रायपुर। राजनांदगांव के कपड़ा कारोबारी और सुनार
राजधानी में ठगी के शिकार हो गए। पांच अज्ञात शातिर ठगों ने दोनों को नकली
सोने की माला थमाकर 16 लाख रुपए लेकर ठगी को अंजाम दिया है। ठगी की यह घटना
गुरुवार की सुबह टाटीबंध और नंदनवन के बीच घटी।
माला लेकर
राजनांदगांव गए पीड़ितों ने वहां जब उसकी जांच कराई तो वह नकली निकली। देर
शाम घटना की शिकायत आमानाका थाने में पीड़ितों ने दर्ज कराई। पुलिस घटनास्थल
के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे खंगाल रही है। फिलहाल ठगों का कोई सुराग नहीं
मिल पाया है।
आमानाका पुलिस के मुताबिक राजनांदगांव जिले के छुरिया
निवासी कपड़ा कारोबारी ललित मेश्राम से करीब 20 दिन पहले तीन अज्ञात ठग मिले
थे। इन लोगों ने छुरिया-चिचोला मार्ग के किनारे मजदूरी करने के दौरान गड़ा
हुआ खजाना मिलने की बात कहकर ललित को झांसे में लिया और उसे एक सोने की
माला भी दिखाई।
ललित ने गांव के ही परिचित सुनार भूपेश जैन से माला
के कुछ टुकड़े की जांच कराई तो वह 78 फीसदी खरा सोना निकला। मजदूरों के वेश
में ठगों ने यह कहा था कि उनके पास ऐसी ही पांच और माला हैं। इसके बाद ठग
लगातार फोन पर दोनों से संपर्क करते रहे।
एक माला का वजन 8 सौ ग्राम
होने पर कुल साढ़े तीन किलो वजनी सोने (अनुमानित कीमत 1 करोड़) को ललित व
भूपेश ने मिलकर 25 लाख रुपए में खरीदने का सौदा ठगों से तय किया। उसके बाद
दोनों पैसे का इंतजाम करने में लग गए।
कर्ज लेकर जुटाए 16 लाख और थमा दिए
ललित
व भूपेश ने एक करोड़ के सोने को मात्र 25 लाख में मिलने के लालच में आकर
अपने रिश्तेदारों, परिचितों से 16 लाख रुपए कर्ज ले लिया, लेकिन सोने के
बारे में किसी को इसलिए नहीं बताया कि हल्ला होने पर पकड़े जा सकते हैं।
यहां तक कि पत्नी से भी चर्चा नहीं की। ललित का एक भाई राजनांदगांव क्राइम
ब्रांच में रह चुका है, फिलहाल वह डीएसबी में पदस्थ है, उसे भी इसकी
जानकारी नहीं दी।
ऐसे ठगा कि भनक तक नहीं लगी
तय
सौदे के मुताबिक गुरुवार को दोनों ने ठगों से फोन पर संपर्क किया तो उन
लोगों ने बताया कि वे फिलहाल मजदूरी का काम कमल विहार में कर रहे हैं।
लिहाजा सोने की माला लेने दोनों को रायपुर आने को कहा। राजनांदगांव से चार
पहिया वाहन से दोनों सुबह 9.30 बजे टाटीबंध चौक पहुंचे।
फोन कर आने
की जानकारी दी तो ठगों ने कमल विहार आने से मना किया और खुद ही टाटीबंध आकर
मिलने की बात कही। आधे घंटे बाद टाटीबंध चौक पर दो ठग उनसे मिले, फिर कार
में साथ बैठकर हीरापुर की तरफ चले गए। वहां पर उनके तीन और साथी भी कार में
सवार हो गए।
इसके बाद सरोना, नंदनवन की तरफ जाकर ठगों ने कार में ही
पैसे का लेनदेन किया। पीड़ितों ने बताया कि उन्होंने ठगों से कहा कि अभी 16
लाख रुपए ही इंतजाम हो पाया है। इस पर ठगों ने यह कर कि अब दूसरे से माला
कहां बेचते रहेंगे, जितना पैसा है अभी दे दो, बाद में बाकी दे देना।
इस
पर ललित व भूपेश ने ठगों को 16 लाख रुपए देकर रुमाल में बंधा पांच माला
उनसे ले लिया फिर नंदनवन के पास ही पांचों को कार से उतार कर राजनांदगांव
चले गए। वहां पहुंचने पर जब माला की जांच करवाई तो वह लोहे की माला निकली।
इससे कारोबारियों के होश उड़ गए।
ठगों का फुटेज धुंधला
ठगी
की शिकायत पर पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे को खंगाला तो
ठगों के दो-तीन फुटेज सामने आए लेकिन तस्वीर धुंधला होने से पहचान करने
में दिक्कत हो रही है। पीड़ितों ने बताया कि ठगों ने अपने आप को भोपाल का
रहने वाला बताया था, लेकिन वे छत्तीसगढ़ी में बात कर रहे थे। पुलिस को आशंका
है कि ठगों का यह गैंग मप्र या ओडिशा का हो सकता है।
