कानपुर

दिल्ली में पार्टी कार्यालय पर अजय कपूर ने भाजपा की सदस्यता ली।
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव रहे अजय कपूर ने बुधवार को भाजपा जॉइन कर ली। उन्होंने एक दिन पहले यानी 12 मार्च को ही पार्टी और पद से इस्तीफा दिया था। मंगलवार को उन्होंने अपने X अकाउंट से कांग्रेस का जिक्र भी हटा दिया था।
दिल्ली के भाजपा ऑफिस में राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े और राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी ने अजय कपूर को भाजपा की सदस्यता दिलाई।
भाजपा में शामिल होने के बाद अजय कपूर ने कहा- देश के लिए काम करना भाजपा में ही संभव है। कांग्रेस समेत तमाम दलों के नेताओं का मुझे समर्थन मिला है। 36 साल तक कांग्रेस में रहने के बाद आज मोदी परिवार में शामिल हुआ हूं।
अजय कपूर कानपुर की राजनीति का बड़ा चेहरा हैं। वह कानपुर की गोविंदनगर सीट से दो बार और किदवई नगर सीट से एक बार यानी कुल 3 बार विधायक रह चुके हैं। साथ ही राहुल गांधी और प्रियंका के करीबी नेताओं में रहे हैं। हाल ही में राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ जब कानपुर पहुंची थी, तो अजय पूरे वक्त उनके साथ थे।

कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव रहे अजय कपूर के भाजपा जॉइन करने के बाद एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर जश्न मनाते उनके समर्थक।
ब्रजेश पाठक ने लिखी जॉइनिंग की पटकथा
सियासी गलियारों में चर्चा है कि अजय कपूर को भाजपा में शामिल कराने के लिए पूरी पटकथा डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने लिखी। उन्होंने अजय कपूर की बात आलाकमान तक पहुंचाई। इसके अलावा अजय ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी दिल्ली में कई बार मुलाकात की। राजनाथ सिंह ने भी अजय कपूर को पार्टी में आने के लिए समझाया।
कानपुर सीट पर अभी तक भाजपा ने प्रत्याशी की घोषणा भी नहीं की है। अटकलें हैं कि भाजपा अजय कपूर को कानपुर से लोकसभा का उम्मीदवार बना सकती है। अभी सत्यदेव पचौरी यहां से भाजपा के सांसद हैं। हालांकि, मौजूदा समय में मालिनी अवस्थी, दिनेश शर्मा और नीतू सिंह टिकट की दौड़ में शामिल हैं। अब इस लिस्ट में अजय कपूर का नाम भी जुड़ गया है।
- अजय कपूर के भाजपा में शामिल होने की 2 बड़ी वजहें…

हाल ही में दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से डिप्टी सीएम बृजेश पाठक और विधानसभा अध्यक्ष ने एक साथ मुलाकात की थी। इस तस्वीर को अब अजय कपूर को भाजपा में शामिल कराने से जोड़ कर देखा जा रहा है।
1-पार्टी तलाश रही थी लोकल प्रत्याशी
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा अंदरखाने पहले से ही कानपुर से मजबूत प्रत्याशी की तलाश कर रही थी। मगर कोई भी नाम फिट नहीं बैठ रहा था। जातिगत आधार पर भी कई चेहरे तलाशे गए, लेकिन प्रत्याशी की तलाश पूरी नहीं हुई। इसमें भाजपा के हिसाब से अजय कपूर फिट बैठ रहे थे। इसलिए भाजपा अजय पर दांव लगा रही है।
अजय कपूर के आने से एक तरफ जहां कांग्रेस का बड़ा वोट बैंक भाजपा के साथ आएगा। वहीं, कानपुर से बड़ा राजनीतिक चेहरा होने के नाते जीत की राह भी आसान हो जाएगी।
2- सांसद सत्यदेव पचौरी से खुश नहीं था भाजपा आलाकमान
भाजपा ने कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र में आने वाली सभी 10 सीटों में से 9 सीटों पर प्रत्याशियों को रिपीट कर दिया है। केवल कानपुर सीट ही बाकी रह गई थी। यहां से मौजूदा सांसद सत्यदेव पचौरी भी टिकट के लिए लगातार दिल्ली के चक्कर काट रहे हैं। हाल ही में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कराए गए विकास कार्यों का पत्र भी भेजा है।
दरअसल, मेयर चुनाव में सत्यदेव पचौरी का खुलकर विरोध और बयानबाजी अब उनके गले की फांस बन गई है। चर्चा है कि भाजपा का आलाकमान भी पचौरी से खुश नहीं है। साथ ही उनकी उम्र भी 75+ है। इसलिए भाजपा उनका टिकट काट सकती है।

