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श्रीमद्भगवद्गीता के प्रत्यक्ष श्रोता रामभक्त हनुमान जी गीता सुनकर होते हैं अधिक प्रसन्न : डॉ. त्रिपाठी / Shivpuri News

गीता कपिध्वज हनुमत् प्रकटोत्सव य विश्वगीता प्रतिष्ठानम् ने किया अभूतपूर्व आनलाइन आयोजन 


 

शिवपुरी। विश्वगीता प्रतिष्ठानम् के द्वारा मनाए जाने वाले सात उत्सवों के क्रम में द्वितीय उत्सव गीता कपिध्वज हनुमत् प्रकटोत्सव का आचरण हनुमान जयंती के रूप में विश्व में किया जाता है। हनुमान जी त्रेता युग से शाश्वत सत्य चिरंजीवी के रूप में हम सबके आराध्य हैं। तमिलनाडु में मार्गशीर्ष अमावस्या को और उड़ीसा में वैशाख कृष्ण प्रतिपदा तथा आंध्रप्रदेश में तो चैत्र पूर्णिमा से 10 दिन का महोत्सव इस उपलक्ष्य में मनाया जाता है। कथ के अनुसार अग्निदेव ने अर्जुन को जो रथ दिया था उसकी ध्वजा पर श्री हनुमान जी विराजमान थे। इस रथ के सारथी श्रीकृष्ण हुए और उस गीता कपिध्वज रथ पर श्री कृष्ण और अर्जुन का लोक कल्याणकारी संवाद संपन्न हुआ जिसे हम श्रीमद्भगवद्गीता के नाम से जानते हैं। श्री हनुमान जी 11वें रुद्रावतार हुए। श्रीराम से लेकर कृष्ण तक जिनकी सबसे ज्यादा उपासना होती रही है उन में प्रथम नाम श्री हनुमान जी का ही है। सीता माता से उन्हें अजर-अमर होने का आशीर्वाद प्राप्त है उनकी महिमा हमने हनुमान चालीसा और सुंदरकांड में जानी है। कुरुक्षेत्र में अर्जुन के अतिरिक्त गीता के एकमात्र प्रत्यक्ष श्रोता श्री हनुमान जी ही थे।

हनुमान जी की जीवन शैली में योग की पराकाष्ठा गीता के ज्ञान योग भक्तियोग की अप्रतिम छवि दिखाई देती है। निष्काम भाव से सुख-दु:ख को सम रखते हुए अपना कर्म करना उनकी जीवन शैली की विशेषता है। भगवान ने गीता में जो स्पष्ट किया है कि वे सभी के हृदय में विराजमान हैं जिसे श्री हनुमान जी महाराज ने अपनी छाती फाड़कर प्रमाणित कर दिया। उक्त आशय के विचार विश्वगीता प्रतिष्ठानम् के राष्ट्रीय प्रवक्ता  डॉ जे एल त्रिपाठी ने श्रीगीताकपिध्वज हनुमत् प्रकटोत्सव में व्यक्त किए। वे धर्मवाणी गीता एंकर एफ एम चैनल पर विशेष प्रसारण में बोल रहे थे। अपना मत व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि श्री हनुमान महाराजय  हनुमान चालीसाए सुंदर कांड आदि के पाठ की अपेक्षा गीता सुनकर अधिक प्रसन्न  होंगे क्योंकि वह साक्षात उनके आराध्य भगवान की वाणी है।

विश्वगीताप्रतिष्ठानम् के केन्द्रीय अध्यक्ष डॉ जवाहर द्विवेदी ने बताया कि वर्तमान वैश्विक महामारी से उत्पन्न विकट परिस्थितियों में सकारात्मक वातावरण निर्मित करते हुए गीता कपिध्वज हनुमत प्रकटोत्सव मनाने के लिए केन्द्रीय कार्यकारिणी द्वारा इस वर्ष विश्व स्तरीय अभूतपूर्व आनलाइन आयोजन करने का निर्णय लिया गया। अत: विगत मंगलवार को योजना अनुसार चार समितियों द्वारा गुगल लिंक के माध्यम से एक ही समय में एकसाथ श्रीमद्भग्वद्गीता और रामचरितमानस तथा सुन्दर कांड एवं हनुमान चालीसा के आनलाइन अखंडपाठों का शृंखला बद्ध कार्यक्रम आयोजित किया गया। जहां श्रीरामचरित मानस का पाठ मंगलवार सुबह 5 बजे से आरंभ होकर बुधवार 5 बजे तक चला वहीं गीता और सुंदर कांड तथा हनुमान चालीसा पाठ की अनेक आवृत्तियां मंगलवार को ही सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे तक संपन्न हुई। अखंड गीता पाठ का संयोजन दतिया से केन्द्रीय स्वाध्याय प्रधान पं ओम प्रकाश शर्मा, अखंड श्रीरामचरितमानस पाठ का संयोजन शिवपुरी से मध्यभारत प्रांत संयोजक पंडित रमेश कोठारी, विदिशा से केन्द्रीय संपर्क प्रमुख हरिनारायण शर्मा, हनुमान चालीसा पाठ का उज्जयिनी से केन्द्रीय व्यवस्था प्रमुख प्रह्लाद गुप्ता और गुना से केन्द्रीय सह सचिव सुधीर सक्सेना ने एवं अखंड सुंदर कांड पाठ का संयोजन केन्द्रीय संगठन मंत्री शिवपुरी के विष्णुप्रसाद शर्मा तथा  दमोह से केन्द्रीय परीक्षा प्रमुख श्रीश्रवण उपाध्याय ने किया।

इन आयोजनों में विभिन्न गीता संस्कृत स्वाध्याय मंडलों से चयनित पाठकों ने सहयोग प्रदान किया। जिनमें शिवपुरी से रमेश कुमार कोठारी, सुनील भार्गव ने रामचरित मानस पाठ में तथा श्रीविष्णु प्रसाद शर्मा ने सुंदर कांड पाठ में एवं राजेंद्र कुमार शर्मा ने हनुमान चालीसा पाठ में आनलाइन रहकर पाठ किया। ग्वालियर से नीलेश तिवारी और केन्द्रीय महामंत्री डॉ विष्णु नारायण तिवारी तथा विदिशा से मध्यभारत प्रांत प्रचार प्रमुख राम बाबू यादव एवं गुना से केन्द्रीय प्रचारप्रमुख साकेत रघुवंशी ने आयोजन का आनलाइन समन्वय किया। यह जानकारी विश्व गीता प्रतिष्ठानम् केंद्रीय संगठन मंत्री विष्णु प्रसाद शर्मा निवासी शिवपुरी ने प्रदान की।

 

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