
क्या इस बार अवैध संचालित स्कूलों पर कार्यवाही करेगा प्रशासन या फिर परंपरा रहेगी कायम
अजय सिंह कुशवाह शिवपुरी। शिक्षा सत्र प्रारंभ होने के बाद शहर में बच्चों व अभिभावकों को अंधेरे में रखकर मान्यता से अधिक स्तर की कक्षाएं संचालित करने के मामले विगत वर्षों में लगातार सामने आते रहे हैं, लेकिन ऐसे स्कूल संचालकों के विरूद्ध कार्यवाही करने से प्रशासन एवं शिक्षा विभाग परहेज करता आ रहा है। कार्यवाही न करने के ऐवज में बच्चों के भविष्य बर्बाद होने का हवाला देकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। इसी के परिणामस्वरूप ऐसे बिना मान्यता के स्कूल संचालकों के हौंसले बुलंद बने हुए हैं और वह साल दर साल अपने स्कूलों का संचालन करते आ रहे हैं। अभी सत्र प्रारंभ होने में 10 दिन शेष हैं, लेकिन अवैध रूप से संचालित होने वाले इन स्कूल संचालकों ने अपनी गतिविधियां प्रारंभ कर दी हैं, लेकिन प्रशासन और शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों के पास इन स्कूल संचालकों को रोकने की कोई योजना सामने नहीं आ रही है। अब देखना होगा कि क्या प्रशासन इन अवैध स्कूल संचालकों के खिलाफ कार्यवाही करेगा या फिर इनके चलने की पुरानी परंपरा कायम रहेगी। यहां बता दें कि जिन स्कूल संचालकों पर मान्यता आठवीं तक है वह 9वीं और 10वीं की कक्षाएं भी संचालित करते हैं वहीं जिनके पास मान्यता 10 वीं तक की है वह 11 वीं और 12 वी की कक्षाएं संचालित कर बच्चों को पढ़ाते हैं। विगत वर्ष शिक्षा विभाग द्वारा जांच में 11 स्कूलों को नियम विरूद्ध संचालित करते हुए पाया गया था, लेकिन इसके बाद भी इन स्कूलों का गोरखधंधा थमने का नाम नहीं ले रहा है।
साठगांठ से चलता है संचालन का खेल
्रशहर में इस तरह मान्यता विरुद्घ स्कूलों के संचालन का यह खेल लंबे समय से जारी है। बताया जाता है कि सेटिंग के चलते इस तरह अवैध तरीके से स्कूल और छात्रावासों का संचालन हो रहा है। कार्रवाई सिर्फ नोटिस जारी करने तक सीमित रह जाती है। बीते वर्ष कार्रवाई की जद में आए 11 स्कूलों को कार्रवाई किए जाने की बात कहकर चलता कर दिया था। इन स्कूल संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की बात कही जा रही थी, लेकिन कुछ समय बाद ही मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। यही कारण हैं इन स्कूल संचालकों के हौंसले बुलंद हैं।
ऐसे चलता है धोखाधड़ी का खेल
जिले में संचालित निजी स्कूलों द्वारा धोखाधड़ी का यह खेल पूरी तरह नियोजित ढंग से चलाया जा रहा है। विगत वर्ष जांच में भले ही 11 स्कूल जद में आए हो, लेकिन अब भी ऐसे और स्कूल भी संचालित हैं, जिन पर मान्यता 5वीं या फिर 8वीं कक्षा तक की ही है, लेकिन स्कूल संचालक 10वीं और 12वीं तक के बच्चों को प्रवेश दे रहे हैं। ये लोग अभिभावकों को अंधेरे में रखकर मान्यता से उच्च कक्षाओं में प्रवेश दे देते हैं। किसी और मान्यता प्राप्त स्कूल से साठगांठ कर परीक्षा में इनके नाम इन स्कूलों की मान्यता के जरिए भेज दिए जाते हैं। इसके अलावा ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जहां स्कूलों ने भ्रामक विज्ञापन व होर्डिंग भी लगाए हैं। इनमें स्कूल पर मान्यता किसी और बोर्ड की है और विज्ञापन में हवाला दूसरे बोर्ड का दिया गया है।
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