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केपी सिंह के बचाव में जैन समाज और वकीलों ने एसपी को सौंपा ज्ञापन / Shivpuri News

शिवपुरी: पिछोर विधायक केपी सिंह कक्काजु पर हुई एफआईआर के विरोध में आज सकल जैन समाज शिवपुरी और मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के विधि एवं मानव अधिकार विभाग ने ज्ञापन देकर निष्पक्ष जांच कर एफआईआर को निरस्त करने की मांग की है।


बता दें कि केपी कक्काजु का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वह महिलाओं के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे थे। इसके बाद भाजपा महिला मोर्चा के द्वारा पिछोर थाने में केपी सिंह कक्काजु पर मामला दर्ज करवा दिया था।

जैन समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं केपी सिंह, आज समाज उनके साथ

पिछोर विधायक केपी सिंह कक्काजु पर हुई एफआईआर की निष्पक्ष जांच कर एफआईआर को निरस्त करने की मांग को लेकर पहुंचे सकल जैन समाज के लोगों ने बताया कि केपी सिंह कक्काजु सदैव जैन समाज और अन्य समाजों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए हैं। उनके द्वारा कभी भी किसी के भी बारे में अपशब्द नहीं कहे गए हैं। एक वीडियो को तोड़ मरोड़कर पेश कर उनके खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र रचा गया है। जबकि विधायक अपने क्षेत्र में हर समाज के व्यक्ति की मदद करते हैं। जैन समाज के तीर्थंकर गोलकोट तीर्थ स्थल क्षेत्र में वर्ष 2014 में चोरी हो गई थी। उस समय विधायक केपी सिंह ने दिन-रात एककर प्रशासन पर दबाव डालकर चोरों की गिरफ्तारी करवाई थी। आज भी केपी सिंह कक्काजु जैन तीर्थ स्थलों का रक्षण के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आ रहे हैं। ऐसे विधायक के खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र रच झूठी कार्यवाही कराई है।

अधिवक्ताओं ने भी सौंपे ज्ञापन

केपी सिंह कक्काजु पर हुई एफआईआर के विरोध में आज अधिवक्ताओं ने एकजुट होकर पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा है। अधिवक्ताओं का कहना है कि बिना तथ्य को जाने बिना वीडियो की जांच किए नियम विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई है। पहले वीडियो की जांच की जानी थी, इसके बाद एफआईआर की जानी थी लेकिन राजनीतिक दबाव में एफआईआर दर्ज कराई गई है जो बिल्कुल ही नियम विरुद्ध है।

अधिवक्ता धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि वायरल वीडियो को तोड़-मरोड़कर कर पेश किया गया है जबकि वीडियो 6 मिनट से भी अधिक का है। उक्त वीडियो में केपी सिंह कक्काजु अपने समर्थकों के साथ बैठकर चुनावी चर्चा कर रहे हैं। इस बैठक में न ही बच्चे शामिल हैं और न ही महिलाएं शामिल थी। विधायक अपने चुनाव को लड़ने या फिर न लड़ने के संबंध में जनता का मत पूछ रहे थे। इसी के चलते कुछ उदाहरण उनके द्वारा दिए गए थे, जिन्हें भाजपा के द्वारा तोड़-मरोड़कर पेश किया गया।

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