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किडनी, लीवर व आंखों से पांच लोगों को दिया जीवनदान,

इंदौर,। हादसे में घायल महिला के ब्रेनडेड घोषित होने के बाद परिवार द्वारा लिए गए अंगदान के निर्णय से पांच लोगों को नया जीवन मिलने की उम्मीद जागी है। शनिवार शाम गुरुग्राम (गुड़गांव) से आई डॉक्टरों की टीम ने ऑपरेशन किया। लिवर व दोनों किडनी को तीन अस्पतालों में पहुंचाने के लिए शहर में तीन ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए।प्रदेश में पहली बार किसी सरकारी अस्पताल में ऑर्गन डोनेशन की प्रक्रिया पूरी की गई है। शनिवार रात एमवायएच से लिवर को चोइथराम अस्पताल भेजा गया। इसके बाद पहली किडनी बॉम्बे अस्पताल और दूसरी ग्रेटर कैलाश अस्पताल भेजी गई। जबकि आंखें एमके इंटरनेशनल आई बैंक, इंदौर भेजी गईं। स्किन को चोइथराम स्किन बैंक भेजा जाएगा।लालबाग के पास शुक्रवार शाम बाल्दा कॉलोनी (महू नाका) निवासी शारदा मौर्य (65) हादसे में घायल हो गई थीं। उन्हें यूनिक अस्पताल में भर्ती किया गया। उनके सिर में गहरी चोट लगने व नस डेमेज होने से ब्रेनडेड घोषित किया गया। उनके अंगदान को लेकर बेटे कमलेश व मोतीलाल ने कलेक्टर निशांत वरवड़े व संभागायुक्त संजय दुबे से बात की। उन्होंने इसके किए सहायता का आश्वासन देते हुए मुस्कान ग्रुप के जीतू बघानी, संदीपन आर्य व हरपाल शीतलानी को स्थिति का पता लगाने व परिजन से बात कर सहयोग के लिए कहा। शुक्रवार रात 2 बजे शारदा को एमवायएच शिफ्ट किया गया। रात 3 बजे पहला ब्रेनडेड व शनिवार दोपहर 3 बजे दूसरा ब्रेन डेड सर्टिफिकेट दिया गया। फोर्टिस अस्पताल गुरुग्राम के डॉक्टर अजिताभ श्रीवास्तव, डॉ. आरिफ अली व डॉ. पीयूष श्रीवास्तव ने यह ऑपरेशन किया। इसके बाद प्रशासन, अस्पताल व पुलिस के सहयोग से अंगों को अलग-अलग अस्पताल पहुंचाया गया।
छह मिनट में लिवर पहुंचा चोइथराम
डॉक्टरों की टीम ने शाम 5.15 बजे प्रक्रिया शुरू की। शाम 7.48 बजे लिवर को एंबुलेंस से चोइथराम अस्पताल भेजा गया, जो 7.54 बजे पहुंचा।
चार मिनट में बॉम्बे अस्पताल पहुंची पहली किडनी
8.05 बजे पहली किडनी बॉम्बे अस्पताल भेजी गई, जो बीआरटीएस से होते हुए 8.09 बजे वहां पहुंची। तीन मिनट में ग्रेटर कैलाश पहुंची दूसरी किडनी
8.08 बजे दूसरी किडनी ग्रेटर कैलाश अस्पताल भेजी गई। यह बीआरटीएस से होते हुए 8.11 बजे पहुंची।
सामाजिक कार्यकर्ता से बनी थी पहचान
शारदा मौर्य की अपने ़क्षेत्र में सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पहचान बनी थी। किसी की भी मदद के लिए वे हमेशा तत्पर रहती थीं। क्षेत्र की महिलाओं को जागरूक करना, उनकी समस्याओं को दूर करना व योजनाओं का लाभ दिलाना उनकी दिनचर्या में ही शामिल हो चुका था।
बेटों की आंखें हुईं नम
चोइथराम के लिए जब लिवर भेजा जा रहा था, इसी दौरान शारदा के दोनों बेटों की आंखें नम हो गईं। परिवार के अन्य सदस्यों ने भी बॉक्स को छूकर श्रद्धांजलि दी। इस दौरान हर किसी की आंखें नम थीं।
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