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ऊर परियोजना में मनमानीः मुआवजा दिए बिना ही खोद दी किसानों की जमीन / Pichhore News

 शिवपुरी। शहर में विकास के नाम पर जिस भी
प्रोजेक्ट को शुरू किया जाता है। वह किसी न किसी विवाद में जरूर उलझ जाता
है। 2700 करोड़ रुपये के ऊर सिंचाई योजना के जरिए जिन किसानों को लाभ
पहुंचाना था अब वे ही मुआवजा न मिलने से दर-ब-दर भटक रहे हैं। कुछ समय पहले
ही मुआवजा न मिलने को लेकर किसानों ने पिछोर में प्रदर्शन भी किया था।
मुआवजा मिलना तो दूर बिना मुआवजा दिए ठेकेदार कंपनी द्वारा उनके खेतों पर
मशीनें चलाई जा रही हैं और नहर बनाई जा रही है। इसकी ठेकेदार कंपनी भी
विवादों में है। दो दिन पहले ही प्रर्वतन निदेशालय ने प्रदेश के तीन हजार
करोड़ के ई-टेंडिरिंग घोटाले में पूर्व मुख्य सचिव एम गोपाल रेड्डी और उनके
नजदीकी राजू मोंटाना के हैदराबाद स्थित ठिकानों पर छापा मारा था। रेड्डी ने
जल संसाधन विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव रहते हुए कई अहम ठेके राजू
मोंटाना की कंपनी को दिलवाए थे। इन्हीं राजू मोंटाना की कंपनी सिंचाई विभाग
के इस 2700 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को संभाल रही है। मोंटाना की कंपनी के
प्रदेश के अन्य उच्च अधिकारियों से भी मिलीभगत कर ठेके लिए हैं जिसकी जांच
ईडी कर रही है। हालांकि अभी इसमें ऊर प्रोजेक्ट का नाम नहीं आया है, लेकिन
यह प्रोजेक्ट यही कंपनी संभाल रही है। इस प्रोजेक्ट में कंपनी की
कार्यप्रणाली शुरू से विवादित रही है। किसानों ने कंपनी पर दबंगों की मदद
से जबरन खेत में काम करने के आरोप भी लगाए हैं। किसानों ने यह भी आरोप लगाए
कि विरोध करने पर उन्हें धमकाया जा रहा है।

जल
संसाधन विभाग ने शिवपुरी और दतिया जिले की 1.10 लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन
को शिवपुरी की उर नदी से सिंचित करने के लिए लोअर ओर वृहद सिंचाई परियोजना
तैयार की थी। इस परियोजना के लिए नहर और बांध के अलग-अलग ठेके दिए गए थे।
इसमें नहर का ठेका हैदराबाद की मोंटेना कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया है
वहीं बांध तैयार करने का कॉन्ट्रैक्ट ग्वालियर की सारथी कंस्ट्रक्शन कंपनी
को दिया गया है।

 

बामौरकलां में लगाई फैक्ट्री, 900 करोड़ का भुगतान हुआ

कंपनी को
अनुबंध की शर्त के अनुसार प्रोजेक्ट की जगह पर ही फैक्ट्ररी लगानी थी।
कंपनी ने बामौरकलां में फैक्ट्ररी भी लगाई। इसके बाद कंपनी को भुगतान शुरू
हो गया। दो साल पहले ही कंपनी को डिजाइन फाइनल होने के पहले 900 करोड़ यानी
प्रोजेक्ट का लगभग 40 प्रतिशत भुगतान कर दिया गया है। यह भुगतान सिर्फ
स्टील और पाइप की सप्लाई के लिए किया गया था।

इनका कहना है

हमारे
अधिकार क्षेत्र में जो भी उर नदी के मुआवजे के प्रकरण थे वे सब निपट गए
हैं। आदिवासियों के जमीन के बेचने के मामले न्यायालय में लंबित हैं।


केआर चौकीकर, एसडीएम पिछोर।

 

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