शहीद के परिवार के साथ एक बार फिर ‘धोखा’ हुआ है. मुख्यमंत्री के तमाम दावों और ऐलान के बावजूद आतंकियों के हाथों मारे गए हेड कांस्टेबल को मिलने वाली आर्थिक मदद सरकारी लालफीताशाही में उलझ कर रह गई.
यह बेहद दर्दनाक दास्तां मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में रहने वाले यादव परिवार की है. परिवार के मुखिया और जेल विभाग में हेड कांस्टेबल रमाशंकर यादव दिवाली की रात ड्यूटी पर थे, जब सिमी आतंकियों ने जेल से भागने के दौरान उनकी हत्या कर दी थी.

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संजीव नगर के जिस घर से बेटी की डोली उठनी थी, वहां शहीद पिता की अर्थी उठी और अब पूरा परिवार 17 दिन से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के वादा पूरा होने का इंतजार कर रहा है.
सीएम ने किया था 25 लाख की मदद का ऐलान
शहीद रमाशंकर यादव की शवयात्रा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए थे. उन्होंने, परिवार को 25 लाख रुपए देने की घोषणा की थी. वहीं, दावा किया था कि रमाशंकर की बेटी की शादी में किसी तरह की कोई दिक्कतें नहीं आने दी जाएगी.
अब 17 दिन बाद भी परिवार को सीएम की घोषणा पूरी होने का इंतजार है. गुरुवार को रमाशंकर के परिजन मुख्यमंत्री सचिवालय भी गए थे. वहां बताया गया कि कलेक्टर ऑफिस से प्रपोजल आने के बाद ही राशि स्वीकृत की जाएगी.
इसके बाद परिजन कलेक्टर निशांत वरबड़े से मिलने के लिए भी पहुंचे. वहां मदद का भरोसा तो दिया गया, लेकिन यह नहीं बताया गया कि मुख्यमंत्री की घोषणा को पूरा होने में कितना वक्त लगेगा.
नौ दिसंबर को होनी है शादी, अब तक नहीं मिली फूटी कौड़ी
रमाशंकर यादव की सबसे छोटी बेटी सोनिया की 9 दिसंबर को शादी होना है. शादी की तैयारियों के लिए रमाशंकर एक नवंबर से छुट्टी लेने वाले थे. कुछ शुरूआती खरीदारी के लिए उन्होंने जीपीएफ से 50 हजार रुपए निकाली थी, लेकिन उनके इस दुनिया को अलविदा कहने के बाद परिवार को कोई सरकारी मदद नहीं मिली है.
नोटबंदी और कानूनी दिक्कतों में उलझा जीपीएफ का पैसा
वहीं रमाशंकर के अकाउंट में बिटिया के शादी के लिए जमा जीपीएफ का पैसा भी कानूनी पेचीदगी फंस गया है. तीनों भाई-बहनों के अनापत्ति प्रमाण पत्र के बाद ही सारा पैसा शहीद की पत्नी हीरामुनि देवी के अकाउंट में ट्रांसफर किया जाएगा. वहीं, इस प्रकिया में नोटबंदी की वजह से बैंककर्मियों के बिजी होने की वजह से भी दिक्कतें आ रही हैं.
मां बोली- शादी टालने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहेगा
दिवाली की रात हीरामुनि देवी की जिंदगी में हमेशा के लिए अंधियारा छा गया. पति की मौत का उन्हें गहरा सदमा लगा है. वहीं, अब बेटी के शादी की चिंता भी सता रही है. मीडिया को दिए इंटरव्यू में वो कहती हैं, ‘शादी 9 दिसंबर को होना है. एक-एक दिन निकलते जा रहा है. रुपयों का इंतजाम नहीं होता दिख रहा. ऐसी स्थिति में शादी को टालने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा.’
मदद मिलेगी तो भी नोटबंदी का रहेगा असर
शहीद के परिजनों को सरकार यदि मदद भी देती है तो मदद पर नोटबंदी का असर रहेगा. रिजर्व बैंक के नए प्रावधानों के तहत जिस घर में शादी है, वह भी केवल ढाई लाख रुपए तक की राशि बैक से निकाल सकते है.
सरकार यदि कैश में आर्थिक मदद देगी, तो परिवार नोटबंदी के संकट से बच सकता है. हालांकि, सरकार के कैश में 25 लाख रुपए देने की संभावना काफी कम है.
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