राजधानी में ठगी के शिकार हो गए। पांच अज्ञात शातिर ठगों ने दोनों को नकली
सोने की माला थमाकर 16 लाख रुपए लेकर ठगी को अंजाम दिया है। ठगी की यह घटना
गुरुवार की सुबह टाटीबंध और नंदनवन के बीच घटी।
माला लेकर
राजनांदगांव गए पीड़ितों ने वहां जब उसकी जांच कराई तो वह नकली निकली। देर
शाम घटना की शिकायत आमानाका थाने में पीड़ितों ने दर्ज कराई। पुलिस घटनास्थल
के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे खंगाल रही है। फिलहाल ठगों का कोई सुराग नहीं
मिल पाया है।
आमानाका पुलिस के मुताबिक राजनांदगांव जिले के छुरिया
निवासी कपड़ा कारोबारी ललित मेश्राम से करीब 20 दिन पहले तीन अज्ञात ठग मिले
थे। इन लोगों ने छुरिया-चिचोला मार्ग के किनारे मजदूरी करने के दौरान गड़ा
हुआ खजाना मिलने की बात कहकर ललित को झांसे में लिया और उसे एक सोने की
माला भी दिखाई।
ललित ने गांव के ही परिचित सुनार भूपेश जैन से माला
के कुछ टुकड़े की जांच कराई तो वह 78 फीसदी खरा सोना निकला। मजदूरों के वेश
में ठगों ने यह कहा था कि उनके पास ऐसी ही पांच और माला हैं। इसके बाद ठग
लगातार फोन पर दोनों से संपर्क करते रहे।
एक माला का वजन 8 सौ ग्राम
होने पर कुल साढ़े तीन किलो वजनी सोने (अनुमानित कीमत 1 करोड़) को ललित व
भूपेश ने मिलकर 25 लाख रुपए में खरीदने का सौदा ठगों से तय किया। उसके बाद
दोनों पैसे का इंतजाम करने में लग गए।
कर्ज लेकर जुटाए 16 लाख और थमा दिए
ललित
व भूपेश ने एक करोड़ के सोने को मात्र 25 लाख में मिलने के लालच में आकर
अपने रिश्तेदारों, परिचितों से 16 लाख रुपए कर्ज ले लिया, लेकिन सोने के
बारे में किसी को इसलिए नहीं बताया कि हल्ला होने पर पकड़े जा सकते हैं।
यहां तक कि पत्नी से भी चर्चा नहीं की। ललित का एक भाई राजनांदगांव क्राइम
ब्रांच में रह चुका है, फिलहाल वह डीएसबी में पदस्थ है, उसे भी इसकी
जानकारी नहीं दी।
ऐसे ठगा कि भनक तक नहीं लगी
तय
सौदे के मुताबिक गुरुवार को दोनों ने ठगों से फोन पर संपर्क किया तो उन
लोगों ने बताया कि वे फिलहाल मजदूरी का काम कमल विहार में कर रहे हैं।
लिहाजा सोने की माला लेने दोनों को रायपुर आने को कहा। राजनांदगांव से चार
पहिया वाहन से दोनों सुबह 9.30 बजे टाटीबंध चौक पहुंचे।
फोन कर आने
की जानकारी दी तो ठगों ने कमल विहार आने से मना किया और खुद ही टाटीबंध आकर
मिलने की बात कही। आधे घंटे बाद टाटीबंध चौक पर दो ठग उनसे मिले, फिर कार
में साथ बैठकर हीरापुर की तरफ चले गए। वहां पर उनके तीन और साथी भी कार में
सवार हो गए।
इसके बाद सरोना, नंदनवन की तरफ जाकर ठगों ने कार में ही
पैसे का लेनदेन किया। पीड़ितों ने बताया कि उन्होंने ठगों से कहा कि अभी 16
लाख रुपए ही इंतजाम हो पाया है। इस पर ठगों ने यह कर कि अब दूसरे से माला
कहां बेचते रहेंगे, जितना पैसा है अभी दे दो, बाद में बाकी दे देना।
इस
पर ललित व भूपेश ने ठगों को 16 लाख रुपए देकर रुमाल में बंधा पांच माला
उनसे ले लिया फिर नंदनवन के पास ही पांचों को कार से उतार कर राजनांदगांव
चले गए। वहां पहुंचने पर जब माला की जांच करवाई तो वह लोहे की माला निकली।
इससे कारोबारियों के होश उड़ गए।
ठगों का फुटेज धुंधला
ठगी
की शिकायत पर पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे को खंगाला तो
ठगों के दो-तीन फुटेज सामने आए लेकिन तस्वीर धुंधला होने से पहचान करने
में दिक्कत हो रही है। पीड़ितों ने बताया कि ठगों ने अपने आप को भोपाल का
रहने वाला बताया था, लेकिन वे छत्तीसगढ़ी में बात कर रहे थे। पुलिस को आशंका
है कि ठगों का यह गैंग मप्र या ओडिशा का हो सकता है।
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