तस्वीर साल 2019 की है। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव बनाए जाने पर अजय कपूर ने राहुल गांधी से मुलाकात की थी।
अजय 3 बार विधायक रह चुके हैं, संपत्ति- 69 करोड़
अजय कपूर लगातार 3 बार विधायक चुने जा चुके हैं। वह साल 2002 से 2017 तक विधायक रहे। अगर, अजय की संपत्ति की बात करें, तो 2022 के विधानसभा चुनाव में नामांकन के दौरान दी गई उन्होंने कुल 69 करोड़ की संपत्ति दिखाई थी।
हालांकि, कहा यह भी जाता है कि पिछले 15 साल में उनकी संपत्ति करीब 10 गुना बढ़ी है। 2007 में नामांकन के दौरान अपनी कुल संपत्ति 5.28 करोड़ बताई थी। जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में नामांकन के दौरान उन्होंने अपनी संपत्ति 31.39 करोड़ बताई थी।
श्रीप्रकाश के बाद कांग्रेस को दी मजबूती
एक दशक पहले तक कानपुर में कांग्रेस राजनीति की दो धुरी थीं। इसमें एक गुट श्रीप्रकाश जायसवाल और दूसरा अजय कपूर का था। श्रीप्रकाश ने दिल्ली का रुख किया, तो कानपुर में अजय कपूर मजबूत होते गए। श्रीप्रकाश के राजनीतिक संन्यास के बाद अजय कपूर ने पार्टी के साथ ही कानपुर में भी राजनीति को मजबूत किया और बड़ा चेहरा बन गए।

तस्वीर विधानसभा चुनाव-2022 के समय की है। किदवईनगर में प्रियंका गांधी और अजय कपूर ने रोड शो किया था।
पंजाबी खत्री समाज पर है मजबूत पकड़
अजय कपूर का जन्म 21 फरवरी, 1967 को कानपुर में हुआ था। उन्होंने राजनीति की शुरुआत 80 के दशक में की और सबसे पहले निर्दलीय पार्षद चुने गए। इसके बाद 90 के दशक में कांग्रेस में जगह बनाई। अजय कपूर पंजाबी-खत्री समाज से आते हैं। इसलिए उन्होंने ब्राह्मण और पंजाबी बाहुल्य गोविंदनगर विधानसभा सीट को केंद्र बनाकर अपना राजनीतिक सफर आगे बढ़ाया। पंजाबी वोट बैंक के अलावा भी अजय कपूर का कानपुर के दक्षिण क्षेत्र में अच्छा वोट बैंक है।
इसके बाद 2002 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में गोविंद नगर से 53 हजार वोटों से विधानसभा चुनाव जीता। इसके बाद 2007 में फिर से गोविंद नगर से चुनाव जीता। 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने तीसरी बार विधानसभा चुनाव जीता। लेकिन इस बार किदवई नगर सीट से उतरे। हालांकि, यह क्षेत्र पहले गोविंद नगर निर्वाचन क्षेत्र का ही हिस्सा था।
विधानसभा चुनावों में अजय दो बार भाजपा के बालचंद्र मिश्रा से हारे। तीसरी बार कांग्रेस और बसपा से हुए गठबंधन के चलते वह चुनाव नहीं लड़ सके।
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के रिश्तेदार
अजय कपूर भाजपा नेता और विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के रिश्तेदार भी हैं। अजय कपूर के भाई विजय कपूर कानपुर के बड़े उद्योगपति हैं और पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं। कहा जाता है कि अजय की समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से भी खूब नजदीकी थी। इसीलिए चुनावों में गोविंदनगर सीट से अजय कपूर की सुविधा के हिसाब से ही सपा प्रत्याशी उतारती थी।
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