पटना
बिहार में एक बार फिर से एनडीए की सरकार बन गई है। नीतीश कुमार सरकार के मुखिया हैं, तो बीजेपी के 2 डिप्टी सीएम बने हैं। फिलहाल दोनों के कोटे से बराबर मंत्री बने हैं, लेकिन इस पर सहमति 27 जनवरी की रात के आखिरी 2 घंटे में बनी।
सीएम के इस्तीफे पर एक रात पहले सीएम हाउस से लेकर बीजेपी दफ्तर तक भागदौड़ मची रही। जहां पेंच फंसा, दिल्ली तक फोन घुमाया गया। शर्त अंत तक रही कि पहले इस्तीफा, फिर मिलेगा समर्थन। मंडे स्पेशल में पढ़िए उस रात 2 घंटे की सिलसिलेवार कहानी…
पहले देखिए सीएम के साथ शपथ लेने वाले मंत्रियों का जातिगत समीकरण..
2 कुर्मी, 2 भूमिहार
महागठबंधन में 3 दिन से खेमेबाजी चल रही थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 25 जनवरी को एनडीए में शामिल होने के संकेत दे दिए तो बीजेपी में प्रदेश स्तर से लेकर केंद्र की लीडरशिप एक्टिव हो गई। सबसे पहले बीजेपी ने विधायकों, सांसदों और बिहार से केंद्रीय मंत्रियों को मैसेज दिया। पहला मैसेज था विधायकों को, वो पटना पहुंचे।
दूसरा मैसेज- प्रदेशाध्यक्ष सम्राट चौधरी, नेता प्रतिपक्ष रहे विजय सिन्हा, राज्यसभा सांसद सुशील मोदी और पूर्व डिप्टी सीएम रेणु देवी को दिल्ली पहुंचने का था। ये नेता आनन-फानन में दिल्ली पहुंचे। दिल्ली में दो बैठकें बिहार प्रदेश प्रभारी विनोद तावड़े के घर, फिर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के घर पर हुई। वहां से हरी झंडी मिली।
26 जनवरी तक बिहार के विधायक पटना पहुंचने लगे। इधर, दिल्ली से लौटने में बीजेपी नेताओं को देर हो गई। इस वजह से 27 की रात बीजेपी विधायक दल, कोर कमेटी की बैठक का ऐलान किया गया।
विधायक दल का नेता और उप नेता बनने के बाद सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा।
बीजेपी ये दिखाना चाह रही थी कि नीतीश खुद आ रहे हैं
आखिरी वक्त तक बीजेपी के तमाम नेता यह दिखाने की कोशिश करते रहे कि पार्टी नीतीश को लेकर ज्यादा इच्छुक नहीं है, वह खुद आना चाह रहे हैं। इसकी दो वजह थीं। पहला- ताकि उनके लिए दरवाजे बंद वाली बात पर सवाल न उठे।
दूसरा- बीजेपी सूत्रों की माने तो डर था कि कहीं जीतनराम मांझी आरजेडी सुप्रीमो लालू के ऑफर में न फंस जाएं। जिस तरह से लालू-तेजस्वी चुप्पी साधे थे और लगातार मीटिंग कर रहे थे। उससे लग रहा था कि लालू कोई बड़ा खेल करने वाले हैं, जिससे डर बढ़ गया कि जेडीयू अपने विधायकों को संभाल पाएगी या नहीं। इन वजहों से बीजेपी कदम फूंक-फूंककर रखने लगी।
अब उस रात के आखिरी 2 घंटे
बीजेपी सूत्रों की मानें तो 27 जनवरी की रात 10.30 बजे तक विधायक दल की मीटिंग हुई। इसमें विधायकों से समर्थन पत्र लिया गया है। फिर कोर कमेटी की बैठक हुई, जिसमें बिहार प्रदेश प्रभारी विनोद तावड़े मौजूद थे। इसमें एक बार फिर मंत्रिमंडल के स्वरूप को लेकर चर्चा हुई। बताया जाता है कि इसके बाद बिहार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के साथ चार बड़े नेता सीएम हाउस गए।
बीजेपी के नेता नीतीश कुमार से मिले। बीजेपी विधायकों का समर्थन पत्र दिखाया और कहा- पहले आप इस्तीफा दें। इसके बाद हम आपको समर्थन देंगे।
बीजेपी अपनी शर्तों पर सीएम नीतीश को मनाना चाहती थी। बताया जाता है कि बीजेपी चाहती थी कि रेणु देवी को सीएम प्रोजेक्ट किया जाए, लेकिन नीतीश नहीं माने। हालांकि काफी हद तक बीजेपी अपनी दूसरी शर्त मनवाने में कामयाब हो गई, जैसे नीतीश की पसंद से हटकर बीजेपी अपने नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह देगी। नीतीश चाहते थे कि सुशील मोदी भी डिप्टी सीएम हों।
