संत सियाराम बाबा ने त्यागी देह, 100 वर्ष से अधिक उम्र में लिया समाधि का मार्ग।
निमाड़ के पूज्य संत सियाराम बाबा ने बुधवार सुबह अपने आश्रम में अंतिम सांस ली। वे पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ थे और डॉक्टरों की निगरानी में आश्रम में ही उनका उपचार चल रहा था। उनकी इच्छा थी कि वे अपने भक्तों के बीच ही रहें। बाबा के निधन की खबर के बाद खरगोन के भट्यान स्थित आश्रम में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है।
आज दोपहर तीन बजे बाबा का डोला निकलेगा, और शाम को नर्मदा नदी किनारे उनके आश्रम के पास ही उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। अंतिम संस्कार की तैयारी में चंदन की लकड़ियों का प्रबंध किया गया है।
बाबा की साधना और जीवन:
सियाराम बाबा ने अपनी जीवन यात्रा में 12 वर्षों तक मौन व्रत धारण कर साधना की।
उनका पहला शब्द “सियाराम” था, जिससे भक्त उन्हें “सियाराम बाबा” के नाम से पुकारने लगे।
बाबा ने नर्मदा नदी के किनारे एक पेड़ के नीचे तपस्या की और अपने जीवन को सेवा और त्याग के लिए समर्पित किया।
वे केवल ₹10 का दान स्वीकार करते थे और उस धनराशि का उपयोग आश्रम के कार्यों के लिए करते थे।
सीएम और अन्य श्रद्धांजलि:
मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव जी समेत अन्य गणमान्य लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए आश्रम पहुंचेंगे। बाबा की साधना और त्याग से प्रेरित हजारों भक्त उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होंगे।
सियाराम बाबा: प्रेरणा और आदर्श:
सियाराम बाबा ने अपने जीवन से समाज को त्याग, सादगी और समर्पण का संदेश दिया। भक्तों के बीच वे न केवल एक संत बल्कि एक मार्गदर्शक और प्रेरणा के स्रोत के रूप में प्रसिद्ध थे।
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