पिछोर: ग्राम सेमरी में बड़ी माता मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद भागवत कथा के सातवें में दिन कथाव्यास पंडित श्री आनंदपुरी महाराज ने विभिन्न प्रसंगो पर प्रवाचन और भजन गए.
भगवान श्री कृष्णा उन्होंने अनेक लीलाओं का वर्णन किया भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी के आग्रह पर अपने मित्र से सखा सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे सभी लोग अचंभित हो गए। कृष्ण सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया हुआ। उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया। जब जब भी भक्तों पर विपदा आ पड़ी है। प्रभु उनका तारण करने अवश्य आए हैं। गीता परिवार की तरफ से कस्बे में चल रही सात दिवसीय कथा शांतिपूर्ण संपत्र हुई.
इस अवसर पर कथा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के अंत में यजमान महेंद्र लोधी द्वारा आरती और हवन किया गया.




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