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भक्त को भगवान जरूर मिलते हैँ, पढ़िए पंडित संजय कृष्ण जी की कथा / Shivpuri News

छत्तीसगढ़: भक्त को भगवान जरूर मिलते हैं संजय कृष्ण जी महाराज के द्वारा ग्राम आमगांव में चल रहे श्रीमद भागवत कथा की द्वितीया दिवस की झांकी और कथा के अनुसार ध्रुवजी- भगवान् कैसे और कहाँ मिलते हैं- ध्रुवजी को यह नहीं पता था कि कहां जाना हैं. लेकिन वह पूरे दृढ़ निश्चय के साथ वन में चला गया। भगवान की ओर बढ़ते समय, ध्रुव को देवर्षि नारद मिले। नारद जी ने ध्रुव की पूरी कहानी सुनकर चौंकाया और कहा, “बेटा, तुम अब बहुत छोटे हो, इस उम्र में क्या मानापमान करना? तुम प्रसन्न रहो और भगवान के द्वारा जैसा निर्धारित होता है, उसमें संतोष करो। भगवान से मिलना कठिन होता है, और बड़े योगी और मुनि बहुत लंबे समय तक तपस्या करने के बावजूद भगवान के दर्शन को अनेक जन्मों के बाद ही प्राप्त कर पाते हैं।” देवर्षि की बातों के बावजूद, ध्रुव के निश्चय में कोई बदलाव नहीं हुआ।

संत! आप वास्तव में दयालु हैं। आपने जो सलाह दी है, वह सचमुच बेहद अच्छी है; हालांकि मैं चाहता हूँ कि आप मुझे एक ऐसा मार्ग दिखाएं, जिससे मैं भगवान को शीघ्र प्राप्त कर सकूं। मैं पूरी ईमानदारी और निर्धारण के साथ ध्रुवजी ने देवर्षि के पास विनम्रता से अपनी बात कही। ध्रुव के दिल में कोई डर या संदेह बिल्कुल नहीं था। देवर्षि ने ध्रुव की पूरी आस्था को देखकर अपना मन बदल दिया।

ध्रुवजी पर सन्त कृपा हुई देवर्षि ने उसे आशीर्वाद दिया-‘बेटा! तेरा कल्याण होगा। अब श्री यमुना जी के तट पर जाओ। वहां पर निरंतर ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश मंत्र का जाप करो। दिन में तीन बार यमुना में स्नान करके स्थिर आसन पर बैठ जाना, प्राणायाम करना, अपने मन को शांति और एकाग्रता में रखकर भगवान विष्णु का ध्यान करना।
तब जाकर भगवान मिले उसी प्रकार इस संसार में भक्तो के उद्धार और कल्याण तथा शत्रुओं के नाश के लिए अवतरित होते हैं.

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