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 BJP के दरवाजे नीतीश कुमार के लिए क्यों खुले है: I.N.D.I.A नीतीश को साधते ही बिखर जाएगा /#NATIONAL

पटना

नीतीश-तेजस्वी डेढ़ घंटे गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में रहे, लेकिन एक-दूसरे से बात नहीं की।

सियासत में कभी भी कोई दरवाजा परमानेंटली बंद नहीं होता। यहां अगर दरवाजे बंद होते हैं तो खुलते भी हैं।
-सुशील कुमार मोदी, पूर्व डिप्टी CM, बिहार (27 जनवरी दिल्ली से लौटने के बाद)

सुशील कुमार मोदी के इस बयान से स्पष्ट हो गया है कि नीतीश के लिए BJP के दरवाजे एक बार फिर से खोल दिए गए हैं। इसके बाद बिहार में NDA सरकार का बनना भी लगभग तय माना जा रहा है।

अब सबसे बड़ा सवाल यही बना हुआ है कि आखिर एक साल में ऐसा क्या हुआ कि नीतीश के लिए दरवाजे बंद करने वाली BJP उनके स्वागत के लिए तैयार हो गई? किन शर्तों के साथ BJP नीतीश कुमार को अपने साथ लाएगी। क्या बिहार में एक बार फिर से BJP नीतीश कुमार की ताजपोशी करने की तैयारी कर रही है?

तीन साल पहले यह पोस्टर BJP की तरफ से पटना में लगाया गया था।

तीन साल पहले यह पोस्टर BJP की तरफ से पटना में लगाया गया था।

सूत्रों की मानें तो BJP का पूरा का पूरा नेतृत्व पिछले 48 घंटों से इन्हीं सवालों को सुलझाने की कोशिश में जुटा है। पहले आनन-फानन में बिहार BJP की कोर कमेटी के मेंबर को दिल्ली बुलाया गया। यहां प्रदेश प्रभारी विनोद तावड़े के आवास पर आधे की मीटिंग चली।

इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर लगभग 95 मिनट का मंथन हुआ। जेपी नड्‌डा और अमित शाह के साथ अलग मीटिंग भी की। BJP सूत्रों और पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मदद से हमने BJP के भीतर चल रही गतिविधियों को समझने की कोशिश की है।

सबसे पहले 2 पॉइंट में समझिए, नीतीश कुमार के लिए दरवाजे क्यों खुले

1. BJP चुनाव से पहले I.N.D.I.A. गठबंधन को खत्म करना चाहती है: पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो लोकसभा चुनाव में BJP के सामने सबसे बड़ी चुनौती नीतीश कुमार ही पेश कर रहे थे। विपक्ष के बिखरे कुनबे को एक मंच पर लाने का श्रेय नीतीश कुमार को जाता है। ये नीतीश कुमार ही थे जिन्होंने सबसे पहले कांग्रेस को गठबंधन के लिए तैयार किया।

इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश, बंगाल, दिल्ली,महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु जैसे राज्यों का ताबड़तोड़ दौरा किया। उन्होंने ममता बनर्जी और अखिलेश यादव को कांग्रेस के साथ आने के लिए राजी किया। जुलाई 2023 में वे ही पटना में BJP विरोधी नेताओं को औपचारिक तौर पर एक प्लेटफॉर्म पर लाए।

नीतीश कुमार देशभर की 400 लोकसभा सीटों पर BJP के खिलाफ वन वर्सेज वन कैंडिडेट उतारने के फॉर्मूले पर काम कर रहे थे। उनका सबसे ज्यादा फोकस बिहार की 40, UP की 80, झारखंड की 14, और बंगाल की 42 लोकसभा सीटों पर BJP को पटखनी देनी की थी।

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