इंदौर। सरदार सरोवर बांध से बिजली पैदा होने लगी है। कई शहर, गांव, कस्बे रोशनी से नहा उठेंगे लेकिन इसकी कीमत चुकाने वाले सैकड़ों गांव अंधेरे में हैं। इनके रंग, रोशनी, तीज-त्योहार सब फीके हैं। न ईद की रौनक है न राखी पर बहन के हाथों में मेहंदी की खुशबू…। पानी में डूबे मकानों को देखने की बेबसी और जिंदगी में बेरुखी ही दूर तक पसरी है। अपने घर-खेत को धीरे-धीरे डूबते देखना प्रभावितों के लिए मृत्युशैया पर लेटे अपने प्रिय को तड़प-तड़प कर मरते देखने जैसा है। बांध पर पानी के दबाव की कोई आंच न आए, इसलिए अब हर 48 घंटे में 1 एक फीट पानी भरकर उसे परखा जाएगा।
शनिवार को बांध का जलस्तर 130 मीटर था। जलस्तर अब धीरे-धीरे बढ़ेगा और नदी की जद में आ रहे गांव तिनका-तिनका डूबेंगे। जो नई जगह मिली है, वहां की मिट्टी में पुराने गांव जैसी महक विस्थापितों को महसूस नहीं हो रही है। नया घर कितना फलेगा, व्यापार कितना चलेगा? उनकी यह चिंता वाजिब है। बात-बात पर उसे जाहिर भी करते हैं। निसरपुर में कुमरावत की कचोरी आसपास के गांवों तक सफर करती थी। दिनभर में 300 से ज्यादा नग कढ़ाई में तलने के लिए उतरते थे और हाथोंहाथ बिक जाते थे। अब भट्टी की राख ठंडी है। कढ़ाई भी औधे मुंह पड़ी है। अब नई जगह धंधा जमने में कितना समय लगेगा? कितना चलेगा? कचोरी वाले सेठ को यह चिंता साल रही है
बड़े बोहरा की दुकान गांव की विरासत : निसरपुर के लकड़ी के मंदिर, पुरानी बावड़ी की तरह बड़े बोहरा की दुकान भी गांव वालों के लिए ऐतिहासिक महत्व रखती है। पूरे 110 साल पुरानी है। काउंटर पर नक्काशीदार लकड़ी, सागवन की लकड़ी से बने खांचे। कुछ भी बदलने का सोचा नहीं कभी। फकरीह बोहरा बताते हैं कि मेरे दादा, पिता मैं और मेरे बेटे ने इस विरासत को अब तक संभाले रखा। कुछ दिनों में सबकुछ डूब जाएगा। नई जगह दुकान खोल भी लेंगे तो यहां जैसी बात नहीं रहेगी। इस पेढ़ी से हमारा पेट ही नहीं, दिल भी लगा है।
मांगीलाल कहार कहते हैं कि नर्मदा मैया के किनारे हमारी रोजी-रोटी भी थी और घर भी। मछलियां पकड़ कर गांव के बाजार में बेच कर पैसे कमा लेते थे घर डूब गया और बाजार भी। अब कैसे परिवार का पेट पालूंगा, यह सोचकर ही डर लगता है। चिखल्दा गांव के संतोष तुलसीराम बताते हैं कि हमारा गुजारा तो खेतों से चलता था, वो भी डूब रहे हैं लेकिन मुआवजा नहीं मिला है। नई बसाहट में खुद के रहने के लिए घर नहीं बना पाए। पशुओं को कहां रखेंगे, ये समझ नहीं आ रहा है।
नया पुल जोड़ेगा कारोबार की कड़ी : निसरपुर से नर्मदा पार के 30 से ज्यादा गांवों को जोड़ने वाला पुल डूब गया। नए पुल का सिर्फ ढांचा खड़ा है। उसे बनने में लंबा समय लग सकता है। व्यापारियों का कहना है कि यदि पुल जल्दी बन जाएगा तो जिंदगी फिर पटरी पर आएगी। पुल बनने से आसपास के गांवों का संपर्क जुड़ेगा और उसका फायदा हमें मिलेगा, लेकिन अधिकारी इस बात को नहीं समझ पा रहे हैं।
अब आगे क्या
सरदार सरोवर बांध को 138 मीटर तक भरकर उसका परीक्षण किया जएगा। पहली बार बांध से पूरी क्षमता से बिजली उत्पादन शुरू होगा। इसका बड़ा हिस्सा मध्य प्रदेश को मिलेगा। बांध से जुड़ी नहरों से कई गांवों को और ज्यादा पानी पहुंचाया जा सकेगा।
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