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एपीसोड-1: स्कूल संचालकों की जागीर बना अतिक्रमण

एक को देखकर दूसरे ने भी बदला गिरगिट की तरह रंग

केदार सिंह गोलिया

शिवपुरी। आज के दौर में बढ़ती जमीनों की कीमत को लेकर अतिक्रमण करने की लोगों में होड़ सी मची हुई और कोई भी व्यक्ति शासकीय भूमि पर अतिक्रमण करने का मौका नहीं छोडऩा चाहता फिर उसका चाहे जो भी अंजाम हो। एक-एक फुट जमीन के लिए लाठी, लुहांगी से लेकर बंदूक और तलवारें खिंच जाती है। जहां प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने के लिए तमाम वादे किए जाते हैं, मुनादी पिटवाई जाती है, नोटिस थमाए जाते हैं, लेकिन प्रशासन  की यह अतिक्रमण विरोधी मुहिम की हुंकार उस समय टांय-टांय फिस्स नजर आती है जब कोई रसूखदार या राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ रखने वाले का अतिक्रमण तोडऩे की बारी आती है।

यहां हम बात कर रहे हैं कुछ स्कूल संचालकों की जिनमें एक स्कूल संचालक ने तो जमीन तो जमीन हवा में भी अतिक्रमण करके खूब सुर्खियां बटोरी हैं जिसकी फाइल एडीएम से लेकर एसडीएम के यहां झूले खा रही है और प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही न करना, ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासन इन शिक्षा के ठेकेदारों को मौन स्वीकृति दे रखी है। पहले एक स्कूल संचालक द्वारा हवा में अतिक्रमण किया तो उसे देखकर दूसरे स्कूल संचालक ने उस कहावत को चरितार्थ कर दिया कि गिरगिट को देखकर गिरगिट रंग बदलता है। दूसरे स्कूल संचालक ने शहर हृदय स्थल बेसकीमती जमीन पर अतिक्रमण कर निर्माण कार्य शुरू कर दिया है और इस निर्माण कार्य को शुरू करना प्रशासन को तमाचा मारने से कम नहीं है। इस स्कूल संचालक ने रोड को बंद कर अपनी जागीर समझकर एक प्लॉट खरीदकर दो प्लॉट की जगह पर निर्माण कार्य किया जा रहा है। वहीं इस पूरे मामले में प्रशासन की मौन स्वीकृति चर्चा का विषय बनी हुई वहीं दबे मुंह से कॉलोनी वासियों का विरोध सामने आ रहा है, लेकिन स्कूल संचालक के रसूख के आगे किसी की जुबान खोलने की हिम्मत नहीं है।

स्कूल संचालक के रसूख के चर्चे तो यहां तक है कि मात्र 1500 वर्गफीट एरिया में भी 12 वीं तक की मान्यता प्राप्त कर ली। यह अपने आप में किसी आश्चर्यचकित करने से कम नहीं है जिसकी जांच करने की किसी ने अभी तक हिम्मत नहीं जुटाई। प्रशासन की मौन स्वीकृति यह दर्शाती है कि या तो यहां वजन पहुंचता है या सत्तादारी दल का प्रभाव। आगे के अन्य एपिसोड में होंगे बड़े-बड़े खुलासे….।

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