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मुख्यमंत्री बनने की कहानी डॉ. मोहन यादव की: चुनाव के बाद तेलंगाना का दौरा और फिर दिल्ली बुलावा,उज्जैन में शाह के साथ डिनर

11 दिसंबर 2023… भोपाल में भाजपा विधायक दल की बैठक। मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री का नाम फाइनल करने के लिए मनोहर लाल खट्टर के साथ दो पर्यवेक्षक मौजूद।

पर्यवेक्षकों के साथ ही शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय और चुने हुए नेता मंच पर थे। मनोहर लाल खट्टर शिवराज को पहले ही बता चुके थे कि उन्हें नए मुख्यमंत्री का नाम घोषित करना है। कुछ देर बाद शिवराज कहते हैं, ‘मप्र के नए मुख्यमंत्री के तौर पर डॉ. मोहन यादव का नाम तय किया जाता है।’ नाम पुकारे जाने के बाद भी मोहन यादव कुर्सी से नहीं उठते हैं। तब शिवराज कहते हैं, ‘अरे भाई, अब आ भी जाओ’।

यादव के नाम का ऐलान मध्यप्रदेश की सियासत का टर्निंग पाइंट रहा। भाजपा ने 18 साल तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज को हटाकर डॉ. मोहन यादव को सीएम की कुर्सी सौंपी। डॉ. मोहन यादव मप्र के 29वें मुख्यमंत्री हैं। क्या मुख्यमंत्री की रेस में उनका नाम पहले से शामिल था या फिर पार्टी ने चुनाव खत्म होने के बाद नाम तय किया?

एमपी की राजनीति में 2023 के चर्चित किरदारों की सीरीज के पार्ट-3 में पढ़िए डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने की इनसाइड स्टोरी..

11 दिसंबर को विधायक दल की बैठक से पहले हुए फोटो सेशन में मोहन यादव तीसरी पंक्ति में बैठे थे।

11 दिसंबर को विधायक दल की बैठक से पहले हुए फोटो सेशन में मोहन यादव तीसरी पंक्ति में बैठे थे।

भोपाल के रातापानी में गोपनीय बैठक

30 सितंबर 2022 को भोपाल से करीब 50 किमी दूर रातापानी के सेंचुरी गेस्ट हाउस में भाजपा कोर ग्रुप की बैठक हुई। इस बैठक को गोपनीय रखा गया। राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष केंद्रीय नेतृत्व का एक बड़ा संदेश लेकर आए थे। वे इस बैठक में यही संदेश सुनाने वाले थे। बैठक में क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल भी थे। उन्होंने पूरे प्रदेश का दौरा कर विधायकों के कामकाज और मंत्रियों के परफॉर्मेंस पर एक रिपोर्ट तैयार की थी। बीएल संतोष ने जामवाल से इसी बैठक में ये रिपोर्ट भी मांगी।

भाजपा के एक सीनियर पदाधिकारी के मुताबिक, इस बैठक में तत्कालीन शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, स्कूली शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग को अचानक बुलाया गया था। राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने तीनों मंत्रियों से करीब आधा घंटा चर्चा की। इस बैठक के तत्काल बाद उच्च शिक्षा विभाग के कमिश्नर के तौर पर सीनियर आईएएस कर्मवीर शर्मा की पोस्टिंग हुई थी।

बैठक में यह भी तय हुआ था कि महाकाल लोक का उद्घाटन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर 2022 को उज्जैन आएंगे। इस आयोजन की स्थानीय व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी डॉ. मोहन यादव को दी गई थी। यह पहला संकेत था कि डॉ. मोहन यादव को भविष्य में बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है। इस बैठक में राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी मौजूद थे।

बीएल संतोष का इस बैठक में शिक्षा विभाग से जुड़़े तीनों मंत्रियों को बुलाने का क्या मकसद था? दरअसल, 2020 में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की। भाजपा शासित राज्यों ने इसे प्रमुखता से लागू किया था। 2 जुलाई 2020 को डॉ. मोहन यादव जब प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री बने तो उन्होंने सबसे पहला काम राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने का ही किया था।

रातापानी सेंचुरी के गेस्ट हाउस में करीब 10 घंटे चली बैठक में चुनिंदा 35 नेताओं को ही बुलाया गया था।

रातापानी सेंचुरी के गेस्ट हाउस में करीब 10 घंटे चली बैठक में चुनिंदा 35 नेताओं को ही बुलाया गया था।

शाह की यादव से आधा घंटा चर्चा

उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में डॉ. मोहन यादव ने जो काम किए, उससे वे पहले से ही केंद्रीय नेतृत्व की नजरों में थे। 2022 में हुए नगरीय निकाय चुनाव के बाद वे और ऊपर आ गए। नगर निगम उज्जैन में भाजपा ने न केवल परिषद् बनाई बल्कि मेयर का चुनाव भी जीता। डॉ. मोहन यादव के सुझाव पर पार्षद प्रत्याशियों का चयन गुजरात की तर्ज पर किया गया था। सारे पुराने चेहरों को हटाकर नए चेहरों को मैदान में उतारा गया था। ये प्रयोग सफल रहा। नगरीय निकाय चुनाव के बाद अब बारी विधानसभा चुनाव की थी। डॉ. मोहन यादव भी अपने विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हो गए।

