शिवपुरी। जिले में हो रही कोरोना की जांच में आरटीपीसीआर और रैपिड टेस्ट में संक्रमण दर में काफी अंतर आ रहा है। यह अंतर थोड़ा बहुत नहीं बल्कि साढ़े तीन गुना है। मरीज जब रेपिड किट से जांच कराते हैं हर दूसरा व्यक्ति पॉजीटिव आ जाता है लेकिन जब इसकी आरटीपीसीआर जांच कराई जाती है तो रिपोर्ट निगेटिव आती है। इसलिए विशेषज्ञ भी रेपिड टेस्ट बहुत हद तक सही नही मानते। रेपिड टेस्ट की सेंसटिविटी आरटीपीसीआर के मुकाबले काफी कम है।
एक से 10 मई तक आरटीपीसीआर के कुल 2781 सैंपल लिए गए, जिसमें 1553 व्यक्ति कोरोना संक्रमित मिले। वहीं रेपिड एंटीजन टेस्ट की बात करें तो इन 10 दिनों में रेपिड किट से कुल आठ हजार 174 सैंपलों की जांच की गई, जिसमें 1218 कोरोना संक्रमित मिले। इस तरह कुल 10 हजार 955 जांच की गईं यानी सिर्फ 25 फीसद जांच आरटीपीसीआर से की गईं और शेष 75 फीसद जांच रेपिड एंटीजन टेस्ट से की गई हैं। चार मई के बाद यह अंतर और बढ़ गया है और आरटीपीसीआर से महज 20 फीसद जांच ही की जा रही हैं। दोनों की संक्रमण दर की बात करें तो आरटीपीसीआर में इस माह औसत संक्रमण दर लगभग 56 प्रतिशत रही है, वहीं रेपिड एंटीजन टेस्ट में यह 16.7 प्रतिशत ही है।
रेपिड में निगेटिव, आरटीपीसीआर में पॉजिटिव
कई मरीजों की रेपिड की जांच निगेटिव आ रही है, लेकिन उनमें संक्रमण है। जब हालत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती होते हैं तो फिर पता चलता है कि संक्रमण फेफड़ों में बहुत ज्यादा फैल चुका है। रेपिड में निगेटिव होने के बाद आरटीपीसीआर और सीटी स्कैन से ही संक्रमण की पुष्टि हो पाती है। कई गंभीर मरीजों के मामले इस कारण से बिगड़ जाते हैं। रेपिड की जांच निगेटिव होने से वे खुद को संक्रमित नहीं मानते हैं और अगले तीन-चार दिन में वायरस अंदर ही अंदर बहुत ज्यादा फैल चुका होता है। वहीं कुछ केस ऐसे भी आए हैं जिसमें रेपिड में जांच पॉजीटिव आ जाती है और आरटीपीसीआर में जांच निगेटिव आती है।
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