लखनऊ
मिशन गगनयान में लखनऊ के विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला भी शामिल।
गगनयान मिशन के लिए 150 में से 4 फाइटर पायलट चुने गए हैं। इनमें से 2 यूपी के लड़के हैं। इनके नाम हैं-विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला और ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप। शुभांशु लखनऊ के और अंगद प्रयागराज के रहने वाले हैं।
शुभांशु का बचपन लखनऊ की गलियों में गुजरा है। बचपन से ही उन्हें रफ्तार का शौक था। उन्होंने अलीगंज के CMS स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई की।
इसके बाद NDA से वायुसेना में गए। शुभांशु को 2000 घंटे फ्लाइंग एक्सपीरिएंस है। इस मिशन के लिए उन्होंने रूस-अमेरिका में 4 साल की टफ ट्रेनिंग ली है।
अब शुभांशु के बारे में आपको बताते हैं…
शुभांशु शुक्ला लखनऊ के त्रिवेणी नगर के रहने वाले हैं। उनकी दो बहने हैं। 10 अक्टूबर 1985 को उनका जन्म हुआ। उनके पिता शंभूदयाल शुक्ला सचिवालय थे। मगर 2009 में वो रिटायर हो गए। मां आशा शुक्ला गृहिणी हैं। पिता ने दैनिक भास्कर को बताया, “बेटे का सपना था कि वह एयरफोर्स में जाए। उसे रफ्तार का शौक था।
10वीं के बाद ही उसने इसके लिए प्रीपरेशन शुरू कर दी थी। बीच में एक समय आया था कि जब उसे थोड़ा हिचकिचाहट हुई। मगर उसने आसानी से इससे पार पा लिया। 2002 में 16 साल की उम्र में ही बेटे ने NDA क्वालीफाई किया था।
फिर 2006 में उसे कमीशन मिला। एयरफोर्स में भुज, जोधपुर, सूरतगढ़, श्रीनगर समेत कई जगहों पर तैनाती रही। 2009 में बेटे शुभांशु की कामना से शादी हुई। दोनों का एक बेटा भी है जिसका नाम कियास है। बेटे ने गगनयान मिशन के लिए 4 साल तक रूस और अमेरिका सहित कई देशों में टफ ट्रेनिंग ली। इस दौरान बेटे ने टफ डाइट फॉलो किया।
स्वभाव से शर्मीले, पर पढ़ाई में परफेक्ट थे शुभांशु
शुभांशु को मैथ्स पढ़ाने वाले टीचर नागेश्वर प्रसाद शुक्ला कहते हैं कि साल 1989 में CMS की KG में एडमिशन लिया। साल 2002 में 12वीं पास की। क्लास प्रेजेंटेशन में भी बेहतरीन परफॉर्म करते थे। टीचर्स का बहुत सम्मान भी करते थे। उनकी पत्नी कामना ने भी इसी स्कूल से पढ़ाई की है। शुभांशु हमेशा से ब्राइट स्टूडेंट रहे। आज उनकी कामयाबी पर सभी टीचर्स को भी गर्व है।
अब ग्राफिक के जरिए प्रयागराज के अंगद के बारे में जानिए…
हिंद महासागर में होगी अंतरिक्ष यान की लैंडिंग
विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSCC) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चारों एस्ट्रोनॉट्स को एस्ट्रोनॉट विंग्स दिए।
मिशन के लिए केरल के ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नैयर, तमिलनाडु के ग्रुप कैप्टन अजित कृष्णन का भी चयन हुआ है। मिशन के तहत अंतरिक्षयान पृथ्वी से 400 किमी. ऊपर तीन दिन तक परिक्रमा करेगा। फिर हिंद महासागर में इसकी लैंडिंग कराई जाएगी।
इस मिशन के तहत वर्ष 2019 में रूस की ग्लावकॉसमास व ISRO के बीच समझौता हुआ था। फरवरी 20 से मार्च 21 तक यूरी गगारिन कॉसमोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में उन्हें प्रशिक्षण मिला।
गगनयान मिशन के लिए चुने गए एस्ट्रोनॉट्स ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला (बाएं से दाएं)।
4 एस्ट्रोनॉट्स के बारे में 4 बातें…
1. चुने गए चारों एस्ट्रोनॉट्स बेंगलुरु स्थित एयरफोर्स के एयरक्राफ्ट एंड सिस्टम टेस्टिंग एस्टिब्लिशमेंट के टेस्ट पायलट्स हैं।
2. एस्ट्रोनॉट बनने के लिए बड़ी संख्या में पायलट्स ने एप्लिकेशन दी थी। इनमें से 12 ने सितंबर 2019 में पहले लेवल का सिलेक्शन प्रोसेस कम्प्लीट किया था। इसके बाद कई राउंड के सिलेक्शन राउंड के बाद 4 को सिलेक्ट किया गया।
3. जून 2019 में ISRO और रूस की स्पेस एजेंसी के बीच पायलट्स की ट्रेनिंग के लिए करार हुआ था। इसके बाद इन पायलट्स को रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर भेजा गया। यहां पर फरवरी 2020 से मार्च 2021 तक इनकी ट्रेनिंग हुई।
4. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि इन एस्ट्रोनॉट्स में से किसी एक को अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA भी ट्रेनिंग देगी। यह ट्रेनिंग 2024 के आखिर में इंटरनेशल स्पेस स्टेशन के एक मिशन के लिए होगी।
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