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श्रीराम की 2226 किमी वनवास यात्रा छत्तीसगढ़ में: ‘राम वन गमन पथ’ प्रोजेक्ट इस पर 137 करोड़ का; अभी क्या है हाल जानिए/ छत्तीसगढ़

रायपुर

कौशल प्रदेश (छत्तीसगढ़) भगवान राम का ननिहाल है। यहां के लोग उन्हें भांचा यानी भांजा मानते हैं। उन्होंने अपने वनवास का सबसे ज्यादा समय भी यहीं बिताया। श्रीराम यहां कोरिया से लेकर कोंटा तक 2226 किमी पैदल चले और 12 चातुर्मास किए।

प्रदेश के उत्तर में सरगुजा से लेकर दक्षिण के सुकमा तक श्रीराम से जुड़े स्थानों की पूरी श्रृंखला मिलती है, जिनसे लोक आस्थाएं जुड़ी हुई हैं। इस दौरान राम जिन 9 जिलों से होकर गुजरे, उस पथ की 75 जगहों को चिन्हित किया गया है। इनको विकसित करने के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने 137 करोड़ 45 लाख का ‘राम वन गमन परिपथ’ का प्रोजेक्ट तैयार किया।

इस पर फिलहाल काम जारी है। इस रिपोर्ट में जानिए क्या है स्थिति.

1. सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया) : यहां से पहली बार वनवास के दौरान भगवान श्रीराम ने माता सीता के साथ छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की सीमा पर मवई नदी के किनारे सीतामढ़ी-हरचौका स्थित है।

वर्तमान स्थिति क्या है

  • राम वन गमन पर्यटन परिपथ के अंतर्गत 7 करोड़ 45 लाख रुपए की लागत से राम वाटिका और अन्य डेवलपमेंट कराए गए हैं।
  • यहां भगवान श्रीराम की विशाल प्रतिमा, रामायण व्याख्या केंद्र, कैफेटेरिया, सियाराम कुटीर, पर्यटक सूचना केन्द्र, नदी तट बनाया गया है।

2. रामगढ़ (सरगुजा) : अंबिकापुर से 60 किमी दूर रामगढ़ पर्वत स्थित है। भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता ने यहां वनवास का लंबा समय बिताया था। राम के तापस वेश के कारण जोगीमारा, सीता के नाम पर सीता बेंगरा और लक्ष्मण के नाम पर लक्ष्मण गुफा भी है।

कहते हैं कि महाकवि कालिदास के मेघदूत में वर्णित रामगिरी पर्वत यही हैं। यहीं बैठकर कालीदास ने अपनी कृति मेघदूत की रचना की थी। विश्व की प्राचीनतम गुफा और नाट्य शाला भी यहां पर स्थित है।

वर्तमान स्थिति क्या है

  • भगवान राम की भव्य प्रतिमा लगाई गई है। भव्य द्वार का काम चल रहा है।
  • यहां टूरिस्ट इन्फॉर्मेशन सेंटर, पब्लिक अप्रोच रोड और कॉटेज समेत 6.76 करोड़ के निर्माण कार्य प्रस्तावित हैं।

3. शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा) : मान्यता है कि यहां श्रीराम और लक्ष्मण ने शबरी के जूठे बेर खाए थे। शिवरीनारायण नगर का अस्तित्व हर युग में रहा है। यह नगर मतंग ऋषि का गुरूकुल आश्रम और माता शबरी की साधना स्थली भी रही है। यह महानदी, शिवनाथ और जोंक नदी के त्रिधारा संगम के तट पर स्थित प्राचीन नगर है।

वर्तमान स्थिति क्या है

  • यहां सौंदर्यीकरण का काम पूरा हो चुका है। अब घाट को संवारा जा रहा है।

4.तुरतुरिया (बलौदाबाजार) : कसडोल तहसील से 12 किमी दूर तुरतुरिया स्थित है। इसे महर्षि वाल्मीकि का आश्रम और लव-कुश की जन्मस्थली कहा जाता है। यहां सुरंग से होकर एक जलकुंड गिरता है, जिसका निर्माण प्राचीन ईंटों से हुआ है। जिस जगह कुंड में जल गिरता है, वहां गोमुख बनाया गया है।

वर्तमान स्थिति क्या है

  • यहां श्रीराम की प्रतिमा लगाई गई है, जबकि मंदिर का लोकार्पण होना है।

5. चंदखुरी (रायपुर) : रायपुर जिले के चंदखुरी में एक मात्र कौशल्या मंदिर है। ये दुनिया का एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान राम बाल रूप में अपनी माता की गोद में विराजमान हैं।

वर्तमान स्थिति क्या है

  • दो तालाबों के बीच बने इस मंदिर से जुड़ी किवदंतियां रामायण काल से जुड़े होने की वजह से पिछली सरकार ने इसे राम वन गमन परिपथ में शामिल किया था।
  • कांग्रेस सरकार ने मंदिर को भव्य रूप दिया गया है। मुख्य मंदिर का मूल स्वरुप जस का तस रखकर बाहरी आवरण में सौंदर्यीकरण किया जा रहा है।
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