लखनऊ
सीएम योगी आदित्यनाथ ने डॉ. अम्बेडकर की 134वीं जयंती के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
भारतीय जनता पार्टी भारत रत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती 14 अप्रैल को पूरे प्रदेश में बड़े ही धूमधाम से मना रही है। रविवार को लखनऊ में CM योगी आदित्यनाथ ने डॉ. अंबेडकर की 134वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
दरअसल जातीय समीकरणों की धुरी पर घूमती उत्तर प्रदेश की राजनीति में दलित आबादी की हमेशा से अहम भूमिका रही है। देश के सबसे बड़े राज्य में लगभग 22 प्रतिशत दलितों की आबादी है। और इन्हीं दलितों को साधने के लिए बीजेपी बूथ स्तर पर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती को मनाएगी।
लखनऊ सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
CM ने अपने X अकाउंट पर लिखा, ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत-सर्वसमावेशी भारत’ की श्रेष्ठतम अभिव्यक्ति ‘भारतीय संविधान’ के शिल्पकार, ‘भारत रत्न’ बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि! उत्कृष्ट लोकतांत्रिक मूल्यों से दीप्त व अंत्योदय को समर्पित रहा आपका पूरा जीवन सभी के लिए प्रेरणा है।
1.63 लाख बूथों पर होगा कार्यक्रम का आयोजन
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती के मौके पर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता, पदाधिकारी और जनप्रतिनिधियों को प्रत्येक बूथ, मंडल, जिला एवं प्रदेश स्तर पर बड़े ही धूमधाम से मनाने की जिम्मेदारी सौंप गई है।
इसके तहत प्रदेश के 1 लाख 63 हजार बूथों पर भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती को भाजपा समरसमता दिवस के रूप में मनाएगी। इस मौके पर सहभोज, गोष्ठियां तथा राष्ट्र निर्माण में बाबा साहेब के योगदान की चर्चा करेंगे।
भाजपा प्रदेश के 1.63 लाख बूथों पर मनाएगी बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की जयंती।
प्रदेश महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ला का बयान
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती को लेकर पार्टी के प्रदेश महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ला ने बताया कि पार्टी के कार्यकर्ता, पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि इस दिन को बूथ स्तर पर मनाते हुए बाबा साहेब को नमन करेंगे और बाबा साहेब की जयंती पर उनकी प्रतिमाओं पर मार्ल्यापण करेंगे। वहीं इस मौके परबाबा साहेब के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर गोष्ठियों के माध्यम से व्याख्यान होगें।
भाजपा प्रदेश महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ला का बयान।
बसपा के दलित वोट बैंक पर भाजपा की निगाह
उत्तर प्रदेश में लगभग 22% दलितों की आबादी है और यह वर्ग आजादी के बाद कांग्रेस के साथ खड़ा रहा , वही तकरीबन ढाई दशक तक बसपा के साथ रहा, लेकिन अब उसमें भाजपा गहरी सेंध लगाते दिख रही है।
बसपा से खिसकते दलित वोट बैंक को सपा के साथ ही कांग्रेस भी हथियाने की कोशिश में है। सपा-कांग्रेस गठबंधन को उम्मीद है कि दलित-मुस्लिम गठजोड़ से उन्हें अबकी चुनाव में लाभ होगा।
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