कानपुर
भाजपा नेता प्रकाश शर्मा ने प्रत्याशी रमेश अवस्थी को लेकर उठाए सवाल।
कानपुर लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी रमेश अवस्थी को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी अब सामने आने लगी है। आज नामांकन से पहले भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य व बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक प्रकाश शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अध्यक्ष जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजा है।
पहले पत्र में क्या लिखा है पढ़िए मुख्य अंश…
पत्र में प्रकाश शर्मा ने लिखा है कि भाजपा का सक्रिय कार्यकर्ता होने के नाते चर्चा करना चाहता हूं। जिस प्रकार से कानपुर लोकसभा सीट पर प्रत्याशी को थोपा गया है, वह अचंभित और हतप्रभ कर देने वाला है। पार्टी, विचार, परिवार तो छोड़िए पूरा नगर स्तब्ध है। उनकी पार्टी में किसी भी स्तर पर कानपुर या और कहीं भी उनके किसी भी प्रकार का योगदान की जानकारी मेरे पास क्या किसी के पास नहीं है।
शीर्ष नेताओं को लिखे गए पत्र का पहला पन्ना।
आगे लिखा है कि वह कब कैसे पार्टी के कार्यकर्ता बने, पार्टी के लिए उनका क्या योगदान है, इसकी जानकारी शायद ही कानपुर में कोई बता पाए। इससे कार्यकर्ताओं और समर्थकों में घोर निराशा है। चुनाव रणभूमि में जहां प्रत्याशी चुनाव प्रचार में आगे बढ़ चुके हैं। हम अभी परिचय में ही फंसे हुए हैं।
ये भी लिखा है कि कार्यकर्ताओं के मन की बात को आपतक पहुंचाने का बीड़ा मैंने उठाया है। मुझे कार्यकर्ताओं ने ये भी कहा कि मैं भी चुप रहूं, हानि हो सकती है। लेकिन मुझे लगता है कि व्यक्तिगत हानि उठाकर भी सही बात आप तक पहुंचाना, मेरा दायित्व और कतर्व्य दोनों हैं।
कार्यकर्ताओं को लेकर आखिर नाराजगी की वजह क्या है…
पार्टी सूत्रों के मुताबिक पार्टी के कई बड़े नेताओं की नाराजगी टिकट घोषित होने के साथ ही नजर आने लगी थी। नाराजगी दूर करने का जिम्मा संगठन ने संभालते हुए शहर के सभी सीनियर नेताओं के साथ प्रत्याशी रमेश अवस्थी को मिलवाया। इसमें विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, सांसद सत्यदेव पचौरी, महापौर प्रमिला पांडेय और तमाम पुराने बड़े व सीनियर नेता शामिल थे।
दूसरा पन्ना।
एकजुटता दिखाने की लगातार कोशिश
पार्टी में दबी जुबान से कई नेता भी इसे मान रहे हैं कि इस बार भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है। यही कारण है कि पार्टी ने अभी तक कोई बड़ी रैली या सभा तक भी नहीं की है। भाजपा अभी तक छोटी-छोटी बैठकें ही कर रही हैं।
इसमें ज्यादातर सम्मेलन ही हो रहे हैं। पार्टी के तमाम नेता भी इस बात कह रहे हैं कि प्रत्याशी का कोई जनाधार नहीं है, भाजपा की तरफ से कोई भी लड़ जाएगा, जीत उसकी सुनिश्चित है।
ब्राह्मण चेहरे पर ही दांव लगा रही है भाजपा
कानपुर में भाजपा पार्टी की जीत लगभग तय मानी जा रही है। ऐसे में कानपुर के लोग भी प्रत्याशी को न देखकर कमल और नरेंद्र मोदी को ही चेहरा मानकर वोट करने का मन बना चुके हैं। बीते 2 लोकसभा चुनाव भाजपा लगातार जीत रही है। पार्टी हर बार ब्राह्मण चेहरे पर ही दांव लगाती आ रही है। 33 साल में पहली बार है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही तरफ से ब्राह्मण उम्मीदवार आमने-सामने हैं।
नाराजगी को लेकर 5 बड़े कारण…
1. प्रत्याशी का कानपुर से कोई ग्राउंड कनेक्ट नहीं है। दावे भले ही खूब हो, लेकिन हर सभा में उन्हें अपना परिचय देना पड़ रहा है।
2. कानपुर की राजनीति में उनका कोई भी योगदान नहीं है। इसको लेकर पार्टी के लोगों में नाराजगी अब भी बनी हुई है।
3. टिकट घोषित होने के बाद रेलवे स्टेशन पर प्रत्याशी को कार्यकर्ता ही नहीं पहचान पाए, पार्टी के लिए ये असहज स्थिति हो गई।
4. विपक्षी पार्टियों ने प्रत्याशी के बाहरी होने को लेकर मुद्दा बना दिया है। इससे पार्टी और खुद प्रत्याशी कानपुर से जुड़ाव हर सभा में बताने को मजबूर हैं।
5. पार्टी के बड़े पदाधिकारी कुछ नहीं बोल रहे, लेकिन छोटे कार्यकर्ताओं की नाराजगी पार्टी कार्यालय तक में खुलकर सामने आ चुकी है।
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