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चैक अनादरण के मामले में न्यायालय ने किया आरोपी को दोष मुक्त


ऋण अदायगी के संबंध में अभियुक्त का विधिक दायित्व प्रमाणित करने में असफल रहा परिवादी

शिवपुरी।
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी मिनी गुप्ता ने चैक अनादरण के मामले में
अभियुक्त राजकुमार पाठक उर्फ राज पुत्र स्व. वीरेन्द्र सिंह यादव निवासी
कृष्णपुरम कॉलोनी को दोष मुक्त कर दिया। न्यायालय ने फैसले में लिखा है कि
परिवादी नीरज पाठक ऋण अदायगी के संबंध में अभियुक्त के विधिक दायित्व को
प्रमाणित करने में असफल रहा है। इस मामले में अभियुक्त की ओर से पैरवी
अभिभाषक आलोक श्रीवास्तव, निखिल सक्सैना, संजय शर्मा और मो.सादिक खांन
करैरा वालों ने की।
परिवादी नीरज पाठक ने न्यायालय में प्रस्तुत अभियोग
पत्र में बताया  कि वह और अभियुक्त  राजकुमार यादव अनेक वर्र्षो से
कृष्णपुरम कॉलोनी में निवास करते हैं तथा विगत 3 वर्षो से आपस में परिचित
हैं। अभियुक्त राजकुमार साफ पानी की बोतल सप्लाई का व्यवसाय करता है।
अभियुक्त को अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए धन की आवश्यकता हुई तो उसने
अभियुक्त को जून 2015 में 55 हजार रूपए बिना किसी व्याज को उधार दिए।
अभियुक्त से ऋण लिए गए धन की मांग करने पर उसके द्वारा एचडीएफसी बैक का चैक
क्रमांक 025635 दिनांक 24 अगस्त 2015 का प्रदान किया। परिवादी द्वारा उक्त
चैक इंडियन ओवरसीज बैंक शाखा शिवपुरी को प्रदान किया। जहां से 25 अगस्त
2015 को खाता बंद की टीप के साथ चैक वापस आ गया। चैक अनादरण की सूचना सूचना
पत्र अधिवक्ता के माध्यम से चार सितम्बर 2015 को दी गई। सूचना जब अभियुक्त
को नहीं मिली तो 10 सितम्बर को पुन: रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से सूचना
पत्र प्रेषित किया गया जो अभियुक्त ने लेने से मना किया। इस पर परिवादी ने
परिवाद धारा 138 से परक्राम्य लिखित अधिनियम के तहत प्रस्तुत किया गया।
न्यायालय में विचारण के दौरान यह तथ्य सामने आया कि परिवादी के पिता
विभिन्न व्यक्तियों से दूध क्रय करते थे। अभियुक्त दूध का विक्रेता था।
परिवादी के पिता एक वर्र्ष का अग्रिम दूध बालों को प्रदान करते थे। उसके
एवज में चैक लिख दिया करते थे। अभियुक्त का विधिवत एक साल बाद हिसाब होने
के बाद भी उन्होंने चैक वापस नहीं किया। साक्ष्य के आधार पर न्यायालय ने
पाया कि वास्तव में उक्त संव्यवहार ऋण का संव्यवहार नहीं था।

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