शिवपुरी। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सभी से आग्रह किया गया है कि अंकुर महोत्सव को मनाते हुए प्रदेश के सभी व्यक्ति वायुमंडल में घटती ऑक्सीजन के स्तर को देखते हुए अपने आसपास पौधा अवश्य लगाएं। पौधे ही भविष्य में पेड़ बनकर वायुमंडल को ऑक्सीजन पर्याप्त रूप से देते रहेंगे।
कोरोना काल में मध्य प्रदेश एवं देश में ऑक्सीजन की कमी के कारण कई लोगों की मृत्यु हुई।उस समय हमें यह महसूस हुआ कि हमारे जीवन में वृक्षों का होना कितना महत्वपूर्ण है। कु. शिवानी राठौर जिलाध्यक्ष पिछड़ा वर्ग महिला कांग्रेस शिवपुरी ने अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के अवसर पर अपने हिस्से का पौधा लगाकर बधाई देते हुए बताया कि वृक्ष हमारे जीवन के अभिन्न अंग रहे हैं। वृक्ष सदैव पूजनीय रहे हैं।
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा अंकुर महोत्सव के अंतर्गत पौधों को लगाने की अपील तथा आदित्य बिड़ला समूह को छतरपुर में बक्सबाहा के जंगलों को काट कर 3.42 करोड़ कैरेट की हीरो के लिए लाखों पेड़ों को काटकर हीरों के उत्खनन के लिए सहमति देना, यह दोनों आग्रह एवं आदेश एक साथ किया जाना कहां तक तर्कसंगत हैं।
यदि मध्य प्रदेश सरकार यह तर्क देती है कि हमारे लिए हीरे ही अनमोल हैं, मानव जीवन का कोई मूल्य नहीं। तो छोटे-छोटे पौधों को लगाने की प्रेरणा भी उन्हें नहीं देनी चाहिए क्योंकि जिन पौधों को हम पाल पोस कर बड़ा करते हैं तथा वह पौधे बड़े पेड़ बन कर हमारे जीवन की रक्षा करते हैं, उन्हें अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए तथा विकास के नाम पर असमय काटा जाना सरकार द्वारा पूर्णरूप से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। विकास के नाम पर जंगलों के विनाश के साथ-साथ प्रकृति के जीव-जंतुओ का भी विनाश हो रहा है।
एक तरफ बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग के कारण लगातार वातावरण में परिवर्तन हो रहे हैं। नदियों के पानी का रंग लगातार बदल रहा है। पर्यावरण में ऑक्सीजन का लेबल गिर रहा है। ओजोन परत में छेद का आकार लगातार बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में कुछ पौधों को लगाकर लाखों पेड़ों को काटे जाने का आदेश देना किसी भी तरीके से उचित नहीं ठहराया जा सकता।
राज्य सरकारों को अपने राज्य का विकास करने का अधिकार है। सभी राज्य सरकारों को अपना विकास करना भी चाहिए। विकास मानव के लिए किया जा रहा है। यदि वह विकास मानव सभ्यता के लिए ही खतरा साबित होने लगे तो इस तरीके के विकास प्रोग्रामों को तत्काल प्रभाव से रोका जाना अनिवार्य है।
वर्तमान में प्रकृति हमें बार-बार संदेश दे रही है कि प्रकृति का हर हाल में संरक्षण किया जाए यदि फिर भी हमारे नीति निर्माता यदि इस और ध्यान नहीं देंगे तो मानव जीवन को खतरा लगातार बढ़ेगा।
वर्तमान में जल, जंगल और जमीन का आकार लगातार घटता चला जा रहा था। इस आकार को नियंत्रित करने के लिए सही समय पर सही जनहित के निर्णय लिया जाना आवश्यक है।
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