30 अक्टूबर का दिन था, यानी वोटिंग से ठीक 17 दिन पहले। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह चुनाव प्रचार के लिए उज्जैन पहुंचे। उन्होंने जनसभा काे संबोधित किया। सभा के बाद रात करीब 8.30 बजे महाकाल मंदिर पहुंचे। उनके साथ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी थे। महाकाल मंदिर में दर्शन के बाद शाह ने इंदौर रोड स्थित एक होटल में संभाग की 29 सीटों के 350 कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की बैठक ली। यहां पार्टी के कई बड़े नेता मौजूद रहे। शाह यहां से भाजपा के एक पदाधिकारी रूप पमनानी के घर भोजन करने गए। वे अपने साथ सिर्फ डॉ. मोहन यादव को कार में बैठाकर ले गए।

उज्जैन के एक भाजपा नेता के मुताबिक, पमनानी के घर भोजन के बाद अमित शाह ने करीब आधे घंटे तक डॉ. यादव से चर्चा की। शाह ने यह संकेत प्रदेश के बड़े नेताओं को दे दिया था कि डॉ. यादव को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है।

30 अक्टूबर को उज्जैन में सभा के बाद शाह भाजपा पदाधिकारी रूप पमनानी के घर डिनर पर गए थे। उनके साथ केवल डॉ. मोहन यादव थे।

30 अक्टूबर को उज्जैन में सभा के बाद शाह भाजपा पदाधिकारी रूप पमनानी के घर डिनर पर गए थे। उनके साथ केवल डॉ. मोहन यादव थे।

एमपी में वोटिंग के तत्काल बाद तेलंगाना भेजा

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर को वोटिंग हुई। इसके तुरंत बाद पार्टी ने डॉ. मोहन यादव को तेलंगाना जाने के निर्देश दिए। 19 नवंबर को डॉ. यादव तेलंगाना चले गए। यहां 30 नवंबर को वोटिंग थी। डॉ. यादव के अलावा राजेंद्र शुक्ला, विश्वास सारंग और दो अन्य मंत्रियों की भी तेलंगाना में ड्यूटी लगाई गई। डॉ. यादव ने मप्र के प्रभारी मुरलीधर राव के साथ समन्वय बनाकर 28 नवंबर तक तेलंगाना में काम किया।

सूत्रों का कहना है कि डॉ. यादव को चुनाव के दौरान तेलंगाना में अहम जिम्मेदारी देने की वजह यह थी कि उनकी अगुवाई में इसी साल जून महीने में उज्जैन में तेलंगाना स्थापना दिवस का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसमें राज्यपाल मंगुभाई पटेल शरीक हुए थे। विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य मध्यप्रदेश और तेलंगाना के निवासियों के बीच संवाद और संस्कृतियों का आदान-प्रदान करना था।

तेलंगाना के सनथनगर में बीजेपी नेता एमएस रेड्डी के साथ डॉ. मोहन यादव। मध्यप्रदेश में वोटिंग के बाद उन्हें प्रचार के लिए तेलंगाना भेजा गया था।

तेलंगाना के सनथनगर में बीजेपी नेता एमएस रेड्डी के साथ डॉ. मोहन यादव। मध्यप्रदेश में वोटिंग के बाद उन्हें प्रचार के लिए तेलंगाना भेजा गया था।

रिजल्ट से पहले दिल्ली में संघ के पदाधिकारियों से मुलाकात

पार्टी सूत्र बताते हैं कि 28 नवंबर को डॉ. यादव तेलंगाना से उज्जैन आने की बजाय सीधे दिल्ली गए थे। दिल्ली में उनकी मुलाकात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीन प्रमुख पदाधिकारियों से हुई। इनमें एक मध्य क्षेत्र प्रचारक दीपक विस्पुते भी थे।

डॉ. यादव के साथ काम करने वाले एक नेता ने बताया कि पिछले कुछ सालों में संघ और बीजेपी के शीर्ष नेताओं का उज्जैन दौरा हुआ तो इसकी जिम्मेदारी डॉ. मोहन यादव ने ही संभाली थी। इसी वजह से उन्हें सुरेश सोनी जैसे संघ के शीर्ष पदाधिकारियों के करीब आने का मौका मिला।

