दिल्ली। देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में कोविड से संबंधित अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई जारी है। इसी सिलसिले में आज सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर की गई है, जो दावा करती है कि टीकाकरण अभियान में 32 हजार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है।
यह याचिका वकील दीपक आनंद मसीह की ओर से दाखिल की गई है। याचिका में कोरोना से निपटने के लिए केंद्र सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाए हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि पश्चिमी देशों में कोरोना की वैक्सीन तैयार कर ली गई, लेकिन उनकी लागत और कीमत 150-200 रुपये ज्यादा नही है।
वहीं देश में यही वैक्सीन आम लोगों को 600 रुपये तक में मिल रही है। अब जब 18 साल से ज्यादा आयु के लोगों को वैक्सीन लगने वाली है तो, कीमत भी बढ़ गई है। एक अनुमान के मुताबिक, अभी 80 करोड़ लोगों को टीके की खुराक लगनी है। ऐसे में टीके का कीमत का हिसाब लगाया जाए तो 32 हजार करोड़ रुपये का घोटाला सामने आता है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने नेशनल साइंटिफिक फोर्स तो बना दी लेकिन फरवरी-मार्च में उसकी एक भी बैठक नहीं हुई। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव जारी थे। इसके अलावा याचिका में यह भी कहा गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति को भी पूरे देश में लॉकडाउन लगाने का अधिकार नहीं है लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री को है।
याचिका में कहा गया कि देश में लॉकडाउन लगाकर भी देख लिया लेकिन इससे कुछ भी हासिल नहीं हुआ। याचिका में कहा गया कि समस्या संसाधनों से ज्यादा सरकारी नीतियों की रही। वकील दीपक आनंद मसीह ने कोर्ट ने अपील की कि सरकार को सही नीतियां बनाकर उन पर अमल करने का आदेश दिया जाए।
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