इंदौर, केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना ‘सीजीएचएस’ के तहत सरकारी अस्पताल के मरीज को प्राइवेट अस्पताल में इलाज की सुविधा मिली है। इसका पैकेज 10 हजार रुपए रखा गया है। इतने कम रेट पर अधिकतर निजी अस्पताल इलाज नहीं करना चाहते, क्योंकि अब फ्रैक्चर को ठीक करने, प्लेट लगाने सहित अन्य खर्च बढ़ चुके हैं। इसीलिए सरकार यह पैकेज बढ़ाने पर विचार कर रही है।यह बात हड्डी रोग विशेषज्ञों की अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस ‘आयोकॉन-2017’ के पांचवें दिन शनिवार को यूनियन हेल्थ मंत्रालय के कोर मेंबर डॉ. अलेक्जेंडर थॉमस ने कही। उन्होंने बताया चार-पांच सालों से इस पैकेज रेट में कोई भी परिवर्तन नहीं हो सका। प्राइवेट अस्पतालों में कम से कम रेट में ऑपरेशन करने पर भी 30 से 40 हजार रुपए खर्च आता है। इसे वहन करना हर अस्पताल के लिए संभव भी नहीं है। इसी कारण कई मरीजों को सुविधा भी नहीं मिल पाती है।बेंगलुरु में इस तरह के इलाज का कितना खर्च आता है, उस पर प्रयोग किया गया था। पटना के डॉ. प्रवीण कुमार के पूछने पर कि सीजीएचएस के रेट में कब तक सुधार संभव है?, डॉ. अलेक्जेंडर ने बताया इंडियन आर्थोपेडिक एसोसिएशन के माध्यम से सरकार से चर्चा कर जल्द ही रेट में सुधार करवाने पहल की जाएगी। कर्नाटक से आए डॉ. राज शेखरन ने बताया कि एक्सीडेंट होने के बाद जल्द इलाज किया जाए तो शरीर के प्रभावित अंग को बचाया जा सकता है। इसमें देरी से त्वचा व मांसपेशियों में असर होता है। उन्होंने रिसर्च के अनुसार जल्द इलाज मिलने से 88 प्रतिशत केस में मरीजों को ठीक करने की जानकारी दी।
एसवीएफ तकनीक से ठीक होगा कमर दर्द
ऑस्ट्रेलिया के डॉ. वी. थॉमस ने बताया कि उम्र बढ़ने के साथ ही मांसपेशियों में भी बदलाव होता है। जो कमजोर होकर कमर दर्द का कारण बनते हैं। अभी ऐसी कोई भी तकनीक नहीं है जो इनमें होने वाले बदलाव को खत्म कर सके। ऑस्ट्रेलिया सरकार की मदद से इस पर काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया हमने जानवरों पर स्ट्रोमल वास्क्युलर फ्रेक्शन (एसवीएफ) तकनीक के साथ नैनो स्केफोल्ड तकनीक का प्रयोग किया।
एसवीएफ में शरीर के फेट को लेकर ट्रीटमेंट किया जाता है। इसमें आए रिजल्ट सकारात्मक रहे। जिन जानवरों की उम्र अधिक थी उनकी मांसपेशियां फिर से नॉर्मल पोजिशन में आने लगीं। अब इसे मनुष्यों पर प्रयोग कर देखा जाएगा। इसके लिए भारत और अमेरिका में सरकार से अनुमति लेकर इसे शुरू करेंगे।
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