अचानक दिल्ली बुलाया, रात में नड्‌डा से मुलाकात

3 दिसंबर को मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए। भाजपा ने 163 सीटें जीतीं। डॉ. मोहन यादव भी उज्जैन दक्षिण सीट से तीसरी बार चुने गए। अब बारी मुख्यमंत्री चुनने की थी। शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल समेत कई दिग्गज नेता चुनाव जीत गए थे। माना जा रहा था कि इन्हीं में किसी एक को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। तीन दिन बाद यानी 6 दिसंबर को दो बड़े और अहम घटनाक्रम हुए।

6 दिसंबर को शाम 5 बजे डॉ. मोहन यादव सड़क मार्ग से भोपाल से उज्जैन जा रहे थे। जब वे आष्टा के पास पहुंचे तो उन्हें एक कॉल आया। सामने वाले व्यक्ति ने कहा- किसी को बताए बगैर तत्काल दिल्ली पहुंचिए। डॉ. यादव उसी समय वापस भोपाल लौटे और फ्लाइट पकड़कर दिल्ली गए। यहां उनकी मुलाकात पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से हुई। मुलाकात केवल 15 मिनट की थी। इस मुलाकात में क्या बात हुई, ये किसी को नहीं पता। दूसरे दिन 7 दिसंबर को डॉ. यादव भोपाल लौट आए। इस मुलाकात के बाद कहा जा रहा था कि जातिगत समीकरण के आधार पर डॉ. यादव को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी जा सकती है।

6 दिसंबर को रात 11 बजे डॉ. मोहन यादव की जेपी नड्डा से मुलाकात हो चुकी थी। इसके बाद नड्‌डा के निवास पर मध्यप्रदेश के चुनाव प्रभारी केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव पहुंचे। भूपेंद्र यादव के हाथ में एक रिपोर्ट थी। इस रिपोर्ट को वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को दे चुके थे। अब वे जेपी नड्डा को रिपोर्ट देने आए थे। ये रिपोर्ट डॉ. मोहन यादव के बारे में थी। तीनों दिग्गज नेताओं के पास रिपोर्ट पहुंच चुकी थी। तीनों के बीच इस रिपोर्ट को लेकर अगले तीन दिन तक तीन दौर की बैठक हुई। 9 दिसंबर को मुख्यमंत्री के लिए डॉ. यादव के नाम पर केंद्रीय नेतृत्व ने मुहर लगा दी।

6 दिसंबर को डॉ. मोहन यादव को अचानक दिल्ली बुलाया गया था। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी।

6 दिसंबर को डॉ. मोहन यादव को अचानक दिल्ली बुलाया गया था। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी।

ऐलान से 5 घंटे पहले गए संघ कार्यालय

11 दिसंबर को विधायक दल की बैठक शाम 4 बजे होनी थी। डॉ. यादव इसी दिन सुबह करीब 10 बजे भोपाल पहुंचे। यहां पहुंचते ही वे करीब 11 बजे संघ कार्यालय समिधा गए। यहां उन्होंने दीपक विस्पुते से मुलाकात की। इसके बाद वे राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश से उनके आवास पर जाकर मिले। ये मुलाकात केवल 15 मिनट की थी। इस मुलाकात में उन्हें संकेत दे दिया गया था कि वे मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। इधर, प्रदेश कार्यालय में बैठक में शामिल होने के लिए अन्य विधायक भी पहुंचना शुरू हो गए थे।

विधायक दल की बैठक से पहले तेजी से घटनाक्रम चलता है। विधायक दल की बैठक लेने आ रहे पर्यवेक्षक हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्‌टर दो अन्य पर्यवेक्षकों के साथ सीधे मुख्यमंत्री निवास पहुंचते हैं। यहां शिवराज सिंह चौहान से चर्चा होती है। यहां से सभी सीधे प्रदेश कार्यालय आ जाते हैं। इस बीच नड्‌डा और शिवराज की फोन पर बात होती है। तय होता है कि शिवराज खुद मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव रखेंगे।

भाजपा के एक विधायक के मुताबिक, विधायक दल की बैठक में शामिल होने डॉ. यादव करीब साढ़े तीन बजे पहुंचे। बैठक शुरू होने से पहले जब फोटो सेशन के लिए लगभग सभी विधायक तय स्थान पर पहुंच चुके थे, तब डॉ. यादव कहीं नजर नहीं आ रहे थे। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने एक पदाधिकारी से कहा- मोहन यादव जी कहां हैं? उन्हें लेकर आओ। उसी समय डॉ. यादव बहुत सधे हुए कदमों से अकेले आए और विधायकों की तीसरी लाइन में जाकर बैठ गए।

फोटो सेशन के 45 मिनट बाद विधायक दल की बैठक में उनके नाम का प्रस्ताव शिवराज सिंह चौहान रखते हैं और नए मुख्यमंत्री के तौर पर डॉ. मोहन यादव के नाम पर औपचारिक मुहर लग जाती है।

दो दिन बाद डॉ. मोहन यादव भाजपा सरकार के कार्यकाल के चौथे और मध्यप्रदेश के 29वें मुख्यमंत्री बन गए।

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