मुंबई। विशेष एनआइए अदालत ने मंगलवार को 2008 मालेगांव
विस्फोट मामले के दो अभियुक्तों सुधाकर चतुर्वेदी और सुधाकर द्विवेदी को
जमानत दे दी। इससे पहले इसी मामले के दो प्रमुख अभियुक्तों साध्वी प्रज्ञा
सिंह ठाकुर को बांबे हाई कोर्ट से और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत
पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है।
विशेष एनआइए अदालत
के जज एसडी तिकाले ने दोनों को समानता के आधार पर पांच-पांच लाख रुपये की
प्रतिभूति और अन्य शर्तों पर जमानत प्रदान की। दोनों पर आतंकी योजना बनाने
वाली बैठकों में हिस्सा लेने का आरोप है।
मालूम हो कि 29 सितंबर 2008
को नासिक जिले के मालेगांव कस्बे में नूराजी मस्जिद के समीप एक मोटरसाइकिल
में हुए विस्फोट से छह लोगों की मौत हो गई थी जबकि सौ अन्य घायल हुए थे।
इस मामले में ठाकुर और पुरोहित समेत 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। सभी
के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) के विभिन्न प्रावधानों के अलावा
महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका), गैरकानूनी गतिविधियां
रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामले दर्ज किए गए थे।
शुरुआत में
जांच महाराष्ट्र पुलिस और आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) के हाथ में थी।
लेकिन, अप्रैल 2011 में मामले की जांच एनआइए के हवाले कर दी गई।
जांचकर्ताओं ने 14 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए हैं। इनमें रामचंद्र
कलसांगरा और संदीप दांगे अभी तक फरार हैं।
विस्फोट मामले के दो अभियुक्तों सुधाकर चतुर्वेदी और सुधाकर द्विवेदी को
जमानत दे दी। इससे पहले इसी मामले के दो प्रमुख अभियुक्तों साध्वी प्रज्ञा
सिंह ठाकुर को बांबे हाई कोर्ट से और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत
पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है।
विशेष एनआइए अदालत
के जज एसडी तिकाले ने दोनों को समानता के आधार पर पांच-पांच लाख रुपये की
प्रतिभूति और अन्य शर्तों पर जमानत प्रदान की। दोनों पर आतंकी योजना बनाने
वाली बैठकों में हिस्सा लेने का आरोप है।
मालूम हो कि 29 सितंबर 2008
को नासिक जिले के मालेगांव कस्बे में नूराजी मस्जिद के समीप एक मोटरसाइकिल
में हुए विस्फोट से छह लोगों की मौत हो गई थी जबकि सौ अन्य घायल हुए थे।
इस मामले में ठाकुर और पुरोहित समेत 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। सभी
के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) के विभिन्न प्रावधानों के अलावा
महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका), गैरकानूनी गतिविधियां
रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामले दर्ज किए गए थे।
शुरुआत में
जांच महाराष्ट्र पुलिस और आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) के हाथ में थी।
लेकिन, अप्रैल 2011 में मामले की जांच एनआइए के हवाले कर दी गई।
जांचकर्ताओं ने 14 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए हैं। इनमें रामचंद्र
कलसांगरा और संदीप दांगे अभी तक फरार हैं।
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