अजमेर
अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा उत्सव है। इस खास मौके के लिए अजमेर जिले में रहने वाली नंदिनी गौड़ ने महज 10 दिन में दीये पर भगवान राम और अयोध्या का चित्र बनाया है। नंदिनी के हाथ-पैर काम नहीं करते हैं। उन्होंने यह चित्रकारी मुंह से की है।
नंदिनी ने भास्कर को बताया कि अब तक 15 से ज्यादा पेंटिंग बना चुकी हूं। कई स्केच और दीपक भी बनाए हैं। राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा उत्सव में अपने तरीके से कॉन्ट्रिब्यूट करना चाहती थी। इसके लिए मेरे पास सिर्फ आर्ट ही एक जरिया थी।
दीपक को मैंने इसलिए चुना क्योंकि दीपावली पर दीपक का काफी महत्व होता है। मैंने सोचा- क्यों न दीपक को ही अलग तरीके से प्रजेंट किया जाए। दीपक पर मंदिर और भगवान राम का चित्र बनाने के लिए वॉटर कलर्स और ग्लिटर कलर्स का उपयोग किया था। अब यह दीया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गिफ्ट करना चाहती हूं।
आर्टिस्ट नंदिनी ने दीपक पर यह चित्र बनाया है।
पापा का बनाया था पहला चित्र
नंदिनी ने बताया- 2018 से पेंटिंग कर रही हूं। सबसे पहले अपने पापा का चित्र बनाया था। यूट्यूब पर वीडियो देखकर पेंटिंग करना सीखा था। यूट्यूब से आइडिया लेकर ही चित्र बनाती थी। हाथ डिसेबल होने के कारण मुंह से पेंटिंग करना शुरू किया था। शुरुआत में दांतों से ब्रश पकड़ने में मुश्किल होती थी, लेकिन धीरे-धीरे आदत में आ गया।
ऑपरेशन फेल होने से उम्मीद टूटी
बकौल नंदिनी, मैं 22 साल की हूं। हाथ-पैर से डिसेबल हूं। जयपुर में 2007 के बाद 2010 में मेरे पैरों का दूसरा ऑपरेशन हुआ था। 4 महीने तक प्लास्टर रहा था। उसके बाद भी पैर सीधे नहीं हुए और घाव भी रह गया था। उम्मीद थी कि मैं ठीक हो जाऊंगी। ऑपरेशन फेल होने से उम्मीद भी टूट गई। एक बार तो लगा था- बोझ बनने से अच्छा है, मर जाऊं। धीरे-धीरे पेंटिंग के ब्रश और कलर मेरी जिंदगी बन गए। पेंटिंग के रंगों ने मेरे जीवन में भी रंग भर दिए।
नंदिनी ने सबसे पहले अपने पिता की पेंटिंग तैयार की थी। इसके बाद परिवार के लोगों ने हौसला बढ़ाया।
अजमेर आने पर अकेलापन महसूस होने लगा
नंदिनी ने बताया कि माता-पिता ने जयपुर के दिशा इंटरनेशनल डिसेबल स्कूल में एडमिशन करवाया था। स्कूल में व्हीलचेयर यूज की थी। जैसे-जैसे दिन निकलते गए, वैसे-वैसे डिसेबल लाइफ महसूस होती गई। उस समय मैं करीब 6 से 7 साल की थी। जयपुर में 8वीं तक पढ़ाई की। 2012 में परिवार को वापस अजमेर में शिफ्ट होना पड़ा था। जयपुर में हर दिन कई लोगों से मिलती थी। अजमेर आने के बाद घर में अपने कमरे में अकेली रहती थी। ऐसा लगता था कि कोई फ्यूचर नहीं है और न ही पर्सनल लाइफ बची है। ऑपरेशन के समय से ज्यादा नेगेटिविटी अकेले रहने में महसूस की थी।
नंदिनी कॉमेडियन कपिल शर्मा और उनकी मां की भी पेंटिंग बना चुकी हैं।
टीचर ने कहा था- पढ़कर क्या करेगी, तब खुद को जीरो समझने लगी
नंदिनी ने बताया कि मां ने पढ़ाई के लिए घर पर ट्यूशन लगाया था। टीचर काफी छुट्टियां लेती थीं। मां ने जब टीचर को इसके लिए टोका तो वे बोलीं- इसे (नंदिनी) पढ़कर करना भी क्या है। टीचर की यह बात दिल को काफी चुभी थी। खुद से निराशा होने लगी थी और अपने आप को जीरो समझने लगी थी।
