24 अप्रैल को चार ट्रकों से 1040 क्विंटल और 27 अप्रैल को 1250 क्विंटल गेहूं परिवहन के लिए ट्रांसपोर्टर को दिया था
शिवपुरी। समर्थन मूल्य पर किसानों से खरीदे जा रहे गेहूं के परिवहन में ही धांधली सामने आ रही है। खरीदी केंद्रों से सोसायटियों ने चालान काटकर जिन नौ ट्रकों को गोदाम भेजा था, दरअसल वह ट्रक संबंधित गोदाम पहुंचे ही नहीं हैं। इसलिए 45.52 लाख रुपए कीमत का गेहूं गायब हो गया है। मामले में एमपी स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन के अधिकारी भी जवाब नहीं दे पा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार 24 अप्रैल को दो सोसायटियों ने चालान काटकर चार ट्रकों में 1040 क्विंटल गेहूं 40 किमी दूर स्थित सीमा वेयर हाउस भेजा था। लेकिन उक्त गेहूं पांच दिन बाद भी गोदाम पर नहीं पहुंचा है। जबकि निविदा शर्तों के तहत 48 घंटे में माल पहुंचाने का प्रावधान है। यह जिम्मेदारी संबंधित ट्रांसपोर्टर की है। इसी तरह 27 अप्रैल काे पांच ट्रकों से 1250 क्विंटल गेहूं फिर से दूसरे गोदाम रितु वेयर हाउस के लिए भेजा है। लेकिन उक्त ट्रक यहां भी नहीं पहुंचे हैं। मामले में बड़े फर्जीवाड़े की आशंका जताई जा रही है।
पांच दिन से चार ट्रक गायब, गोदाम संचालक बोला- नहीं आया माल
सेवा सहकारी संस्था खनियाधाना द्वारा चालान क्रमांक 70040 से 190 क्विंटल गेहूं ट्रक क्रमांक एमपी07 एचबी2541 और दूसरे चालान क्रमांक 70038 से 300 क्विंटल गेहूं सीमा वेयर हाउस के लिए भेजा था। इसी तरह सेवा सहकारी संस्था झालौनी पिपरा द्वारा चालान क्रमांक 500022 से 250 क्विंटल गेहूं ट्रक क्रमांक एमपी07एचबी7877 व दूसरे चालान क्रमांक 500020 से 300 क्विंटल गेहूं ट्रक क्रमांक यूपी93बीटी7743 सीमा वेयर हाउस भेज था। चारों ट्रक उक्त गोदाम पर आज तक नहीं पहुंचे हैं। गोदाम संचालक का कहना है कि ट्रांसपोर्टर उक्त चारों ट्रक हमारे गोदाम पर माल लेकर नहीं आया।
गूडर से 40 किमी दूर, फिर भी ये पांच ट्रक भी दूसरे दिन भी गोदाम पर नहीं पहुंचे: सेवा सहकारी संस्था गूडर से ट्रक क्रमांक पीबी10 डीसी2513 का चालान क्रमांक 521050530051, ट्रक क्रमांक पीबी46 जे0770 का चालान क्रमांक 521050530052, ट्रक क्रमांक एमपी07 एचबी2529 का चालान क्रमांक 521050530053, ट्रक क्रमांक एचआर38 डब्ल्यु7228 का चालान क्रमांक 521050530054 और ट्रक क्रमांक यूपी93 बीटी0099 का चालान क्रमांक 521050530055 काटा गया है। गूडर से गोदाम की दूरी महज 40 किमी है। फिर भी ट्रक गोदाम तक नहीं पहुंचे।
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