शिवपुरी। शहर की न्यू ब्लॉक कॉलोनी मंे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रेम नारायण नागर के घर शनिवार की आधी रात दाे बदमाश लूटपाट करने घुस गए। बदमाशों ने कट्टा अड़ाकर लूट की कोशिश की। लेकिन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रेमनारायण के 70 साल के बेटे दिलीप नागर और 66 साल की बहू नीता नागर ने बदमाशों से करीब बीस मिनट कड़ा संघर्ष किया। बुजुर्ग दंपत्ति को संघर्ष करते देख बदमाश घबरा गए और उनके हाथ गद्दे के नीचे रखे 7 से 10 हजार रुपए ही लगे। आखिरकार बुजुर्ग दंपती की हिम्मत के आगे लुटेरे डरकर भाग गए। हुलिए के आधार पर बदमाशों की उम्र 25 साल बताई जा रही है।
जानकारी के अनुसार स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं वरिष्ठ पत्रकार प्रेम नारायण नागर (96) इन दिनों उज्जैन में रह रहे हैं। न्यू ब्लॉक शिवपुरी स्थित मकान पर उनके बेटे दिलीप नागर (70) पुत्र प्रेमनारायण और बहू नीता नागर (66) पत्नी दिलीप नागर रह रहे हैं। शनिवार -रविवार की दरम्यानी रात करीब 2 बजे दाे बदमाश मास्क पहनकर घर में घुस आए। एक बदमाश ने दिलीप नागर पर कट्टा अड़ा दिया और दूसरे बदमाश ने अंदर दूसरे कमरे में पत्नी नीता नागर का गला दबोच लिया। लेकिन दोनों ही बुजुर्ग दंपत्ति बदमाशों से डरे नहीं और डटकर संघर्ष किया। ऐसे हालातों में एक बदमाश ने बिस्तर का गद्दा उठाया तो नीचे रखे 7 से 10 हजार रु. मिल गए और अपने दूसरे साथी से भाग चलने की बात कही। इसके बाद दोनों बदमाश मौके से भाग निकले। मामले की सूचना पर कोतवाली पुलिस ने अज्ञात बदमाशों के खिलाफ केस दर्ज कर तलाश शुरू कर दी है। पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह चंदेल भी मौके पर पहुंचे और घटनास्थल का जायजा लिया।
दिलीप नागर ने बताया कि रात 2 बजे उनकी आंख खुली तो एक बदमाश उनके सामने खड़ा था। उसने कनपटी पर कट्टा तान दिया और धमकाने लगा कि जितने भी पैसे हैं, निकालकर दे दे, नहीं तो गोली मार दूंगा। मैं घबराया नहीं और बदमाश के जिस हाथ में कट्टा था, उसे जोर से पकड़े रहा और संघर्ष करने लगा। मैंने उसका गला पकड़ लिया। इसी दौरान पत्नी से कहा कि मेरा लट्ठ उठाकर लाओ, इसको सबक सिखाता हूं। बाद में पता चला कि एक बदमाश अंदर के कमरे में भी है, उसने पत्नी का गला दबा रखा था। हाथ में लोहे के नाखून वाला औजार पहन रखा था। बदमाश ने गला, मुंह, माथा, बाएं हाथ के कंधे पर खरोंच लिया, जिससे घाव हो गए। दिलीप नागर भी संघर्ष में जख्मी हुए हैं। लेकिन आखिर तक हम लोग जूझते रहे। जब बदमाशों को लगा कि ये लोग हार मानने वाले नहंी हैं तो वे गद्दे के नीचे से कुछ रुपए उठाकर भाग निकले। रविवार की सुबह अस्पताल जाकर खुद का इलाज कराया।
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