शिवपुरी: पोहरी में अपने मामा अभय जैन के घर आई ग्यारह साल की बच्ची आंखों पर पट्टी बांधकर किताब पढ़ लेती है और यह बता देती है कि यह कितने का नोट है। केवल यही नहीं उसके सामने फोटो आने पर बता देती है कि यह फोटो किसका है। आंखों पर पट्टी बांधे हुए वह लिख भी लेती है। उसने यह तीसरी आंख थर्ड आई जागृत की कला महज एक माह में सीखी है।
बड़ागांव निवासी अवधेश कुमार जैन राजू की बेटी देशना ने यह विद्या सीखी है। 11 वर्षीय देशना कक्षा छठवीं की छात्रा है। यह छत्तीसगढ़ के चंद्रगिरी डोंगरगढ़ स्थित प्रतिभास्थली विद्यालय में पड़ती है। यह विद्यालय कक्षा चौथी से वारहवीं तक संचालित है।
छात्रा देशना की आंखों पर पट्टी बांधी गई, उसे 10, 50 और 100 का नोट दिया गया, उसने माथे पर लगाया और अलग-अलग नोटों को बता दिया। मोबाइल में तस्वीर दिखाई गई उसने पहचान कर नाम बता दिया। अखबार ,किताबें पढ़ने दिया गया तो अखबार एवं किताबों का शुद्ध वाचन भी किया वही आंखों पर पट्टी बांधे हुए पेन से कागज पर भी शुद्ध लिखा। छात्र देशना ने बताया कि मुनिगणो के अनुसार मनुष्यों में पांच नेत्र होते हैं। दो जो देखते हैं। एक माथे पर
और दो कानों के ऊपर दोनों ओर होते हैं। यह तीनों नेत्र गुप्त होते हैं उसका माथे का नेत्र जागृत हुआ है। बताया कि किसी का कानों के ऊपर का नेत्र जागृत होता है। छात्रा जब माथे से नोट लगाती है तब वह स्पष्ट बता देती है। वहीं इस विधा की आठ अध्याय होते हैं, जिसमें से उसने अभी तीन सीखे हैं, पांच अध्याय सीखना अभी बाकी है। मुनिगणो ने इस विद्या के बारे में खोज की है तब उन्हें यह मिली है।उसे मुनि अभय सागर, मुनि पुनीत सागर, मुनि धैर्य सागर ने यह कला सिखाई है। मुनिगण तीसरी आंख चेतन विद्या में
पारंगत है। छात्रा ने एक माह में यह विद्या सीखी है।छात्रा देशना ने बताया कि माह जुलाई में मुनिगण संस्था में आए थे और उन्होंने थर्ड आई विद्या सिद्धि के लिए 50 छात्राओं को 5 दिन क्लास ली थी, जिसमें इस विधा में 10 छात्राएं सिलेक्ट हुई। इन 10 में से सिर्फ दो. छात्राएं पूर्ण रूप से निपुण हुई, जिसमें से एक वह और दूसरी अशोकनगर की छात्रा है।
बताया कि मुनिगणो ने पांच दिन तक विद्या सिखाई और दो दिन टेस्ट हुआ, इसके बाद दोनों छात्राओं को पूर्ण निपुण घोषित किया गया। Fast samachar को जब बच्ची के बारे में पता चला तो उससे संपर्क कर, तीसरी आंख जागृत की विद्या के बारे में जाना।

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