ऐसा लगने लगा- बोझ बनने से अच्छा मर जाऊं…
ऐसा लगने लगा कि अब मेरी लाइफ नहीं बची है। मोस्ट डिप्रेसिंग दिन थे वो। टीनेजर हो गई थी। समझ आ गया था कि आगे की दुनिया और डार्क होती जाएगी। ऐसा लगने लगा था- ‘बोझ बनने से अच्छा है, मर ही जाऊं।’ तब स्प्रिंग एटीट्यूड (आपको जितना दबाएंगे, हम उतनी ऊंची छलांग लगाएंगे) काम कर गया।
मेरा आर्टवर्क ही मेरी लाइफ
बकौल नंदिनी, हम लाइफ कहते हैं तो इसका मतलब ‘आपका खुद का करियर और कुछ रिश्ते होने चाहिए। कुछ जिंदगी होनी चाहिए।’ मुझे लगने लगा था कि मेरा कुछ नहीं बचा है। धीरे-धीरे अपने कमरे में बैठकर ड्रॉइंग करने लगी। ड्रॉइंग मेरा पैशन बन गया। परिवार, बहन और दोस्तों को अपने हाथ से बने कार्ड देने लगी। अजमेर आने के बाद 10वीं से लेकर 12वीं तक ओपन बोर्ड से पढ़ाई की थी। इस दौरान मैंने पेंटिंग और ड्रॉइंग के बीच के सफर को ब्रेक दिया था। तब लगा कि इसे रोकना नहीं चाहिए। नंदिनी ने कहा कि मैंने आर्ट को ही करियर के तौर पर आगे बढ़ाने का सोच लिया था।
नंदिनी ने पीएम मोदी के कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 100 एपिसोड पूरे होने पर यह पेंटिंग तैयार की थी। इसे पीएम ने भी पसंद किया और ट्वीट भी किया था।
डेढ़ दिन में पीएम का चित्र बनाया
5-6 महीने पहले मेरी मुलाकात फेमस पेंटर संजय सेठी से हुई थी। मेरे भाई और सर ने आइडिया दिया था कि पीएम मोदी के कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 100 एपिसोड पूरे हो रहे हैं। इस पर तुम्हें एक चित्र बनाना चाहिए। इसके बाद मैंने केवल डेढ़ दिन में प्रधानमंत्री का चित्र बनाया था। चित्र बनाने के 5 दिन बाद मां ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुम्हारा चित्र बनाते हुए फोटो ट्वीट किया है। तब मां से कहा था कि आप मजाक कर रहे हो। ट्वीट देखा, तब जाकर यकीन हुआ था।
बेटी ने मेरा चित्र बनाकर दिया सरप्राइज
नंदिनी के पिता प्रकाश गौड़ ने कहा कि बेटी ने जब पहली बार मुंह से पेंसिल पकड़कर मेरा चित्र बनाया तो मैं शॉक रह गया था। मुझे बहुत बड़ा सरप्राइज मिला था। प्रधानमंत्री ने जब बेटी के लिए ट्वीट किया तो उस समय खुशी का ठिकाना नहीं था।
बेटी की यह उपलब्धि देख मां-बाप काफी खुश हैं।
मां ने कहा- हमें आज बेटी के नाम से जानते हैं लोग
नंदिनी की मां सीमा शर्मा ने बताया कि जब बेटी का जन्म हुआ, तब उसके डिसेबल होने के बारे में नहीं पता था। जैसे-जैसे वह बड़ी होती गई, उसके डिसेबल होने के बारे में पता चला। नंदिनी 11 महीने की थी, तब से उसका इलाज चालू कर दिया था। एक दिन नंदिनी ने कहा कि ‘मां आप दीपावली के दीयों का क्या करोगे।’ इसके बाद उसने दीये पर पेंटिंग करना शुरू किया था। पहले हमें कोई नहीं जानता था, लेकिन प्रधानमंत्री के ट्वीट के बाद से नंदिनी के माता-पिता के नाम से लोग जानने लगे। मोहल्ले में कोई आता है और पूछता है कि वह बच्ची जो पेंटिंग करती है। तुरंत हमारा घर बता देते हैं। मां ने कहा- हमारी कोशिश रहेगी कि बेटी ने जो दीया बनाया है, वह प्रधानमंत्री तक पहुंचे।
Be First to Comment