करैरा अनुविभाग के सीहोर थाना क्षेत्र के ग्राम बिजोर में अवैध रेत उत्खनन पुनः शुरू हो गया है। सीहोर थाना क्षेत्र के ग्राम बीजोर में सिंध नदी से रेत का अवैध उत्खनन करैरा प्रशासन और पुलिस की सांठगांठ से कोरोना की आड़ में किया जा रहा है। कल्याणपुर की रॉयल्टी पर ग्राम बिजोर से रेत निकाली जा रही है, जबकि इस खदान का कल्याणपुर खदान से दूर दूर तक कोई बस्ता नहीं है। इसके बाबजूद सत्तादल के पूर्व विधायक के संरक्षण में सिंध और महुअर नदी पर अवैध तरीके से रेत की खदानें चलाई जा रही है।
इस पूरे गोरख-धंधे में सीहोर पुलिस एवं स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत सामने आ रही है। इसके चलते डंपर थाने के सामने से होकर निकलते है। इसके एवज में सुविधा शुल्क भी दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस अवैध उगाही के लिए बाकायदा सरकारी व गैर-सरकारी कटर लगाए गए है, जो अवैध रेत उत्खनन स्थल पर जाकर दो हजार का एंट्री शुल्क वसूलते है। दो हजार की सुविधा शुल्क के बदले डंपर वालों को अवैध रेत परिवहन की खुली छूट मिलती है। वहीं अवैध खदान संचालकों से भी लाखों के वारे न्यारे कर अवैध रेत उत्खनन करने का संरक्षण प्रशासन द्वारा रेत माफिया को दिया जा रहा है। इसी चक्कर मे उक्त थाने और करैरा अनुविभाग स्तर पर अदला-बदली का माहौल भी किसी से छुपा नहीं है।
चुनाव तक अवैध खनन से शिकायत, जीतने के बाद भूले
करैरा में हुए उपचुनाव में विधायक प्रागीलाल जाटव ने अवैध उत्खनन को काफी मुद्दा बनाया था। वे लोगों के बीच जाकर कहते थे कि जीतने के बाद सिंध का सीना छलनी नहीं होने देंगे और क्षेत्र में अवैध खनन बंद करा दिया जाएगा। दावों के आधार पर चुनाव तो जीत गए, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। विधायक प्रागीलाल जाटव का अवैध खनन को लेकर रहे शिकवा शिकायतों का गायब हो जाना चर्चा का विषय है। सूत्रों की मानें तो रेत को लेकर पूर्व विधायक और वर्तमान विधायक ने आपस में समझौता कर लिया है।
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