मुरैना। स्थानीय जिला अस्पताल में वर्तमान में
मेटरनिटी का प्रसव कक्ष और एक्सरे रूम पास पास में आ गए हैं। ऐसे में
एक्सरे रूम से निकलने वाले रेडिएशन से प्रसव कक्ष में जन्म लेने वाले
नवजातों को खतरा पैदा हो गया है।
नियमानुसार एक्सरे रूम को प्रसव
कक्ष तो दूर, किसी सामान्य वार्ड से भी सौ मीटर की दूरी पर होना चाहिए।
लेकिन इस नियम का पालन जिला अस्पताल में नहीं हो रहा है। हालांकि अभी
बच्चों में रेडिएशन का प्रभाव सामने नहीं आया है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना
है कि रेडिएशन का असर दीर्घकालीन होता है। इतनी जल्द पता नहीं चलता है।
खास
बात यह है कि अस्पताल प्रबंधन से लेकर सभी डॉक्टरों को यह हानिकारक तथ्य
पता है, लेकिन न तो एक्सरे रूम की जगह बदली है और न ही प्रसव कक्ष की।
उल्लेखनीय
है कि जिला अस्पताल के एक्सरे रूम से प्रसव कक्ष की दूरी महज 15 मीटर ही
होगी। यदि प्रसव के बाद प्रसूता व नवजात निकलते भी हैं एक्सरे रूम के सामने
से ही होकर निकलते है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक्सरे रूम
प्रसव कक्ष के कितने करीब होगा।
पहले नहीं थी यह समस्या
पहले
यह समस्या नहीं थी, क्योंकि पहले मेटरनिटी में आना जाना दूसरे गेट से होता
था। साथ ही मेटरनिटी का प्रसव कक्ष यानि लेबर रूम भी एक्सरे रूम से काफी
दूर था। ऐसे में एक्सरा करने के दौरान निकलने वाले रेडिएशन से बच्चे दूर ही
रहते थे और यह समस्या सामने नहीं आई थी।
किस तरह हुई समस्या
जिला
अस्पताल में एक्सरे रूम व मेटरनिटी के बीच में ट्रामा सेंटर के लिए नया
भवन बनाया गया। चूंकि ट्रॉमा सेंटर को अस्पताल प्रबंधन ने नए मेटरनिटी
वार्ड में बदल दिया। ट्रामा सेंटर के आपरेशन कक्ष को लेबर रूम में बदल
दिया। लेबर रूम एक्सरे रूम के बिल्कुल पास में आ गया। जिससे बच्चों के लिए
खतरा पैदा हो गया।
नवजातों को अधिक खतरा क्यों संक्रामक बीमारियों से
लेकर रेडिएशन का प्रभाव बच्चों पर जल्दी पड़ता है क्योंकि नवजात काफी
संवेदनशील होते हैं। इस वजह से एक्सरे रूम से निकलने वाले रेडिएशन का
प्रभाव बच्चों पर अधिक पड़ता है।
इसलिए हुआ एक्सरे रूम के पास आया प्रसव कक्ष
चूंकि
अस्पताल में नए मेटरनिटी वार्ड के लिए शासन से बजट नहीं मिल रहा था और
ट्रॉमा सेंटर भी ट्रामा सेंटर की तरह नहीं बना था। इसलिए अस्पताल प्रबंधन
ने आनन फानन में ट्रामा सेंटर के भवन में मेटरनिटी वार्ड को शुरू करा दिया।
उस समय यह ध्यान नहीं दिया कि इस भवन के पास में एक्सरे रूम है। जिसका असर
बच्चों पर पड़ सकता है।
ऐसा है एक्सरे रूम को लेकर नियम
चूंकि
एक्सरे करने के दौरान जो रेडिएशन निकलता है और कक्ष के करीब 100 मीटर के
दायरे में प्रभावशाली रहता है, इसलिए इस कक्ष को अस्पताल में ऐसी जगह पर
स्थापित किया जाता है जिसके पास में कोई वार्ड या ऑपरेशन थियेटर न हों।
हालांकि ट्रामा सेंटर में मेटरनिटी के शुरू होने से पहले तक इस नियम का
पालन भी हो रहा था। लेकिन ट्रॉमा सेंटर में प्रसव कक्ष के शुरू होने से
नियम टूट गया।
भूलकर भी अपने नवजात को ऐसे अस्पताल में मत ले जाना
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