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इन राज्यों में हिंदूओं को अल्पसंख्यक दर्जे की मांग, जानें कौन है अल्पसंख्यक

नई दिल्ली (जेएनएन)। देश के संविधान में सभी नागरिक समान हैं। धर्म, लिंग और संप्रदाय के आधार पर उनमें किसी भी तरह का भेदभाव नहीं बरता जा सकता है। उनके अधिकार-कर्तव्य भी एक जैसे हैं। वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा को साकार करने वाले देश में अलबत्ता अल्पसंख्यक शब्द ही बेमानी लगता है। फिर भी अगर अपने राजनीतिक हितों और सियासी जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ राजनीतिक दलों ने इस शब्द का अस्तित्व बरकरार रखा है तो उसके मानदंडों को हर जाति, धर्म, समुदाय पर लागू करना चाहिए।  
 हाल ही में एक केंद्र शासित प्रदेश सहित आठ राज्यों र्में हिंदूओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाली गई। इन राज्यों र्में हिंदूओं की आबादी कम है जबकि अधिक आबादी वाले मुस्लिम अल्पसंख्यक दर्जे की सुविधा-सहूलियतें हासिल कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अल्पसंख्यक 
आयोग के पास जाने का निर्देश दिया। विधि आयोग की राय लेने के साथ राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने इस मसले पर तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है। यह कमेटी तीन महीने में बताएगी कि इन आठ राज्यों र्में हिंदूओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाना चाहिए या नहीं। 
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