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करैरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में महिला चिकित्सक व शिशु रोग विशेषज्ञ का पद खाली / Shivpuri News

शिवपुरी: करैरा अनुविभाग में स्थित सरकारी अस्पतालों में महिलाओं व बच्चों का इलाज नहीं हो पा रहा, क्योंकि वहां महिला चिकित्सक व शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। स्वीकृत पदों के विपरीत एमबीबीएस डॉक्टर न होने की वजह से सरकार ने कुछ अस्पतालों में तो इलाज की पैथी बदलते हुए आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक डॉक्टर्स को बैठा दिए हैं, जिससे मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा।

मरीजों को अस्पताल तक ले जाने के लिए सरकार ने एम्बुलेंस चला दी, लेकिन उन सरकारी बिल्डिंग में इलाज करने वाले डॉक्टर व अन्य स्टाफ बेहद कम है। जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को सरकारी अस्पताल में इलाज नहीं मिल रहा और झोलाछाप डॉक्टरों की पौ-बारह हो रही है और वे ग्रामीण मरीजों पर ही इलाज करना सीख रहे हैं। बिना डिग्री वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई भी तभी होती है, जब उनके इलाज से किसी की जान चली जाए, अन्यथा वो ही स्वास्थ्य विभाग का एक बड़ा वर्कलोड कम कर रहे हैं।

करैरा अनुविभाग के सरकारी अस्पताल में चिकित्सकों की स्थिति

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र करैरा में डॉक्टरों के स्वीकृत पद 8 है, वर्तमान में पदस्थ डॉक्टर 2, जिसमें एक बीएमओ हैं। दो डॉक्टर बोंड पर पदस्थ हैं। महिला डॉक्टर व शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। नर्स के 10 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से 6 हैं और वार्ड बॉय के 4 पदों में से दो पद ही भरे हैं। हाईवे पर अस्पताल होने की वजह से सबसे अधिक एमएलसी आती हैं।


आदर्श ग्राम सिरसौद में बदली पैथी

करैरा अनुविभाग का सिरसौद आदर्श ग्राम है, जिसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी है। यहां इलाज की पैथी बदल दी है और यहां पर एलोपैथी डॉक्टर की जगह आयुर्वेदिक डॉक्टर पदस्थ हैं। यानी मरीज को ऐलोपैथिक दवा खाकर जल्दी आराम की जरूरत रहती है, लेकिन इस अस्पताल में आयुर्वेदिक दवाओं की पुड़िया पकड़ा दी जाती हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नरवर में डॉक्टर के 4 पद स्वीकृत है। वर्तमान में 3 डॉक्टर है और एक पद रिक्त है।

बीएमओ बने तो मगरौनी खाली

नरवर में चार में से दो डॉक्टर पदस्थ हैं, क्योंकि तीसरे डॉक्टर एलडी शर्मा अभी तक मगरौनी अस्पताल देख रहे थे, लेकिन 1 माह पूर्व उन्हें नरवर बीएमओ बना दिया तो मगरौनी अस्पताल डॉक्टर विहीन हो गया।

डॉ. पवन जैन, सीएमएचओ शिवपुरी ने कहा कि अंचल में विशेषज्ञों के पद अधिक रिक्त हैं और वर्तमान में पिछोर व करैरा में ही विशेषज्ञ हैं। डॉक्टरों की कमी के चलते बांडेड डॉक्टर्स को भी पदस्थ किया है। शिवपुरी मेडिकल कॉलेज से फाइनल करने के बाद डॉक्टर निकलेंगे, तो उम्मीद है कि यह कमी पूरी हो जाए।

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