Pulwama Attack: अश्विनी 4 भाइयों में सबसे छोटा था। बेटे को खोने का गम ऐसा है कि आंखें रो-रोकर पथरा गई हैं।
जबलपुर। पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले में जबलपुर का लाल अश्विनी काछी भी शहीद हो गया। परिवार को गुरुवार देर रात इस बात का पता चला कि उनका बेटा आतंकियों की कायराना हरकत का शिकार हुआ है। उसके बाद से ही परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। चार भाईयों में सबसे छोटा होने की वजह से अश्विनी सबका लाड़ला था। बाकी तीन भाई जहां दिहाड़ी मजदूरी करके पेट पालते थे। वहीं अश्विनी ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद सीआरपीएफ में भर्ती हुआ था। फिलहाल वो सीआरपीएफ की 33वीं बटालियन में तैनात था।
इस बीच ये खबर आ रही है कि जबलपुर में होने वाली कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ शनिवार शाम 4 बजे के बाद शहीद अश्विनी के घर सिहोरा जाएंगे। इसके लिए हेलीपेड बनाया जा रहा है।
मां के आंसू थम नहीं रहे
अपने कलेजे के टुकड़े के शहीद होने की खबर सुनने के बाद से ही मां का रो-रोकर बुरा हाल है। वो सुध-बुध खो बैठी है। रह-रहकर अपने बेटे को याद करती है और सरकार से बदला लेने की मांग कर रही है। अपने छोटे भाई को खोने के बाद बाकी भाई भी गमगीन है। उनकी आंखें भी रह-रहकर भर आ रही हैं। बात करते-करते गला रुंध जाता है। फिर भी उन्हें फक्र है कि तीस साल की छोटी उम्र में ही भाई देश के लिए शहीद हो गया।
पिता को पता चला तो खड़े के खड़े रह गए
दुनिया का सबसे बड़ा बोझ होता है, जब पिता के कंधे पर बेटा अपने अंतिम सफर पर निकले। शहीद जवान अश्विनी के बुजुर्ग पिता सुकरू पटेल भी अपने बेटे को खोने का दर्द भुला नहीं पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि देर रात जम्मू-कश्मीर से फोन आया था। बड़े बेटे सुमंत पटेल ने फोन उठाया तो उधर से जवाब मिला कि घर में अगर कोई बड़ा हो तो बात कराएं। सामने पिता खड़े थे। उन्होंने पिता को फोन थमाया तो उधर से खबर मिली कि आपका बेटा आतंकी हमले में शहीद हो गया है। ये खबर सुनते ही बुजुर्ग बाप हिल गए। वो खड़े के खड़े ही रह गए।
अश्विनी की पहली पोस्टिंग ही श्रीनगर में हुई थी। वो महीने भर महाराष्ट्र में शूटिंग की ट्रेनिंग भी लेकर आया था। वहीं घर वाले भी अपने लाल के सिर पर सेहरा बांधने की तैयारी कर रहे थे। अश्विनी ने अपने दोस्त से कहा था कि वो लड़की देखने आएगा। लेकिन किसे पता था कि वो अब घर तो आएगा, लेकिन तिरंगे में लिपटकर।
दिन भर नेताओं का लगा रहा तांता
शहीद अश्विनी काछी के घर पर आज सुबह से ही नेताओं का आना लगा हुआ है। भाजपा विधायक अजय बिश्नोई ने घर पहुंचकर शहीद को श्रद्धांजलि दी। वहीं प्रभारी मंत्री प्रियव्रत सिंह और प्रदेश के वित्त मंत्री तरुण भनोत भी श्रद्धांजलि देने पहुंचेंगे। इस बीच जानकारी आ रही है कि शहीद का पार्थिव शरीर शनिवार सुबह हेलिकॉप्टर से पैतृक गांव पहुंचेगा। यहां शहीद को अंतिम विदाई देने की तैयारी चल रही है।
शहीद के नाम से है गांव की पहचान
अंचल में वीर सपूतों की धरा कहे जाने वाले खुड़ावल गांव की धरती का एक लाल पहले शहीद हो चुका है। जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में तैनात खुड़ावल का बेटा रामेश्वर पटेल कुछ साल पहले आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हुआ था। इसके अलावा इस गांव के पचास से ज्यादा युवा सेना में सेवा दे रहे हैं।
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