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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने बैराड़ में महाविद्यालय खोलने राज्य पाल को दिया ज्ञापन / Shivpuri News

बैराड़। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने ग्राम बूडदा में राज्यपाल के आगमन पर बैराड़ में महाविद्यालय खोलने की मांग को लेकर नगर मंत्री राम गणेश रावत के मार्गदर्शन में ज्ञापन सौंपा।ज्ञापन में बताया कि बैराड़ तहसील क्षेत्र में अभी तक एक भी शासकीय महाविद्यालय नहीं है,जबकि बैराड़ तहसील एक समृद्ध एवं बहुसंख्यक तहसील है मगर बहुसंख्यक तहसील होने के वावजूद भी उसमें कोई भी शासकीय महाविद्यालय नहीं है। इससे वहां के छात्र-छात्राओं को अनेक समस्या का सामना करना पड़ता है एवं उनको शिवपुरी, पोहरी, विजयपुर, ग्वालियर, कोटा एवं अन्य जिलों में अपना अध्ययन करने जाना पड़ता है। छात्र-छात्राओं को 100 कि.मी. से भी अधिक दूरी पर अपना अध्ययन करने के लिये जाना पड़ता है जिससे उनको आर्थिक रूप से भी परेशान होना पडता है जबकि बैराड़ एक विराट नगर है। जिससे डेढ़ सौ से भी अधिक गांव जुड़े हैं। किंतु इतनी आबादी होने के बावजूद भी इस तहसील में कोई भी शासकीय महाविद्यालय नहीं है महाविद्यालय बनाने का वय भी सरकार के पास आ चुका है। सरकार द्वारा जो जमीन महाविद्यालय को बनाने के लिए कालागढ़ के सर्वे नंबर 571/1 में 2 हैक्टेयर जमीन दी गई उस पर भू माफियाओं द्वारा कब्जा कर आए दिन भवन निर्माण कर अतिक्रमण हो रहा है।अतः जल्द से जल्द बैराड़ तहसील में महाविद्यालय बनवाने का कष्ट करें जिससे बैराड तहसील क्षेत्र के समस्त छात्र-छात्राओं को शिक्षा का लाभ मिल सके। जल्द से जल्द महाविद्यालय निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ नहीं कि जाती तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद चरण बद्ध आंदोलन के लिए बाध्य होगी।

इनका कहना है रामगणेश रावत नगर मंत्री।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नगर मंत्री रामगणेश रावत का कहना है कि बैराड़ नगर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और क्षेत्र के समाजसेवी भी यहां पर महाविद्यालय बनाए जाने को लेकर वर्षों से संघर्ष कर रहे है लेकिन आज तक उनकी मांग पूरी नही हो पाई,जनता को हर बार छला ही गया। मध्यप्रदेश सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने पोहरी आगमन पर बैराड़ नगर में कॉलेज बनाने की घोषणा की थी
घोषणा के बाद लोगों को कुछ उम्मीद जरूर जगी थी वर्ष 2007-8 में तत्कालीन कलेक्टर ने बैराड़ नगर के कालामढ़ में सर्वे नंबर 571/1 में 2 हैक्टेयर जमीन दी गई थी और दर्ज है पर 17 साल बाद भी यह महाविद्यालय अस्तित्व में नहीं आ पाई।

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