धोनी के मास्टर स्ट्रोक और सहवाग के प्लान से बर्बाद होने से बचा था कोहली का कॅरिअर
अपने दौर के विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने टीम इंडिया के सबसे बड़े स्टार विराट कोहली को लेकर एक ऐसा खुलासा किया है जो राजेश खन्ना के डायलॉग ‘ये भी एक दौर है वो भी एक दौर था’ की याद दिलाता है. मोहाली टेस्ट मैच में कमेंट्री के दौरान वीरेंद्र सहवाग ने एक ऐसे वक्त की याद दिलाई जब विराट कोहली को टीम इंडिया से निकालने के हालात बन गए थे.
सहवाग ने मैच के लंच ब्रेक के दौरान बताया कि बात 2012 की है, जब टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया दौरे पर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में संघर्ष कर रही थी. युवा विराट कोहली भी लगातार फ्लॉप हो रहे थे. कोहली दो मैचों की इन चार पारियों में महज 43 रन ही बना पाए थे. इस बात से चयनकर्ता काफी निराश थे.
चयनकर्ताओं ने कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को सलाह दी कि वे विराट कोहली को टीम से बाहर कर दें. विराट की जगह रोहित शर्मा को मौका देने की बात चल रही थी.
उस समय महेंद्र सिंह धोनी टीम के कप्तान और वीरेंद्र सहवाग उपकप्तान थे. दोनों ने चयनकर्ताओं की सलाह को नजरअंदाज कर दिया और विराट कोहली को पर्थ में हुए टेस्ट मैच में खेलने का मौका दिया.
कोहली ने पहली पारी में 44 और दूसरी पारी में 75 रन बनाए थे. दूसरी पारी में तो कोहली भारत की ओर से बेस्ट स्कोरर रहे थे. इसके बाद एडिलेड में हुए चौथे टेस्ट मैच में कोहली ने शतक जमाया. ये सीरीज कोहली के करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई.
इस प्रदर्शन के बाद कोहली ने टेस्ट मैचों में पीछे मुड़कर नहीं देखा और कप्तान की कुर्सी भी हासिल कर ली. दो साल बाद विराट कोहली की अगुवाई में ही टीम इंडिया 2014 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई.
वीरेंद्र सहवाग की बताई इस कहानी में दो बातें साबित होती हैं. एक तो ये कि उस दौर में विराट कोहली टीम से निकाले जाने वाले थे जबकि आज टीम के सबसे बड़े स्टार हैं. वहीं अपने दौर में गेंदबाजों के मन में खौफ पैदा करने वाले वीरेंद्र सहवाग के कॅरिअर में एक ऐसा दौर भी आया जब उन्हें विदाई मैच तक खेलने को नहीं मिला.
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