शिवपुरी। शिवपुरी शहर में एक शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। जहां लाखों रुपए कमाने वाले प्रशासनिक अधिकारियों को डीजल के रुपए देने में भांवरे पड़ गई। एक तरफ जहां कोरोना महामारी का कहर चल रहा है तो वहीं इस दौरान सामने आई इस शर्मसार घटना ने मानवता को शर्मसार कर दिया है।
बुधवार देर रात जिला अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी हो गई। गुना के पास ऑक्सीजन एक्सेस में थी तो 100 सिलेंडर की मदद वहां के प्रशासन ने की। आधी रात को गुना के प्रशासनिक अधिकारी सक्रिय हुए और रात में 1 बजे ही ऑक्सीजन भेजने ट्रक की व्यवस्था भी कर दी। ट्रक में ऑक्सीजन लोड होना शुरू हुई और फिर रात 3 बजे तक एक नायाब तहसीलदार के नेतृत्व में प्रशासन की टीम वहां पहुंच भी गई। इसके बाद ट्रक में डीजल डलवाने के रुपये कौन दे इस बात को लेकर वहां 7 घंटे तक ट्रक खडा रहा। शिवपुरी के अधिकारियों की टीम ने स्पष्ट कह दिया कि हम ट्रक में डीजल क्यों डलवाएं। आप ट्रक भेज रहे हैं आप ही डलवाएं। इससे गुना के अधिकारी भी हैरत में पड़ गए कि आखिर मदद में ऑक्सीजन दे रहे हैं और उल्टा हमसे ही डीजल डलवाने का बोला जा रहा है।
खैर अधिकारियों की लापरवाही यहीं नहीं रुकी। जैसे-तैसे कर गुरुवार सुबह 10 बजे ऑक्सीजन सिलेंडरों से भरे ट्रक रवाना हुए। इसके बाद जब ट्रक शिवपुरी पहुंचे तो जिला अस्पताल में ट्रक क्रमांक यूपी 78 सीएन 3506 के ड्राइवर धर्मेंद्र से बोला गया कि ऑक्सीजन के सिलेंडर अनलोड करा दो। इस पर ड्राइवर ने कहा कि मैं शिवपुरी में लेबर कहां से लेकर आऊंगा। इसके बाद जिला अस्पताल में मौजूद कर्मचारियों ने लेबर न होने की बात कहकर ट्रक अनलोड कराने से मना कर दिया। ड्राइवर से कहा कि यदि तुम्हारे पास खाली करने क लिए लेबर नहीं है तो आदमी हम बुला लेते हैं तुम उन्हें रुपये दे देना। इसके बाद ड्राइवर ने गुना में अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। इसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद यहां ट्रक अनलोड कराया गया।
यहां कहना ठीक तो नहीं होगा, लेकिन लाखों रुपए कमाने वाले अधिकारी अगर थोड़े से रुपए अपनी जेब से दे देते तो उनका धन कम नहीं हो जाता। ऐसे भयंकर समय में जब सभी मदद के लिए सामने आ रहे हो तो इन अधिकारियों को मानवता को पहले रखना चाहिए था न कि एक-दूसरे पर बात टालते रहना चाहिए था।
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