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अधिक उम्र में 20%बेटों की नहीं हो पाती शादी, इसलिए सही उम्र में बच्चों के विवाह करें: जैन / Shivpuri News

शिवपुरी। अधिक उम्र की वजह से 20 फीसदी बेटों की शादी नहीं हो
पाती। वह कुंआरे रह जाते हैं या फिर उनकी शादी होती भी है तो समाज से बाहर
होती है।हमें इस बारे में चिंतन करना होगा और समाज में जागरुकता लानी होगी।

अभी
अधिक पढ-लिख जाने की वजह से बेटे-बेटियों की शादियां देर से होती हैं।जो
सही नहीं हैं। हमें बच्चों की सोच के साथ अभिभावकों की सोच में भी बदलाव
लाना होगा तब कहीं जाकर हम पीढियों के संस्कारों को बचाकर रख सकेंगे। यह
बात महावीर नगर में संस्कार स्कूल में आयोजित हुई जैसवाल जैन समाज की बैठक
में जैसवाल जैन समाज के पदाधिकारी और शिक्षक अजय जैन ने कही।

शिक्षक
अजय जैन ने कहा कि आम तौर पर देखने में यह आया है कि बेटियां आसपास के
कस्बे या गांव में शादी करने तैयार नहीं हैं उन्हें महानगर पसंद हैं। वहीं
युवा पहले 28-30 साल तक पढाई करते हैं। फिर 30-35 साल तक जॉब हासिल करने के
बाद शादी बाद में करने को कहते हैं।

अभिभावक इससे
परेशान रहते हैं। लेकिन बेटे-बेटी की जिद के आगे वह कुछ कर नहीं पाते। ऐसे
में इन युवाओं को कोई मनपसंद साथी मिल गया तो वह वही शादी तक कर लेते हैं।
यह ठीक नहीं है। इस प्रक्रिया में बदलाव के लिए हमें बहुत चिंतन करना होगा
और समाज में जागरुकता के लिए कार्यशालाओं का आयोजन करना होगा ताकि हम अपने
बच्चों की शादी सही उम्र में कर सकें और अभिभावक भी इससे निश्चिंत हो
सकें।

अधिक उम्र में शादी न होने से छत्तीसगढ और बिहार से वधुएं आ रहीं

बैठक
के दौरान अजय ने तर्क देते हुए बताया कि आज हालात यह है कि गांव की बेटी
गांव में शादी नहीं करना चाहती। छोटे शहर से बड़े शहर में जाना उसका सपना
है। इससे आसपास के गांव में कई बेटे कुंवारे हैं जिनकी उम्र 35 या इससे
अधिक हो गई है। इनमें से कुछ अधिक उम्र में शादी न होने से छत्तीसगढ और
बिहार से वधुएं ला रहे हैं। यह बेहद सोचनीय और चिंतनीय विषय है इसलिए इस
बिंदू पर सामूहिक विचार होना आवश्यक है।

इन बिंदुओं पर समाज में अधिवेशन की तैयारी

जैसवाल
जैन समाज के सदस्यों ने बताया कि आगामी कार्यक्रमों की रुपरेखा में
क्षेत्रीय अधिवेशन का आयोजन कराया जाएगा जिसमें समाज को विकास की मुख्य
धारा से जोड़ना, विवाह की बढ़ती उम्र पर चिंतन, शिक्षा के क्षेत्र में समाज
को अग्रणी बनाने में भूमिका और युवाओं को समाज से जोड़ना विषय पर चर्चा
होगी। और इस सम्मेलन से जब हम आसपास की समाज के लोगों को भी जोडकर अपनी बात
रखेंगे और समझाइश देंगे तो निश्चित रुप से समाज में बदलाव आएगा।

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