बैराड़। इन दिनों स्वास्थ्य विभाग में ग्रामीण अंचल में पदस्थ चिकित्सक पूरी तरह अपनी मनमानी कर रहे हैं जिस पर जिले के अधिकारी लगाम लगाने में नाकाम दिख रहे हैं। एक के बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर लापरवाही सामने आ रही है। बैराड़ में उपचार के लिए आया मासूम दो घंटे तक तड़पता रहा, लेकिन उसे देखने के लिए कोई चिकित्सक ही नहीं था। यहां का स्टाफ ताला लगाकर ड्यूटी के समय किसी और काम में मशगूल था। ऐसे में उस मासूम की जान भी जा सकती थी।
गिरवानी निवासी कमलेश और रचना अपनी बच्ची को लेकर दोपहर को यहां पहुंचे। बच्ची के ऊपर चाय गिर गई थी जिससे उसका सिर जल गया था। जब दंपत्ति पहुंचे तो पूरा अस्पताल सूना पड़ा हुआ था। कर्मचारियों के नाम पर सिर्फ सफाईकर्मी और एक सिस्टर ही वहां पर मौजूद थी। वहां मौजूद एक महिला सफाईकर्मी ने बताया कि डॉक्टर साहब खाना खाने गए हैं आते ही होंगे। हालांकि लंबे समय तक डॉक्टर वहां आए नहीं। उस समय दोपहर के 3.20 बज रहे थे। लंच का यह समय भी डॉक्टर ने अपनी मर्जी से ही निर्धारित किया हुआ है। दरअसल चिकित्सक लंच टाइम का बहाना कर पूरा दिन गायब रहते हैं। कोई इमरजेंसी आती है तो फोन पहुंचने पर केंद्र पर आते हैं। तब तक मरीज तड़पता रहता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सकों के कमरों में दोपहर 2 से 4 बजे तक ताला ही लटका हुआ था। आखिर में थक हारकर कमलेश और रचना अपनी बच्ची को लेकर शिवपुरी चले गए। उनके जाने के बाद वहां पर डॉ. नरेंद्र वर्मा पहुंचे। जब मीडिया ने उनसे बात करना चाही तो उन्होंने किसी भी सवाल का जवाब देने से इंकार कर दिया।
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