टिकट काट दिया है। रायपुर से सुनील की जगह अब नेता बृजमोहन अग्रवाल प्रत्याशी हैं। बृजमोहन अग्रवाल लगातार 8 बार से विधायक चुनते आ रहे हैं। लगातार मंत्री रहे हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ में ‘पार्टी का हनुमान’ भी कहा जाता है। उनका नाम लोकसभा के लिए आना अप्रत्याशित था।
जांजगीर से गुहाराम अजगले को लेकर सक्रियता का प्रश्न उठा था। उनकी जगह महिला प्रत्याशी कमलेश जांगड़े को मौका मिला है। वहीं, कांकेर से मोहन मंडावी की जगह भोजराम नाग को प्रत्याशी बनाया गया है। भोजराम नाग अंतागढ़ से विधायक थे, लेकिन उनका टिकट काट दिया गया था। इस कारण लोकसभा में उन्हें टिकट देकर संतुष्ट करने का प्रयास किया गया है।
बृजमोहन को केंद्र भेजने के मायने
सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नाम छत्तीसगढ़ के संदर्भ में बृजमोहन अग्रवाल का ही है। वे सबसे सीनियर हैं। विधानसभा में अग्रेसिव हैं। उनकी भरपाई मौजूदा समय में कोई दूसरा विधायक नहीं कर सकता। ऐसे में जब भाजपा ने एक नई पीढ़ी को विधानसभा चुनाव में उतार दिया है, जिम्मेदारियां दे दी हैं, ऐसे में जूनियर-सीनियर की भावना आ ही जाती हैं।
बहुत जूनियर इस समय बड़े पोर्टफोलियो में हैं। बृजमोहन का कद ऐसा है कि बड़े से बड़ा व्यक्ति भी उनके आगे थोड़ा असहज हो जाता है। ऐसे में दो ही कयास लगाए जा सकते हैं। उन्हें केंद्र में भेजकर बड़ा पोर्टफोलियो दिया जाए और राज्य में कुछ बड़े नेताओं को मंत्री पद के लिए मौका दिया जाए। उनके केंद्र में जाते ही छत्तीसगढ़ में दो मंत्री पद रिक्त रह जाएंगे। ऐसे में अमर अग्रवाल, अजय चंद्राकर और राजेश मूणत जैसे नाम इसमें समायोजित हो सकते हैं।
बस्तर की जीत का इनाम मिला संतोष पांडेय को
कई जगह ये चर्चा फैलाई गई थी कि संतोष पांडेय की टिकट कट सकती है। उनकी जगह मधुसूदन यादव या फिर अभिषेक सिंह को टिकट मिल सकती है। लेकिन पार्टी ने संतोष पांडेय पर फिर से भरोसा जताया। दरअसल संतोष पांडेय विधानसभा चुनाव में बस्तर संभाग के प्रभारी थे। उन्होंने बस्तर संभाग की 12 में से 8 सीटें जिताई। इसके अलावा वहां धर्मांतरण का मुद्दा हावी रहा। इस मोर्चे पर भी संतोष पांडेय अग्रेसिव दिखाई दिए। यही कारण है कि उन्हें दोबारा मौका दिया गया।
संघ ने महेश कश्यप पर भरोसा किया
बस्तर में नक्सलवाद की जगह अब धर्मांतरण भी उतना ही बड़ा मुद्दा बन चुका है। यही कारण है कि विश्व हिन्दू परिषद का बैकग्राउंड रखने वाले महेश कश्यप को पार्टी ने बस्तर से उतारा। महेश कश्यप की आदिवासी समाज में तो अच्छी पकड़ है ही, साथ ही वे विश्व हिन्दू परिषद और आरएसएस से भी सक्रियता से जुड़े रहे। बस्तर में ग्राम सभाओं तक उन्होंने धर्मांतरण के विरोध में काम किया।
कांग्रेस से भाजपा में आकर लोकसभा की टिकट पाई चिंतामणि महाराज ने
चिंतामणि महाराज कांग्रेस से विधायक रहे। विधानसभा से ठीक पहले भाजपा में आ गए। उन्होंने टीएस सिंहदेव के खिलाफ विधानसभा की टिकट मांगा था। बृजमोहन अग्रवाल उन्हें मनाने के लिए सरगुजा गए थे। इसके बाद मामला शांत हो गया। अब लोकसभा में उन्हें सरगुजा से टिकट देकर पार्टी ने संतुष्ट किया है। चिंतामणि महाराज को मानने वाले लोग सरगुजा में बड़ी संख्या में हैं।
कोरबा से सरोज पांडेय को टिकट मिला है वहीं कांग्रेस से ज्योत्सना महंत मौजूदा सांसद हैं।
कोरबा में क्या महिला के सामने महिला होंगी?
कोरबा में इस समय कांग्रेस से ज्योत्सना महंत सांसद हैं। वे नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत की पत्नी हैं। अगर कांग्रेस उन्हें रिपीट करती है तो महिला के सामने महिला प्रत्याशी होंगी। भाजपा ने कोरबा से सरोज पांडेय को दिया है। सरोज पांडेय का नाम अप्रत्याशित है। उनकी राजनीति हमेशा दुर्ग और उसके ईर्द गिर्द रही, लेकिन कोरबा से मौका मिला है।
जबकि कोरबा से विकास महतो, देवेंद्र पांडेय, हितानंद अग्रवाल, नवीन पटेल, जगत बहादुर जैसे स्थानीय नाम भी थे। सरोज पांडेय राष्ट्रीय महामंत्री भी हैं। हाल ही में उनके राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त हुआ है। लिहाजा पार्टी केंद्रीय राजनीति में उनकी भूमिका को कम नहीं करना चाहती, इस कारण स्थानीय नेताओं के होने के बावजूद सरोज को कोरबा से उतारा गया।
कमलेश जांगड़े जिला पंचायत का चुनाव हार चुकी हैं
जांजगीर लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी ने कमलेश जांगड़े को प्रत्याशी बनाकर सबको चौंका दिया है। कमलेश जांगड़े भारतीय जनता पार्टी में महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं। एक बार वे जिला पंचायत का चुनाव हार चुकी हैं। चुनाव हारने के बाद भी वो लगातार इलाके में पार्टी को मजबूत कर रही थीं।
कमलेश जांगड़े के अलावा गुरुदयाल पाटले, राजेश्वर पाटले, वेदराम मनहरे, नवीन मार्कंडेय, कमला पाटले, संतोष लहरे और अंबेश जांगड़े जैसे नाम यहां से आ रहे थे। एक चर्चा यह है कि कांग्रेस शिव डहरिया को यहां से उतार सकती है। अगर ऐसा हुआ तो यहां मुकाबला बेहद रोचक हो जाएगा।
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