- भाजपा कार्यालय पर मुस्लिम महिलाएं जश्न मानने पहुंचीं, प्रधानमंत्री के चित्र के साथ सेल्फी भी ली
- मुस्लिम महिलाओं ने तीन तलाक बिल को पास करवाने पर मोदी सरकार को बधाई दी
- इंदौर. तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत काे अपराध मानने वाला मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019 संसद में पास होने के बाद देशभर में जश्न का माहौल है। इंदौर में भी मुस्लिम महिलाओं ने मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए जश्न मनाया। उन्होंने मोदी के चित्र को मिठाई खिलाई और सेल्फी भी लिया। महिलाओं का कहना था कि इस कानून के पास होने के बाद अब हमारे बच्चे अनाथ होने से बच जाएंगे।
भाजपा दफ्तर में जश्न मनाने पहुंची महिलाओं का कहना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुस्लिम महिलाओं की पीड़ा को देखते हुए इस बिल को पास करवाया है। जाहिदा मंसूरी ने कहा – हम सब इस ऐतिहासिक फैसले पर जश्न मना रहे हैं। अब तक हमारी बहन-बेटियों का भविष्य अंधकार में था। हमें उम्मीद है कि अब इस शख्त कानून के बाद हमारे बच्चे अनाथ होने से बचेंगे। बहू-बेटियां सभी इस फैसले से खुश हैं। हम सब ने मोदी जी को मिठाई खिलाई और उनके इस फैसले का स्वागत किया। हम आशा करते हैं कि महारे प्रधानमंत्री जी हमारे साथ हैं और हम सभी देश के साथ हैं। मैं ऐसी महिलाओं के लिए काम कर रही हूं, पति का साथ छूटने के बाद कई बार महिलांए आत्महत्या के लिए मजूबर हो जाती हैं। जो पढ़ी-लिखी नहीं होतीं उनके समक्ष बच्चों को पालने की समस्या खड़ी हो जाती है। कई बार वे दर-दर भटकने को मजबूर हो जाती हैं।
बिल काे कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार काे राज्यसभा में रखा। इसके पक्ष में 99 और विराेध में 84 वाेट पड़े। बिल काे सलेक्ट कमेटी काे भेजने की विपक्ष की मांग भी खारिज हो गई। इसमें सरकार के पक्ष में 100 अाैर विराेध में 84 मत पड़े। कई दलाें के सदस्याें के सदन से बाहर जाने अाैर कई सांसदाें के गैरहाजिर रहने की वजह से सरकार ने आसानी से बिल काे पास करा लिया। बिल में तीन तलाक को गैर कानूनी बनाते हुए 3 साल जेल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह गरिमा का मामला है, इसलिए इसे राजनीति की नजर से नहीं देखना चाहिए। अल्पसंख्यक मामलाें के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी काे छाेड़कर सभी 26 मुस्लिम सांसदाें ने बिल का विराेध किया।
शाहबानो लड़ाई जीत कर भी हार गई थीं
इंदौर की रहने वाली पांच बच्चों की मां शाहबानो को उसके पति मोहम्मद खान ने 1978 में तलाक दे दिया था। शाहबानो ने भरण-पोषण भत्ते के लिए सात साल तक कोर्ट में लड़ाई लड़ी और जीती। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ से हटकर शाहबानो को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया, लेकिन देशभर में मुस्लिमों ने प्रदर्शन कर इसे इस्लाम पर हमला बताया। राजीव गांधी की तत्कालीन सरकार ने संसद में कानून बनाकर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया। शाहबानो जीतकर भी हार गई। मंगलवार को उसी संसद ने तलाक-ए-बिद्दत काे अपराध बनाने वाला विधेयक पास कर दिया।
इंदौर की रहने वाली पांच बच्चों की मां शाहबानो को उसके पति मोहम्मद खान ने 1978 में तलाक दे दिया था। शाहबानो ने भरण-पोषण भत्ते के लिए सात साल तक कोर्ट में लड़ाई लड़ी और जीती। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ से हटकर शाहबानो को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया, लेकिन देशभर में मुस्लिमों ने प्रदर्शन कर इसे इस्लाम पर हमला बताया। राजीव गांधी की तत्कालीन सरकार ने संसद में कानून बनाकर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया। शाहबानो जीतकर भी हार गई। मंगलवार को उसी संसद ने तलाक-ए-बिद्दत काे अपराध बनाने वाला विधेयक पास कर दिया।
सीधे गिरफ्तारी का प्रावधान, मजिस्ट्रेट की शर्तों पर ही समझौता संभव
- बिल में प्रावधान है कि महिला की शिकायत पर पुलिस आरोपी को सीधे गिरफ्तार कर सकेगी।
- पीड़ित महिला के सगे या शादी के रिश्ते वाले सदस्य ही केस दर्ज कराने के हकदार हाेंगे।
- महिला का पक्ष सुने बिना मजिस्ट्रेट आराेपी काे जमानत नहीं दे सकेगा। भरण-पोषण का भत्ता मजिस्ट्रेट तय करेगा, जो पति से वसूला जाएगा
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