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गुढ़ा में शौचालय के नाम पर महा घौटाला शौचालय की जगह रखे लोहे के उठने बाले डिब्बे

गुढ़ा में शौचालय के नाम पर महा घौटाला शौचालय की जगह रखे लोहे के उठने बाले डिब्बे
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कोलारस-कोलारस जनपद पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत आने बाले ग्राम पंचायत गुढ़ा में शौंचालय निर्माण के नाम पर महा घौंटाला होते हुये। अंधा व्यक्ति भी अपनी आंखो से कोलारस से मात्र 3 किलो मीटर की दूरी पर जा कर देख सकता है। कि देश के प्रधानमंत्री द्वारा स्वच्छ भारत के नाम पर चलाये गये। स्वच्छता अभियान के क्रम में शामिल शौचालय की ग्राम पंचायत गुढ़ा में क्या स्थिति है। यदि प्रधानमंत्री को जानकारी मिलेगी कि ग्राम पंचायत गुढ़ा के सरपंच एवं सचिव द्वारा शौचालय निर्माण की जगह लोगो के घरो में लोहे के सिमेंट से प्लास्टर करवा कर डिब्बे रखे है। जिनमें न तो न तो शौच के लिए सीट लगाई है और न ही शौचालय के लिए गडडे तैयार किये गये है। केवल 12 हजार रूपये खाने के उददेश्य से 2 हजार रूपया हितग्राही से लेकर करीब 4 हजार में शौचालय के स्थान पर लोहे के डिब्बे स्थापित किये गये है। जिनका उपयोग कई माह बीत जाने के बाद भी आज तक गांव के लोग नही कर पाये है। कुल मिला कर ग्राम गुढ़ा के अहीर एवं आदिवासी मोहल्ले में करीब आधा दर्जन लोगो के निवास पर विगत दिवस जब राज एक्सपे्रस की टीम पहुंची तो ग्रामीण जनो ने अपनी  आपवीती हमारी टीम को बताई राज एक्सपे्रस की टीम में हरीश भार्गव, सुरेन्द्र सिंह, कुमार नीलेश, सुखदेव सिंह के द्वारा ग्राम पंचायत गुढा का भ्रमण किया तो गांव में लगभग सभी शासकीय योजनाये चारो खाने चित्त नजर आई। केन्द्र एवं प्रदेश सरकार से लेकर अधिकारियो एवं जनप्रतिनिधियो के द्वारा स्वच्छता अभियान से लेकर घर घर शौंचालय निर्माण के दवाब को लेकर जिला पंचायत सीईओ स्वयं अपनी इच्छा से अपना स्थांतरण कराने की जानकारी सूत्रो से प्राप्त हुई है। वहीं दूसरी ओर ग्राम पंचायत गुढा केे दोनो आदिवासी मोहल्लो से लेकर अहीर मोहल्ले एवं पूरनखेडी, गिलगवां में भी शौचालयो के नाम पर लोहे के टीन का अस्थाई उठाने बाला बॉक्स बना कर लोगो के घरो में स्थपित किया गया। जिसका कोई भी उपयोग नही कर पा रहा है। पंचायत की महिलाओ से लेकर पुरूष, विकलांग सभी खुले में शौंच को जाने के लिए मजबूर है। 
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हमसे तो सचिव ने शौचालय के नाम पर 2 हजार लिये और रख दिया लोहे का डिब्बा
ग्राम पंचायत गुढ़ा में पहुंची राज एक्सपे्रस की टीम ने अपनी आंखो से देखा कि सरपंच एवं सचिव द्वारा शौचालय के नाम पर किस कदर शासन के बजट को खाकर गांव बालो के साथ धोका किया है। ग्राम पंचातय गुढा के  ऊधम सिंह यादव, श्रवण यादव, सुजान सिंह यादव, लक्ष्मण सिंह यादव के घरो में जाकर देखा तो शौचालय के स्थान पर विना सीट एवं बिना गडडे के लोहे के डिब्बे हितग्राहियो से पैसे लेकर रखे गये और शासन का बजट हजम कर लिया। इसी क्रम में अहीर मोहल्ला के ठीक सामने रोड के पश्चिमी भाग में निवास करने बाले विजय आदिवासी एवं बादाम आदिवासी की टपरिया के पास भी शौचालय के स्थान पर लोहे के डिब्बे स्थापित किये गये। आदिवासी मोहल्ले के लोगो ने बताया कि महाराज केवल एक कुटीर बनी है। बांकि शेष हम सहरिया टपरिया में रहने को मजबूर है। क्या हमारी सुनने बाला कोई अधिकारी कभी हमारे बीच भी आयेगा। 
