शिवपुरी l

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जीवन अनुशासन से ओतप्रोत रहा है।उन्होंने अपने जीवन में हमेशा अनुशासन का पालन किया। गूगल मीट पर रामनवमी मनाते हुए शिक्षाविद एवं समाजसेवी डॉ रामजी दास राठौर ने उपस्थित छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए बताया कि हमें अपना जीवन धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक मर्यादा का पालन करते हुए व्यतीत करना चाहिए। हमें सभी प्रकार की शिक्षा पूरी लगन के साथ ग्रहण करनी चाहिए। श्री राम ने अपने जीवन में कभी भी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया। श्री राम ने अपने पुरुषार्थ को निभाकर जीवन के उच्चतम शिखर पुरुषोत्तम को प्राप्त किया और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम कहलाए। हमें राम नवमी के अवसर पर श्री राम के जीवन से संदेश लेना चाहिए कि हम अपने माता पिता एवं गुरुजनों की आज्ञा का पालन करें, सामाजिक हित में नि:स्वार्थ भाव से बेहतर से बेहतर कार्य करें, धार्मिक परंपराओं का पालन करें, प्राणी मात्र की रक्षा के लिए सर्वस्व रूप से तैयार रहें, निडर एवं साहसी के रूप में अपना जीवन व्यतीत करें तथा न्याय पूर्ण व्यवहार कर अपने निर्धारित दायित्वों को पूरा करें। राम नवमी के अवसर पर हम अपने मन मंदिर में प्रभु श्री राम के जीवन आदर्शों को स्थापित कर अपने जीवन को सफल बना सकते हैं। जिस तरह श्री राम ने अपने जीवन में हमेशा सामाजिक बुराइयों का डटकर विरोध किया तथा समाज में शांति व्यवस्था के लिए बढ़कर आगे आए उसी तरह हमें भी समाज में व्याप्त बुराइयों का खुलकर विरोध करना चाहिए तथा सामाजिक समरसता लाने का प्रयास करना चाहिए। हमें जाति,धर्म, रंग-रूप के भेद को मिटाकर, सभी व्यक्तियों के साथ एक जैसा व्यवहार करना चाहिए। यदि हम इस तरीके का व्यवहार अपने जीवन में लाते हैं तो हमारा जीवन प्रभु राम की तरह सार्थक जीवन होगा।
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