नीतीश से फाइनल बातचीत होने के बाद भाजपा प्रदेश प्रभारी विनोद तावड़े रात करीब 11 बजे राजभवन पहुंचे। यहां पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से 30 मिनट तक बात की। फिर फाइनल रूपरेखा बनी कि नीतीश के साथ दो डिप्टी सीएम होंगे। शपथ लेते समय सरकार में बराबर की हिस्सेदारी होगी, जबकि जीतनराम मांझी के बेटे को भी मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी।
रविवार को सीएम ने इस्तीफा दिया तो फिर बीजेपी ने विधायकों के साथ बैठक की। बैठक के बाद सम्राट चौधरी और बीजेपी नेता दूसरी बार सीएम हाउस नीतीश से मिलने पहुंचे।
नीतीश के दूत बनकर संजय झा पहुंचे बीजेपी ऑफिस
28 जनवरी को सीएम नीतीश कुमार जैसे ही इस्तीफा देने के लिए राजभवन पहुंचे, वैसे ही नीतीश के करीबी मंत्री संजय झा बीजेपी ऑफिस समर्थन लेने पहुंच गए। यहां पर बीजेपी ने अपने विधायकों का समर्थन पत्र दिया।
यही नहीं, सरकार बनने से पहले मोदी-शाह और नीतीश के बीच 9 बार बातचीत
एनडीए सरकार बनने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बीच सितंबर से जनवरी तक लगभग 9 बार फोन पर बात हुई। पीएम और सीएम के बीच तीन बार बातचीत हुई। दोनों के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघल गई। इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाला।
शाह ने सीएम की शर्तें मानने और लोकसभा चुनाव बाद बड़ी जिम्मेदारी सौंपने के प्रति उन्हें आश्वस्त किया। इसके बाद पार्टी आलाकमान ने बिहार के नेताओं को नीतीश कुमार के खिलाफ आक्रमक रुख अपनाने से रोक दिया। नीतीश को एनडीए का संयोजक भी बनाने पर बातचीत हो चुकी है। पर निर्णय बाकी है। एक बात तय है कि राज्य में सरकार बनने के बाद भाजपा लोकसभा चुनाव में सीएम नीतीश कुमार को स्टार प्रचारक बनाएगी।
रात में ही पोस्टर-होर्डिंग तय हो गए थे
सरकार की रूपरेखा फाइनल होते 27 जनवरी की रात ही बीजेपी ने पोस्टर और होर्डिंग तय कर लिए। क्या टैग लाइन होगी, क्या छपेगा, सब तय होने के बाद उसे 28 जनवरी की सुबह छपने के लिए भेज दिया। नीतीश कुमार के इस्तीफे के तुरंत बाद बीजेपी ने पोस्टर जारी कर दिए। जगह-जगह होर्डिंग लगा दिए।
भाजपा के लिए पोस्टर बनाने वाले लोग बताते हैं कि उन्हें निर्देश दे दिए गए थे कि उन्हें रात भर काम करना पड़ सकता है। पोस्टर का डिजाइन इस्तीफे से कुछ घंटे पहले ही भेजे गए थे।
तस्वीरें सब कहती हैं
इधर, राजधानी के चौक चौराहों को बीजेपी के पोस्टर से सजा कर बीजेपी ने यह भी क्लियर कर दिया कि भले ही सीएम नीतीश बन रहे हैं, लेकिन सरकार भाजपा की है।
पोस्टर में एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा दिख रहे हैं। दूसरी ओर सीएम नीतीश कुमार का चेहरा आगे है और उनके पीछे सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा दिख रहे हैं।
जिससे यह सब स्पष्ट हो गया कि सम्राट चौधरी और विजय सिंह बिहार में एनडीए की सरकार में अगले डिप्टी सीएम बनने जा रहे हैं।
राम मंदिर को प्रोजेक्ट कर रही बीजेपी
बीजेपी की ओर से जो पोस्टर चौक चौराहे के लिए जारी किए गए, उनमें जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हार्दिक बधाई दी जा रही है।
वहीं अन्य पोस्टर्स पर बीजेपी अयोध्या में बने राम मंदिर को प्रोजेक्ट कर रही है। इन पोस्टर्स पर लिखा है- ‘भव्य रामलला मंदिर के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को जय श्री राम।’
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