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गांव में सीसी रोड़ डली साईड का भराव न होने से दुर्घनटा के शिकार होते ग्रामीण
फोटो 24 शिव 11
ग्राम पंचायत गुढ़ा में पहुंची राज एक्सपे्रस की टीम ने जब गांव की हालत देखी तो शासन की सभी योजनाये चारो खाने चित्त नजर आई यहां गांव के प्रारंभ में कुऐ के पास से लेकर घाटी से होते  हुये गांव के कोने तक करीब आधा किलो मीटर क्षेत्र में ठेकेदार द्वारा सीसी रोड का निर्माण किया गया। किन्तु सीसी रोड के दोनो तरफ मुरम का भराव न होने के कारण गांव से निकलने बाली बैलगाडी, टै्रक्टर के अलावा दो वाहनो के आमने सामने होने पर एक वाहन को पीछे अथवा नीचे उतरने पर दुर्घना का शिकार होना ही पडता है। क्योकि जमीन की सतह से सीसी की ऊंचाई कई स्थानो पर एक से लेकर दो फिट तक है। जिसके चलते उक्त सीसी रोड पर दो वाहनो का निकलना नमुमकिन है। इसके अलावा यदि किसी ग्रामीण को अपने घर वाईक ले जानी हो तो उसे काफी दूर आगे जाकर बाईक को नीचे उतारने के बाद अपने घर पहुंचना पडता है। कुल मिलाकर संबंधित ठेकेदार द्वारा कई माह बीत जाने के बाद भी रोड के दोनो तरफ न तो नाली का निर्माण किया गया। और न ही दोनो तरफ साईड का भराव न होने से ग्राम पंचायत गुढा के लोग सीसी रोड डलने के बाद भी दुर्घना का शिकार हो रहे है। 
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स्कूल तो कुछ समय के लिए खुलता है किन्तु बच्चे न आने के कारण भोजन क्या भूत खाते है किसी को नही पता 
ग्राम पंचायत गुढा में जब हमारी टीम पहुंची तो स्कूल का समय गुजर जाने के कारण स्कूल तो बंद हो चुका था। किन्तु स्कूल के पास मौजूद लोगो से जब हमारी टीम के सदस्यो ने चर्चा की तो गांव बालो ने जो बाते हमको बताई वह चौकाने बाली थी। गांव के छन्नू यादव सहित करीब 1 दर्जन लोगो ने पंचनामा देते हुये। बताया कि महाराज यहां कभी भी कोई भी आकर देख ले यहां का स्कूल न तो समय पर कभी खुलता है। और न ही बंद होता है। इसके अलावा पढाई न होने के कारण यहां के अधिकांश लोगो ने अपने बच्चे पढने के लिए कोलारस भेज दिये है। स्कूल में कभी भी आकर देखा जा सकता है। यहां एक दर्जन से लेकर 2 दर्जन के आस-पास बच्चे ही प्राईमरी एवं मिडिल स्कूल में फुल टाईम दिखाई देगे। आखिर स्कूल में भर्ती सैंकडो बच्चो को वितरण के लिए आने बाला मध्यान्ह भोजन को क्या बच्चो की जगह शिक्षक, समूह संचालक अथवा भूत भृष्टïाचार करके खा जाते है। मामला जांच का विषय अवश्य है। कि स्कूल में जुलाई से लेकर नबम्बर तक प्रति दिन कितने बच्चो की हाजरी के हिसाव से मध्यान्ह भोजन का वितरण हुआ। और स्कूल में अध्यन से लेकर मध्यन्ह भोजन तक कितने बच्चे आते है? 
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इनका कहना है
नोट फोटो एसडीएम आर के पाण्डेय का लगायें
ग्राम गुढा में शौचालय के स्थान पर यदि लोहे के डिब्बे रखे गये है और आदिवासी मोहल्ले में कुटीर एवं शौचालय मौजूद नही है। आदिवासी महिला एवं पुरूष खुले में शौंच को जाने के लिए मजबूर है। तो यह स्वच्छता अभियान के क्रम में बहुत बडा फर्जीबाडा है यह जांच का गंभीर विषय है। यदि शौंचालय के नाम पर इस तरह का मामला सामने आता है। तो सरपंच एवं सचिव को बख्सा नही जायेगा। 
आर के पाण्डेय 
एसडीएम एवं प्रभारी सीईओ
कोलारस
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