जगदलपुर
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में शनिवार देर शाम 9 महीने के बच्चे की अस्पताल के गेट पर मौत हो गई। आरोप है कि बच्चे का उपचार नहीं किया और जगदलपुर रेफर किया, लेकिन एंबुलेंस देने से मना कर दिया। बच्चे का शव गोद में लिए मां करीब 9 घंटे बाहर ही बैठी रही।
स्थानीय लोगों ने देखा तो तहसीलदार को सूचना दी। इसके बाद मौके पर एंबुलेंस बुलाई गई और शव को देर रात गांव भिजवाया गया। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। वहीं अस्पताल प्रबंधन ने बच्चे की मौत के लिए परिजनों को जिम्मेदार बताया है।
बच्चे का शव गोद में लिए मां अस्पताल के बाहर देर रात तक बिलखती रही।
मलेरिया से पीड़ित था मासूम
जिले के अंदरूनी इलाके बाहकेर निवासी जयराम ने बताया कि, उसका बच्चा 3-4 दिनों से बीमार था। उसका छोटे डोंगर के अस्पताल में इलाज चल रहा था, लेकिन हालत बिगड़ती देख डॉक्टरों ने शनिवार को एंबुलेंस से जिला अस्पताल रेफर किया, लेकिन वहां उपचार नहीं मिला।
आरोप है कि डॉक्टर आते और बच्चे का पेट छूकर चले जाते। काफी देर बाद डॉक्टरों ने उसे जगदलपुर रेफर कर दिया, लेकिन एंबुलेंस देने से मना किया। जयराम ने बताया कि वह बाइक से पत्नी और बच्चे को मिशन अस्पताल ले जाने लगा, लेकिन तब तक बच्चे की मौत हो चुकी थी।
जयराम ने बच्चे की मौत के लिए अस्पताल प्रशासन को जिम्मेदार बताया है।
अफसर पहुंचे तब मिली एंबुलेंस
बच्चे की मौत पर मां उसका शव गोद में लिए मुख्य गेट के बाहर रोती रही। कई घंटे बीतने के बाद स्थानीय लोगों ने इसकी जानकारी प्रशासन को दी तो तहसीलदार मौके पर पहुंचे। उन्होंने एंबुलेंस की व्यवस्था कराई। इसके बाद देर रात शव को गांव ले जाया जा सका।
डॉक्टर बोले- इलाज किया गया
अस्पताल के डॉक्टर आदित्य का कहना है कि बच्चे को मलेरिया हुआ था। उसे छोटे डोंगर से रेफर किया गया था। यहां चेक करने पर उसकी स्थिति ठीक नहीं लगी तो जगदलपुर अस्पताल रेफर किया गया। डॉक्टरों का कहना है कि परिजन बच्चे को मिशन अस्पताल ले जाने की जिद पर अड़े हुए थे।
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