राधा-कृष्ण और गोपियों के बाल रूप संग भक्तों ने खेली होली
नृत्य और गायन के बीच पहली बार मना उत्सव
शिवपुरी।
श्री सिद्धेश्वर महादेव सेवा समिति के तत्वाधान में सिद्धेश्वर मंदिर के
इतिहास में पहली बार सिद्धेश्वर मंदिर प्रांगण में फूलों की होली खेली गई
जिसका भक्तगणों ने जमकर लुत्फ उठाया और वह आनंद से सराबोर हो उठे। मंदिर
में भगवान कृष्ण, राधा तथा गोपियों के बाल रूप के साथ भक्तों ने फूल बरसाकर
साथ होली खेली। इस अवसर पर मंदिर का पूरा प्रांगण फूलों से लबालब भर गया।
आनंद के इन क्षणों में प्रसिद्ध गायक लोकेश गोस्वामी ने अपने अनुज तथा
गायिका संगीता श्रीवास्तव के साथ जब सुमधुर भजनों का गायन किया तो भक्तगण
झूम उठे और राधा-कृष्ण के अद्भुत और अलौकिक प्रेम के वशीभूत होकर नाचने
लगे। इस अवसर पर सभी भक्तगणों ने ठण्डाई का सेवन किया और कार्यक्रम के अंत
में उन्हें प्रसाद वितरित किया गया। होली के इस आयोजन में सिद्धेश्वर
महादेव सेवा समिति के डॉ. रामकुमार शिवहरे, राजेन्द्र गुप्ता, संतोष
शिवहरे, तेजमल सांखला, ओमप्रकाश गर्ग, गिरीश मिश्रा, आदित्य शिवपुरी, अशोक
कोचेटा, अवधेश सक्सैना, दिनेश गर्ग, रामसेवक गुप्ता, कपिल जैन जैनी आदि की
महत्वपूर्ण भूमिका रही। आयोजन में राधा कृष्ण और गोपियों की भूमिका में मदर
टेरेसा स्कूल के नन्हे-मुन्ने बालक-बालिकाओं ने भाग लेकर अपना महत्वपूर्ण
योगदान दिया। अंत में श्री सिद्धेश्वर महादेव सेवा समिति की ओर से डॉ.
रामकुमार शिवहरे ने मदर टेरेसा स्कूल के बच्चों का सम्मान करते हुए उन्हें
स्मृति चिन्ह भेंट किए।
पहली बार मना रंगपंचमी पर्व
रंगपंचमी
का त्यौहार उत्साहपूर्वक मनाने की शिवपुरी में परंपरा नहीं है। इस दिन
मालवा में अवश्य उत्साहपूर्वक त्यौहार मनाया जाता है, लेकिन पहली बार श्री
सिद्धेश्वर महादेव सेवा समिति ने रंगपंचमी पर फूलों की होली मनाने का
निर्णय लिया। शाम पांच बजे से मंदिर प्रांगण की यज्ञशाला में रंगपंचमी का
त्यौहार शुरू हो गया और भजन गायकों ने भजन गाकर माहौल को रोमांचित बनाने का
प्रयास किया।
नन्हे-मुन्नों ने धारण किया राधा-कृष्ण का रूप
मदर
टेरेसा स्कूल के संचालक गजेन्द्र शिवहरे शाम के वक्त अपने स्कूल के नन्हे
मुन्ने बच्चों को लेकर आए। बच्चों ने भगवान कृष्ण, राधा और गोपियों का
आकर्षक वेश धारण किया था। भगवान श्रीकृष्ण के मुख पर मुरली सजी हुई थी।
जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण और राधा तथा गोपियां बाल रूप में मंच पर पधारे
वैसे ही भक्तगणों ने तालियों की गडग़ड़ाहट के साथ उनका स्वागत किया और फिर
भगवान के साथ फूलों की होली खेलने का सिलसिला शुरू हो गया। भक्तगणों ने
भक्तिभाव से प्रेरित होकर राधा, कृष्ण और गोपियों पर फूलों की बरसात कर दी
और पूरा माहौल पुष्प की गंध से खुशबूमय हो गया।
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